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Showing posts from November, 2015

Posts of 26 Nov 15

योगेन्द्र यादव को शायद महाराणा प्रताप को लेकर लिखी कविता याद आ गयी होगी इसलिए वे कह रहे है कि बुन्देलखण्ड में लोग घास की रोटी खा रहे है, हाँ गरीबी बहुत है पर लोगों ने उसका रास्ता निकाल लिया है पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, हरपालपुर, महोबा जैसे छोटे शहरों से रोज 10-15 बसे दिल्ली जा रही है और लोग देश के दूरस्थ इलाकों में पलायन पर जा रहे है काम की तलाश में और काम करने.  रोजगार ग्यारंटी योजना बुरी तरह से फेल हो गयी है खासकरके आदिवासी इलाकों में..बुन्देलखण्ड के गाँवों में जितना मै घूमा हूँ उतना तो योगेन्द्र यादव नहीं घूमे होंगे, हाँ किसी एनजीओ ने अपनी दूकान चलाकर अतिश्योक्ति वाले सर्वे उन्हें दे दिए हो तो बात अलग है.. ******************* आमिर खान और किरण राव के चलते महिलाओं को लेकर जेंडर को लेकर पूर्वाग्रह से रचे बसे अभद्र कमेन्ट जो लोग कर रहे है उनमे से सात-आठ को अभी चलता किया. बदतमीजी की हद है और बहुत ही घटिया तरीके से सन्नी लियोन और किरण राव को लेकर चुटकुले और कमेन्ट कर रहे है. इसमे कुछ बुजुर्ग भी है जिनके मरने में मुश्किल से दो साल भी बचे नहीं होंगे पर गंदा दिमाग और हवस

Posts of 25 Nov 15

Where Mind is with fear... lead me to the dark... **************** भला हो इन सारे भक्तों का और बाकी समझदारों का जिन्होंने सहिष्णु और असहिष्णु जैसे मूश्किल शब्द और Tolerance & Intolerence जैसे कठिन शब्द आम लोगों को सिखा दिए. काश कि फिर से शब्दों की सुनामी आये और हम गंवार मूर्ख लोग जाहिल और अनपढ़ों से ऐसे ही कुछ अच्छे शब्द सीख जाएँ कम से कम अच्छे दिन ना सही अच्छे शब्द तो सीख ही जायेंगे पांच साल में अब भौंकते हुए मत आना वाकई पोजिटिव सेन्स में कह रहा हूँ मितरो *************** किरण और आमिर के बहाने जो लोग घटिया जोक्स बना रहे है उनके अंदर पितृ सत्ता कितनी कूट कूटकर भरी है यह भी साफ़ समझ आ रहा है, विश्वास ना हो तो जरा वाट्स अप और फेसबुक पर इन शैतानों के घटिया जोक्स देख लें। महिलाओं को बराबरी का कब मानेंगे हम ? और इसमें जेंडर के नाम पर रोटी खाने वाले और महिला हिंसा पर दहाड़े मारकर रोने वाले भांड, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल है। *************** आर्यावर्त का नाम चायवाला देश रख दो *************** झाबुआ में कैलाश विजयवर्गीय ने भाजपा को जीत (:P) दिलाई.

Posts of 23 Nov 15

आज किसी पानी की टँकी पर लिखा पढ़ा कि "हमारे नैतिक सिद्धांत ही हमारे धर्म है" बात कुछ कुछ सही लगी। ईमानदार, प्रतिबद्ध, सहयोग, सम्मान, स्नेह, सहिष्णु और अपने मूल्यों पर अडिग रहना इसमें जोड़ दे तो शायद धर्म की पूरी व्याख्या हो जायेगी और मेरे लिए जीवन दर्शन।  आईये इस अधूरे क्रम को पूरा करने में मदद करें और मुझे धर्म सिखाये। कृपया किसी जाति सम्प्रदाय को थोपे नही बल्कि जो आप अपने वास्तविक जीवन में मानते हो और अपनाते हो उसी का जिक्र करें मैं खुले मन से स्वीकार करने को तैयार हूँ। ********************************* ये फेस बुक के जनक मार्क भाई दो महीने छुट्टी पे जा रिये है और कारण बताया कि इन्हें बेटी होने वाली है और पूरी दुनिया उनके इस काम के लिए बधाई दे रही है...... अपुन को समझ नी आया कि अमेरिका में सेक्स डिटरमिनेशन का टेस्ट वैध है क्या, एने कि इनकूं कैसे मालूम पडा कि बेटी ही होगी दो माह बाद....... क्या बराक चाचा ने सब जायज कर दिया है ? ********************************* छी न्यूज ने अभी अश्वत्थामा के जीवित होने की कहानी बताई। यूँही यह चैनल सामने आ गया तो देखा कि

