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Showing posts from March, 2022

Khari Khari, Drisht Kavi, Kuchh Rang Pyar ke, Dhyanimani and other posts from 26 to 29 March 2022

महेश मांजरेकर और अश्विनी भावे के उत्कृष्ट अभिनय से पकी फ़िल्म 'ध्यानिमनी" मराठी फिल्म देख डालिये, मनोविज्ञान और जीवन की सच्चाई से अवगत कराती यह फ़िल्म रोंगटे खड़े कर देगी अमेजॉन प्राइम पर है *** फोन आया लाईवा का -"नौकरी छोड़ रहा हूं मैं 'वीसीआर' ले रहा हूं और एक नए वेरिएंट की स्विफ्ट डिजायर आई है - वही कार खरीद लूंगा" " अभी कहां हो" - मैंने पूछा "चप्पल की दुकान पर हूं, सैंडल खरीद रहा हूं - वुडलैंड का अच्छा डिजाइन आया है, इसको पहनने से मेरे पांव का फेसकट अच्छा हो जाएगा, बस इधर से आपके घर ही आउंगा - आप घर पर मिलेंगे ना" - लाइव बोला मैंने कहा - "नहीं बाबा, मैं बस 5 मिनट में बाहर निकल रहा हूं तीन माह पहाड़ पर , अब जुलाई में ही आऊंगा" इसकी कविताएं सुनने से अच्छा है शहर छोड़ कर भाग जाओ, कमबख्त वीआरएस को वीसीआर कहता है, नए मॉडल को वैरीयन्ट कहता है और पांव का फेसकट क्या होता है बै साला अंग्रेजी की हत्या करने में इससे बड़ा कोई खिलाड़ी नहीं देखा - हद है इन हिंदी के कॉपी पेस्ट प्रतिभाशाली कवियों की भाषा #दृष्ट_कवि *** टीना डाबी शादी करें, त

Amber Pandey on FB

  हिंदी साहित्य के लाइव में लोग जुटाने के लिए कौन से हथकण्डे अपनावे? हिंदी साहित्य के लाइव दिनबदिन उजाड़ होते जा रहे है। यदि आप भी रोज़ाना के लाइवकर्ता है तो निम्नलिखित हथकण्डे अपनाए। लोग आपके लाइव में चित्रलिखित बैठे रहे जावेंगे- १. जैसे ही आप लाइव हो और आपको भली भाँति यह ज्ञान हो जाए कि जनता आपको ठीक से सुन पा रही है, आप कहने लगिए, “क्या मेरी आवाज़ आप तक पहुँच पा रही है? सुश्री जी क्या आपको मेरी आवाज़ आ रही है? मैं तकनीक के विषय में नितान्त भोला हूँ” आदि। इससे लोग आपको वरिष्ठ साहित्यकार मानेंगे और आपका क़द बिना कुछ किए धरे बढ़ जाएगा। वरिष्ठों को सुनने का चाव जनता में फ़रिश्तों और सनी लेओनी को देखने से अधिक है। २. लाइव के दौरान भले विषय नारीवादी साहित्य में स्त्रियों के अंतःवस्त्रों का बखान हो या लम्पट आलोचकों का हिंदी साहित्य को अनुदान— किसी बहाने से इस्पहानी, इतालवी, फ़्रांसीसी, चेक या हंगारी साहित्य का कोई विवरण देने से न चूके- जैसे कहे — साहित्यकारों के आपसी प्रेम सम्बन्धों के इस लाइव के दौरान लेमीना का प्रसिद्ध कवि नाब्लू पेरोदा को लिखा एक पत्र याद आ गया जिसमें वह कहती है- “पापी

Khari Khari, Kuchh Rang Pyar ke Jharkhnad Gumla stories and Posts from 20 to 25 March 2022

