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Showing posts from July, 2020

Khari Khari and Drisht kavi posts of 16 to 18 July 2020

"सुना आपकी 14 पेज में कविताएं छपी है गोबराँचल के ताज़ा अंक में "- वे दिख गए बाज़ार में परवल खरीदते हुए तो मैंने सहज ही पूछ लिया "घोर कलयुग है भैया, भेजी तो कविताएँ ही थी - सम्पादक ने किसी लौंडे को दे दी तो उसने मेरी गद्य कविताओं का अपने ही साथ हुआ साक्षात्कार बनाया और आलूचना, सॉरी आलोचना के रूप में छाप दिया और ऊपर से हिंदी के बहिष्कृत लेखकों के वर्जन डालकर 14 पेज रंग डालें " कविराज रो रहें थे प्रलाप अभी पूरा नही हुआ फिर बोले " और तो और, ससुरा प्रकाशक बड़े वाला निकला - वो पत्रिका का प्रमोशन इन जड़ बुद्धिहीन प्राध्यापको और उस लौंडे के नाम एवं फोटुओं से पेल रहा है - हतो भाग्यम , हतो चिंता " कोरोना के मरीज का भी दर्द इतना ना होता होगा - उन्हें हाँफता हुआ छोड़ घर लौट आया मैं - मस्तराम का नया अंक लेकर बाज़ार से #दृष्ट_कवि *** मप्र में अपराधों की सँख्या भयानक बढ़ गई है, शिवराज सरकार का पूरा ध्यान सत्ता, मन्त्रिपदों की बंदर बाँट में और दो लोगों को साधने में लगा है मज़ेदार यह है कि जो गिरगिटी पुलिस कल तक कमलनाथ सरकार में शिवराज और भाजपा की विरो

Posts of 7 to 14 July 2020

बहुत चिंता है - कवि बोला कोरोना की ना -मैंने पूछा नही जी, लाइव पर लोग हंस रहें हैं, मेरे दस लाइव के प्रोग्राम की रूपरेखा तैयार है और कल से शुरू करूँगा , पर अब कुछ समझ नही आ रहा, कोरोना खत्म हो गया तो लाइव हमेंशा के लिए रह जायेगा, इतिहास में नाम भी नही लिखा जा सकेगा - कवि का जवाब था, आवाज़ मानो किसी सुरंग से आ रही थी निराशा में डूबी हुई एक काम करिये - यह घोषणा आज करिये कि आपको कोरोना हो गया है तो सहानुभूति मिलेगी और फिर दस दिन लगातार खूब लाइव ठोकिये जबरदस्त प्रसाद मिलेगा - हो सकता है कोई फुरसती सम्पादक दस बीस हजार लेकर आप पर एकाध विशेषांक निकाल दें - मैंने गम्भीरता से कहा कवि को व्योम में बिलखता छोड़ घर आ गया मैं #दृष्ट_कवि *** हिंदू राष्ट्र में नौ ब्राह्मण पुलिस एनकाउंटर में ठाकुर की पुलिस से मारे जाते है, एक ब्राह्मण के साथ धोखा करके मंदिर से ले जाते हुए विकास दुबे को मार डाला - हाय हाय, अनर्थ, घोर पाप हीहीही !!! भोत सही, सीने पे गोली ख़ाकर मरा ब्राह्मण देवता कित्ता बहादुर था कोरोना की ख़बरों के बीच यह ख़बर चौकाती है क्या मोदी जी एक राष्ट्र के

Epilogue - समाहार, Guru Pournima, Drisht kavi, khari Khari and other posts from 4 to 6 June 2020