Indore Literature Festival, Day - II Posts of 21 Nov 15

इंदौर साहित्य उत्सव - अवलोकन II - समय दोपहर 1.55 इंदौर साहित्य उत्सव से आज कई लेखक, साहित्यकार बगैर अन्दर घुसे लौटें .यह दुखद ही नहीं बल्कि क्षोभ का विषय है. इंदौर साहित्य उत्सव - दिन दूसरा - अवलोकन पहला- समय सुबह 10.15  बच्चे सबसे सॉफ्ट  टार्गेट होते है............ आज इंदौर साहित्य उत्सव में सुबह पीयूष मिश्रा की कल ना आ पाई और लोकार्पित किताब "कुछ इश्क किया कुछ काम किया" का शायद लोकार्पण ही हुआ और  लोग पहुंचे नहीं तो आयोजकों ने बच्चों को बुलाकर हाल आधा भर दिया और पीयूष मिश्रा पेलने लगे लम्बी लम्बी .  बहुत ही विचित्र आदमी है और क्या आदमी है पता नहीं.  इंदौर में स्थानीय लोगों को नकार कर और आसपास देवास उजैन महू के लोगों को छोड़कर सीहोरे से पंकज सुबीर जैसे लोगों को कार्यक्रम के संचालन के लिए बुलाना आयोजको की समझ पर सवाल है. इंदौर में इतने लोग है, साहित्यकार है पर किसी का उपस्थित ना होना और घटिया किताबें वो भी रूपये लेकर छपने वाले अखबारों से हकाले गए लोगों का प्रकाशक बन जाने वाले लोगों का बोलबाला है.  यह उत्सव एक बर्बादी के सिवा कुछ नहीं, बड़े बड़े टेंट

इंदौर साहित्य उत्सव - प्रथम दिवस - Posts of 20 Nov 15

इंदौर साहित्य उत्सव को जयपुर साहित्य उत्सव बनाने की अनूठी जिद के कारण यह एक सफल प्रयास कहा तो जा सकता है परन्तु पहले दिन जो प्रतिसाद मिलना था वह नहीं मिला . सुबह उदघाटन के समय जब पहुंचा तो प्रभु जोशी के अलावा, हैलो हिन्दुस्तान के सम्पादक मालिक के अलावा बाउंसर और वालीन्टियर ही थे. वृष्ट प्रशासनिक अधिकारी और ख्यात लेखक मनोज श्रीवास्तव ठीक समय पर पहुंच गए थे फिर हमसे हाय हेलो करके कही चले गए. आबिद सूरती भी आ गए थोड़ी देर में संजय पटेल भी थे पर श्रोता नदारद थे.  मै दिन में तो रुक नहीं पाया पर जब शाम ढले पहुंचा तो पाया कि लीलाधर मंडलोई जी कविता में रुपवाद पर व्याख्यान दे रहे थे, उत्पल बैनर्जी संचालन कर रहे थे और बाद में नरेश जी ने गिरना कविता पढी और फिर ताल ठोकते हुए दुःख सबको मांजता है जैसे कविता को पोडियम को तबले की तरह ठोककर कविता में शिल्प और सुर की बात की. बाद में महुआ माजी ने, निर्मला भुराडिया ने भी अपनी बात रखी. एक मराठी लेखिका और शरद पगारे जब बोल रहे थे तो उस पांडाल में चंद लोग ही बचे थे. यह बेहद शर्मनाक था.  आबिद सूरती को पिछले हफ्ते ही लोगों ने स्टार प्लस पर अमिताभ
265 साल पुरानी आत्माओं को छेड़ना घातक है भागवत जी। जरा समझाइये अपने दंगा दक्ष सिपाहियों को। आपको वल्लभ भाई पटेल मिल गए ना सबके जवाब में फिर अब क्यों इतिहास से मुर्दे उखाड़ रहे है। इससे क्या होगा। गाय के मांस और गोबर का परिणाम देखा नही क्या 8 को। दीवाली मनाओ, देश का दीवाला मत निकालो। गाय, मांस, सम्प्रदाय और विकास के खोखले नारों के बाद पेश है नई विषाक्त करने वाली डिश टीपू सुलतान अरे ए बुड़बक, जरा देख और बता तो कहाँ है अब चुनाव !!!! कम से कम भाजपा से तो ज्यादा वफादार है कुत्ता. जब संस्कारित, वसुधैव कुटुम्बकम और जग सरमौर बनाने वाले लोग अपने पार्टी के लोगों को कुत्ता कहते है तो लगता है कि वे कुत्ता ना कहकर श्वान कह रहे है, और पूजे जाने के लिए तैयारी कर रहे है .........बस दिक्कत यह है कि शत्रुघ्न जी, जों राम के भाई है पुराणों में, इन महाशय को शुकर नहीं कहा....... बहरहाल, बड़े सदमे के बाद कैलाश जी का दिमाग दुरुस्त नहीं रहता , हम मालवे वाले इसके गवाह है. कोई अमित शाह को बोलो कि इनके बाल बढ़वाकर इन्हें भजन गाने और जगराते करने और नाचने को कहें, जयकारे लगान