|| चीखती है हर रुकावट ठोकरों की मार से || वर्षारानी बकला - ग्राम लूँगा, ब्लॉक रायडी, जिला गुमला की निवासी है, उन्होंने गुमला के एक महाविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए किया है, वर्षा के गांव में लगभग 85 परिवार रहते हैं - जिसमें सरना आदिवासी प्रमुख है, सरना आदिवासी के अतिरिक्त गांव में अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के साथ ओबीसी आदि समुदाय के लोग भी रहते हैं सभी लोगों को पानी की समस्या से लगातार जूझना पड़ रहा था और समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, पंचायत में बार-बार बात करने के बाद भी जब समस्या का हल नहीं हुआ तो सब लोग चुप बैठ गए और जैसे - तैसे भगवान भरोसे जिंदगी काटने लगे #विकाससंवाद भोपाल ने #एचडीएफसीबैंक के साथ मिलकर गुमला जिले के दो ब्लॉक में जब काम शुरू किया तो वर्षा को मालूम पड़ा और उसने इस परियोजना में "विकास मित्र" के रूप में ज्वाइन किया तब से उसका पहला स्वप्न था कि अपने गांव की समस्या का हल कैसे किया जाए, उस पर काम हो, बात हो तो वर्षा ने अपने संयोजक से उसने बात की और लोगों को तैयार किया कि वे इसमें भागीदारी निभाये, आखिर काम शुरू हुआ, कल गांव के लोगों ने स्टॉप डे

Drisht Kavi and other Posts from 17 to 19 March 2022

लेखक, शोषक और रॉयल्टी विवाद पर प्रकाशकों के हास्यास्पद बयान आ रहें है, जिस तरह से कन्फेशन, फ्रस्ट्रेशन और बकवास से अपनी ही पीठ थपथपाकर काम पर लौटने के, [ मल्लब मुर्गे फाँसने के ] सेल्फ मोटिवेशनल कैम्पेन चल रहे है वे बेहद शोचनीय है - ऊपर से इनके 'अस्पष्टीकरण' पढ़िए - मतलब सबको सुतिया समझ रखा है, जो तुम्हारे यहां छपा वो महान, उसे पुरस्कार भी दिलाने की सेटिंग कर ली क्या, बाकी लेखक - प्रकाशक सब कचरा है क्या, कहां से लाते हो बै इतना कूड़ा, इतना श्रेष्ठता का बोध लेखकों से लिये रुपयों से ही खरीदते हो ना फुटपाथ के पंसारी से इनके लेखक देखिये - ब्यूरोक्रेट्स, प्राध्यापक, पुलिसवाले, सवर्ण, अभिजात्य वर्ग, पूंजीपति, उद्यमी, रिटायर्ड खब्ती, फॉर्म हाउस वाले - अव्वल तो महिलाएँ है नही और यदि महिलाएँ है तो भी गिनी - चुनी, वो ब्यूरोक्रेट्स की बीबियाँ या उचकती - फुदकती औरतें जो कभी ना कभी काम में आधार देकर संकट मोचिनी बन जाती है गज्जबै समझ है भाई, अपने एपिटाफ़ अपने पास रखों ना - हमें क्यों पिला रहें - हम गिरजाघर के पादरी नहीं जो तुम्हारे उजाले में किये पाप और राज दबा जाएंगे, तुम जैसे लोगों के लिए प

Amber on Gharane of Hindi literature 16 March 2022

  होली का व्यंग्य हिंदी साहित्य के घराने क्लासिकल संगीत की तरह हिंदी साहित्य में भी घरानेदारी का रिवाज है और सिक्का जमाने के लिए कोई घराना पकड़ना ज़रूरी होता है। आज हम पढ़ेंगे है हिंदी साहित्य के घरानों के बारे में— १. भोपाल स्कूल ऑफ़ पोयट्री: यह हिंदी साहित्य का सबसे मशहूर घराना कहा जा सकता है क्योंकि इसकी घरानेदारी सीखना सबसे आसान है— इस घराने की विशेषता है- अमूर्तन, प्रत्येक वस्तु का अमूर्तन करना इस घराने की सबसे बड़ी विशेषता है जैसे इन्हें कहना हो पाखाने में पानी नहीं आ रहा तो भोपाल स्कूल ऑफ़ पोयट्री का आदमी कहेगा- जल पाखाने में बह रहा है। अब बुआ होकर आई है, अब पिता जी जा रहे है। अब रीता लोटा लुढ़क रहा है। अब पाखाने में पानी ख़त्म हो गया है। सूरज चढ़ आया है। आदि। इस घराने के पितृपुरुष श्री अशोक वाजपेयी जी ने यह घराना बरसों हुए त्याग दिया है और उनके छोटे भाई और कई अन्य स्त्री पुरुष इस घराने के अंतर्गत लेखन कार्य कर रहे है जिसमें कहानी, कविता आदि शामिल है। रमेशचन्द्र शाह जी को इस घराने का इन दिनों मुखिया माना जाता है। अपठनीयता इस घराने की मूल शर्त है। पठनीय रचना होने पर घराने की मोहर