कल एक फ़िल्म समीक्षा लिखी थी, तथाकथित बड़े अखबार के पोर्टल पर भेजा तो सम्पादक ने कहा कि यह नही ले सकता क्योंकि यह प्रमोशन है फ़िल्म का, यह मुम्बई से बनता है, दिक्कत हो जाएगी दिल्ली में, इंक्वायरी आ जायेगी कि यह प्रमोट क्यो किया जा रहा है तो कहाँ जाया जाए, अखबार में जगह खत्म, पत्रिकाओं में जातिवाद, दलितवाद, स्त्रीवाद और सबसे बड़ा अपना वाद है और हंस, तद्भव, वागर्थ से लेकर पहल में सम्पादक रचनाओं पर बैठ जाते है दो - तीन साल तक और यदि आपने पूछ लिया तो तुरन्त जवाब दे देंगे कि रचना उपयोगी नही है अब बचे निठल्ले पोर्टल, पोर्टल सारा कुछ निशुल्क लेते है क्योकि उन्हें दिनभर पोर्टल का पेट भरना है - जो उसे देख रहा है उसे अपनी नौकरी बचानी है, अपने चहेतों को रुपया देते है जो उनके लग्गू भग्गू है, बाकी को वेल्ला समझकर फ्री में उपकृत करते है और उसमें भी इतने नखरे है कि कहा नही जा सकता, इन लोगों का दिमाग चाचा चौधरी से पचास गुना ज्यादा तेज चलता है और ये सनसनिबाज सम्पादक उर्फ पेज संयोजक या डिजाइनर या डेस्क बाबू और बड़े वाले होते है - इनका कुल जमा समय अपने सम्पादक को रिझाने उसके लिखे कूड़ा करकट और उसकी

अधेड़ प्रेम की दिलचस्प दास्तान - "वन्स अगेन"

शेफाली शाह और नीरज काबी दो अधेड़ लोग है, शेफाली के दो जवान बच्चे है और नीरज की एक बेटी - शेफाली के पति के बारे में कोई सूचना नही है, वो एक रेस्टारेंट चलाकर बच्चों को बड़ा करती है और एक फोन कॉल उसकी जिंदगी बदल देता है, अभिनेता नीरज के लिए खाना भेजते हुए वह उसके जीवन का प्रेम बन जाती है पता नही चलता, सार्वजनिक जीवन मे इनके प्रेम के चर्चे होने लगते है, जवान बच्चे कोसते है पर थोड़े समय ठहरकर ये फिर प्रेम में संलग्न हो जाते है चालीस के बाद कि एकल स्त्री और प्रेम से ज्यादा वासना की चाहत में दर - दर भटकता पुरुष किसी भी दर पर जाने को तैयार है, उसके लिए कोई परहेज नही, हर प्रकार की स्त्री से प्रेम के लिए बेकरार है जिसका अंत उसके बंगले के बेडरूम में हो - वो कहता है " सबसे छोटी उम्र न्यूज की होती है, इसलिए जो खबरें फैल रही है, फैलने दो - हमें क्या, हम तो प्यार करते रहेंगे" ये कहानी समाज की है और थोड़ा श्रम करने पर इस तरह के एक नही हजारों केस मिल जाएंगे, फ़िल्म के बाद मेरे लिए जो सवाल अनुत्तरित रहते है वे परेशान करने वाले है क्योकि इन सवालों से मनुष्य सदियों से जूझ रहा है

Posts of 1 to 4 July 2020

कल गुरुपौर्णिमा है, गुरुओं के छर्रे ज़ूम से लेकर गूगल मीट पर दर्शन के मुंगेरी ख्वाब दिखा रहें है T&C Applied की तरह गुरुजी के बैंक डिटेल्स भी झाँक रहें है विज्ञापन में धँधा है पर गन्दा है और धँधा गन्दा होता नही फर्जी गुरुओं राशन हो गया खत्म क्या ? मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे जब कोरोना काल मे बंद थे और भगवान तक क्वारेन्टीन में रहें तो इन गुरुओं के छद्म खेल क्या समझ नही आ रहें यहाँ गुरु से आशय धार्मिक पाखंडी गुरुओं से है जो तमाम चोंचले करके जनता को मूर्ख बनाते है - भैय्यू महाराज याद है ना जो आत्महत्या कर मरा पिछले बरस - देश दुनिया तमाम ऐसे पाखंडियों से भरी पड़ी है और कमाल यह है कि पढ़ें लिखें लोग इनके चक्कर मे फंसे है खूब गुरुओं के देखा और समझा - मतलब हद ये कि कबीर, बुद्ध से लेकर वशिष्ठ तक के नाम पर लोग पूजा पाठ का ढोंग करके दान दक्षिणा, कपड़े लत्ते और सूखा अन्न लूट लेते है - इन पर तो मुकदमे दर्ज होना चाहिये जो अंधविश्वास फैलाकर जनता को मूर्ख बनाते है एक बात सोचिए क्या आपके गुरु इतने महान है कि रोटी नही खाते या उन्हें पसीना नही आता या संडास बाथरूम जाना बंद हो ग