Posts of 19 Nov 15

"...अचानक मुझमें असंभव के लिए आकांक्षा जागी। अपना यह संसार काफी असहनीय है, इसलिए मुझे चंद्रमा, या खुशी चाहिए-कुछ ऐसा, जो वस्तुतः पागलपन-सा जान पड़े। मैं असंभव का संधान कर रहा हूँ...देखो, तर्क कहाँ ले जाता है-शक्ति अपनी सर्वोच्च सीमा तक, इच्छाशक्ति अपने अंतर छोर तक ! शक्ति तब तक संपूर्ण नहीं होती, जब तक अपनी काली नियति के सामने आत्मसमर्पण न कर दिया जाये। नहीं, अब वापसी नहीं हो सकती। मुझे आगे बढ़ते ही जाना है" ना जाने क्यों मुझे कालिगुला, हर्ष और वे तमाम चरित्र याद आने लगे है जो "मुझे चाँद चाहिए" में वर्णित है.......... हर्ष की याद आना इस समय स्वाभाविक है और उसका अंत..........उफ़...........

Posts of 18 Nov 15

सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर जो देश के खिलाफ और यहाँ के लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार के खिलाफ बाहर जाकर बोल रहे है वह गलत है. मोदीजी का वैचारिक विरोध अपनी जगह है, हम उनसे सहमत असहमत हो सकते है परन्तु इन दोनों को कोई हक नहीं बनता कि मूर्खों की तरह से पाकिस्तान जाकर देश विरोधी और प्रधानमंत्री के खिलाफ बयानबाजी करें वो भी बेहद आपत्तिजनक बयान देना. पकिस्तान में जो गरीबी, भूखमरी और अव्यवस्था है वह पहले सुधार लें फिर भारत से बेहतर रिश्तों की बात करें. मणि शंकर अय्यर तो वैसे भी व िदेश सेवा के अधिकारी रहे है, और उनकी इस नासमझी पर तरस आता है कि कैसे उजबकों की तरह से वे बात कर रहे है एक टीवी शो में, क्या वे कानूनों के बारे में, देश द्रोह के बारे में जानते नहीं है ??? इस तरह से कोई भी नेता देश से बाहर देश के खिलाफ और देश की चुनी हुई सरकार के खिलाफ बयानबाजी करता है तो उस पर कार्यवाही करके उसका पासपोर्ट जब्त कर लेना ही चाहिए और दिमाग ठीक होने तक नजरबन्द कर देना चाहिए. News Concept 18 Nov 15 

Posts of 16 Nov 15

मुझे आप निगेटिव कहें या कुछ और, फर्क नहीं पड़ता पर मेरे सवाल है कोई ज्ञानी जवाब दे दें तो आभारी रहूंगा.......... सिर्फ थोड़े से सवाल है..... 1) गाय उर्फ़ बीफ उर्फ़ मांस के मुद्दे कहाँ गए और अब सब शांत क्यों है.?  2) जम्मू कश्मीर से लेकर छग तक में आतंकवादी उर्फ़ नक्सलवादी उर्फ़ मिलिटेंट चुप क्यों है? 3) वो पंजाब हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा से लेकर तमाम बाबाओं के डेरों का क्या हुआ और जिन लोगों ने कई दिनों तक रोड जाम करके रखे और अपने परम आराध्य को गिरफ्तार नहीं होने दिया उस पर क्या कार्यवाही हुई?  4) श्रीराम मंदिर का निर्माण कब होगा मै स्वयं जाकर कारसेवा भी करना चाहता हूँ और चन्दा देना चाहता हूँ पर निर्माण शुरू होने के बाद और दरवाजों की ऊँचाई होने के बाद . 5) धारा 370 का खात्मा कब होगी, क्या है शुगर और ब्लड प्रेशर की वजह से गर्मी बहुत होती है चाहता हूँ कि बुढापे में कश्मीर में एक छोटा सा मालिकाना प्लाट खरीदकर एक आशियाना बना लूं ताकि शान्ति से ठन्डे प्रदेश में रह सकूं.  6) मप्र में व्यापमं में अब कोई आत्महत्या उर्फ़ मौत उर्फ़ ह्त्या क्यों नहीं हो रही, सी बी आई क्या कर

“अमित शाह की बात मान लें और राजनीती में उम्र निश्चित कर दें” Post of 16 Nov 15

भाजपा   के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने चित्रकूट में कल कहा कि राजनीती में साठ साल के बाद नेताओं को संन्यास लेकर समाज सेवा करना चाहिए, यह बात उन्होंने स्व नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित चित्रकूट में समाजसेवा के विभिन्न प्रकल्पों को देखकर कहा. स्व नानाजी देशमुख ने अपने आख़िरी दिनों में सक्रीय राजनीती छोड़कर चित्रकूट में बसकर आस पास के गाँवों में दीनदयाल सेवा प्रकोष्ठ के माध्यम से जन सेवा के कई काम आरम्भ किये, बाद में उनकी दत्तक पुत्री नंदिता पाठक और भरत पाठक ने उन कामों को आगे बढाया और आज चित्रकूट में लोगों के संगठित समूह है जो खेती में बदलाव से लेकर ग्रामीण रोजगार और कुटीर उद्योगों से आजीविका चलाने का बेहतरीन काम कर रहे है. यह नानाजी की ही सूझबूझ थी कि जीते जी उन्होंने चित्रकूट ग्रामोदय विश्व विद्यालय की स्थापना की और विभिन्न प्रकार के ग्राम विकास के खेती के, और आजीविका के विभिन्न प्रकल्प आरम्भ किये जिसके नतीजे आज सार्थक रूप से सामने दिख रहे है. इस स्थान को और उनके द्वारा स्थापित इन प्रकल्पों को निश्चित रूप से एक बार देखा जाना चाहिए खासकरके नेताओं को जो विधायक निधि और सांसद निधि का भी

Posts of 15 Nov 15

कुछ पढ़े लिखें गंवार जबरन मेरी वाल पर चले आते है और नैतिकता की बात करते है । जो व्यक्तिगत जिंदगी में ईमानदार नही अपनी नोकरी में बेईमानी करके यहां वहाँ लोगों को मूर्ख बनाकर और घटिया किस्म के व्यंग्य लिखकर नाम और यश कमाने के लिए चापलूसी और बिछने को तैयार हो जाते हो और सच बोलने पर और आईना दिखाने पर बदतमीजी पर उत्तर आते है। घटिया को घटिया कहने पर सहन नही होता और अंत में अन्फ्रेंड करके कायरों की तरह से भाग जाते है, ऐसे लोगों से सावधान रहिये। ये इंसानियत के भेष में मूर्ख और कलंक है। जो लोग अपने काम की जगह पर सिवाय मक्कारी के सिवा कुछ नही करते और हमेशा रूपये कमाने की हवस में लगे रहते है और बेहद मूर्खतापूर्ण रवैया लोगों के प्रति रखते है और भाषा के नाम पर कुछ नही आता ना हिंदी ना अँग्रेजी , ऐसे निरक्षर लोगों से दूर रहें। ये वही लोग है जो ऊपर से नैतिक और अंदर व्याभिचार से भरें है। ये समाजवादी होने की रोटी खाते है पर है सब भयानक कट्टरपंथी और घोर जातिवादी संकीर्ण मानसिकता के टुच्चे लोग जो समय आने पर आपके चरण धोकर पी लेंगे।  बचिए इन नाकारा लोगों से (मनोज लिमये के लिए) 

नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथाओं पर अनुपम पाठक की टिप्पणी. 14 Nov 15

Anurag Pathak​, युवा कहानीकार और पाठक.  आजकल संदीप नाईक का कहानी संग्रह “नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथाएं” पढ़ रहा हूँ. चार कहानिया पढ़ ली है.  कहानिया जीवन का लेख है.  संदीप जी की यात्राओं और उन यात्राओं की त्रासदियों की अभिव्यक्ति हैं, ये सर्वथा अलग तरह की कहानियां है जो बहुत गहरे में उतरती है. इनका कहानी कहने का तरीका अत्यंत आत्मीय है एकदम अपना सा लगता है. पढ़ने पर जैसे हमारी अपनी ही कहानी है, मानो  हमारी अपनी यात्रा है हमारी अपनी ही व्यथा है. सतना, उत्कल एक्सप्रेस, हंसती हुई माधुरी दीक्षित पढी है  बहुत अच्छी है. दरअसल ये सब आत्मकथ्य हैं पर शायद जीवन घटनाओं और विचारो की दृष्टी से इतना व्यापक और संश्लिष्ट है कि संदीप जी का आत्मकथ्य "शेखर - एक जीवनी" जैसा महत् लेख बन जाता है. पता नहीं क्यों ये सारी कहानिया पढ़कर मुझे शेखर याद आ गया, वह भी इसी तरह अपने विचारों और कर्मों में इसी तरह भटकता रहा था और यह भटकना किसी सार्थक की खोज में था, आपका भटकना भी किसी सार्थक की खोज के लिए इन कहानियों में दिखता है. आपकी यात्रायें वस्तुतः अपने भीतर की यात्राएं ही है, शेखर भी तो अपने भय

Posts of 14 Nov 15

अरविन्द केजरीवाल का यमुना को साफ़ करने का अभियान अच्छा लगा, सात महीनों में बहुत ठोस काम किया और करके दिखाया बनिस्बन केंद्र में उमा भारती के गंगा अभियान के जिसकी सिर्फ बकलोल ही हो रही है और केन्द्रीय मंत्री पता नहीं कहाँ गायब हो गयी, ना गंगा साफ़ हुई ना - हिसाब मिला अरबों रुपयों का. बस #अरविन्द ने यमुना आरती का निर्णय क्यों लिया यह समझ नहीं आया. अफसोस हुआ कि अरविन्द ने धर्म की अफीम चटाकर लोगों को यमुना को पवित्र रखने का बहाना खोजा है. यह वैज्ञानिक चेतना को फैलाने वाले संविधानिक कर्तव्य के खिलाफ है.  #अरविंदकेजरीवाल  के इस कदम की मै निंदा करता हूँ इसलिए भी कि धर्म निरपेक्ष राज्य में कोई भी राज्य इस प्रकार के खर्च सरकार की एकाउंट्स बुक में कैसे दर्ज कर सकता है ? या वैसे ही जैसे दिग्विजय मप्र में बोहरों के सैयदना को राज्य का अतिथि बनाते थे या अभी शिवराज ने राज्य प्रायोजित धर्म संसद इंदौर में आयोजित की. बेहद गंदा खेल, खतरनाक इरादे और गलत नींव अवाम को जाहिल और गंवार रखने का.  पढ़े लिखे और केंद्र सरकार के उच्च पदों पर आसीन लोग जब आंतकवाद से मरे लोगों के बारे में ओछे कमेन्ट करते है

Posts of 12 Nov 15

संसार में सबको दुःख होता है  और   अपना दुःख सबसे बड़ा लगता है. - रांगेय राघव संज्ञा ने आज यह खूबसूरत चित्र भेंट किया............एक पोस्ट के बाद, तो सच में सुकून मिला. शुक्रिया  Sangya Upadhyaya ********************************************************************************* और वो तीन लोग जिन्हें कल मिस किया और अब जीवन भर करता रहूंगा शायद अब कोई त्यौहार मना ना पाऊं कभी भी इस जीवन में, मेरे लिए वैसे भी त्यौहार कभी त्यौहार रहे ही नहीं, पर अब तो सब ख़त्म हो गया है मानो और एक गहरा नाता अंधेरों और बियाबानों से जुड़ गया है.  माँ, पिताजी और छोटा भाई, जिन्हें तिल- तिल मरते और अंत में खत्म होते देखा और अपने तई बचाने की भरसक कोशिश की पर बचा नही पाया और सारा जीवन एक अफ़सोस बनकर रह गया है.... ********************************************************************************* हमारे तीन दिए जिनसे रोशन है हमारा जहां और दो वो दिए जो तिमिर, तम, ताप और तृप्ति के प्रतीक है.......... सीखा यही और बच्चों के भी यही सिखाया कि जीवन में सुख मिले तो उसे खूब

Posts of 10 Nov 15

265 साल पुरानी आत्माओं को छेड़ना घातक है भागवत जी। जरा समझाइये अपने दंगा दक्ष सिपाहियों को। आपको वल्लभ भाई पटेल मिल गए ना सबके जवाब में फिर अब क्यों इतिहास से मुर्दे उखाड़ रहे है। इससे क्या होगा। गाय के मांस और गोबर का परिणाम देखा नही क्या 8 को। दीवाली मनाओ, देश का दीवाला मत निकालो। गाय, मांस, सम्प्रदाय और विकास के खोखले नारों के बाद पेश है नई विषाक्त करने वाली डिश टीपू सुलतान अरे ए बुड़बक, जरा देख और बता तो कहाँ है अब चुनाव !!!! कम से कम भाजपा से तो ज्यादा वफादार है कुत्ता. जब संस्कारित, वसुधैव कुटुम्बकम और जग सरमौर बनाने वाले लोग अपने पार्टी के लोगों को कुत्ता कहते है तो लगता है कि वे कुत्ता ना कहकर श्वान कह रहे है, और पूजे जाने के लिए तैयारी कर रहे है .........बस दिक्कत यह है कि शत्रुघ्न जी, जों राम के भाई है पुराणों में, इन महाशय को शुकर नहीं कहा....... बहरहाल, बड़े सदमे के बाद कैलाश जी का दिमाग दुरुस्त नहीं रहता , हम मालवे वाले इसके गवाह है. कोई अमित शाह को बोलो कि इनके बाल बढ़वाकर इन्हें भजन गाने और जगराते करने और नाचने को कहें, जय

Posts of 10 Nov 15

265 साल पुरानी आत्माओं को छेड़ना घातक है भागवत जी। जरा समझाइये अपने दंगा दक्ष सिपाहियों को। आपको वल्लभ भाई पटेल मिल गए ना सबके जवाब में फिर अब क्यों इतिहास से मुर्दे उखाड़ रहे है। इससे क्या होगा। गाय के मांस और गोबर का परिणाम देखा नही क्या 8 को। दीवाली मनाओ, देश का दीवाला मत निकालो। गाय, मांस, सम्प्रदाय और विकास के खोखले नारों के बाद पेश है नई विषाक्त करने वाली डिश टीपू सुलतान अरे ए बुड़बक, जरा देख और बता तो कहाँ है अब चुनाव !!!! कम से कम भाजपा से तो ज्यादा वफादार है कुत्ता. जब संस्कारित, वसुधैव कुटुम्बकम और जग सरमौर बनाने वाले लोग अपने पार्टी के लोगों को कुत्ता कहते है तो लगता है कि वे कुत्ता ना कहकर श्वान कह रहे है, और पूजे जाने के लिए तैयारी कर रहे है .........बस दिक्कत यह है कि शत्रुघ्न जी, जों राम के भाई है पुराणों में, इन महाशय को शुकर नहीं कहा....... बहरहाल, बड़े सदमे के बाद कैलाश जी का दिमाग दुरुस्त नहीं रहता , हम मालवे वाले इसके गवाह है. कोई अमित शाह को बोलो कि इनके बाल बढ़वाकर इन्हें भजन गाने और जगराते करने और नाचने को कहें, जयकारे