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Showing posts from May, 2020

Post of 31 May 2020

किसी साहित्यकार से दोस्ती होना जरूरी है क्या और इसके भी भेद है - कहानीकार, कवि, उपन्यासकार और आलोचक - सबसे ज़्यादा बेहतर कौन हो सकता है एक दोस्त के तौर पर बहुत सालों से इन्हीं इन्हीं को देखकर उकता गया हूँ साथ ही कुछ और लोगों से भी लगता है कुछ नया सकारात्मक सोचना और करना है तो इनसे निजात पाये बिना संभव नही - ये तो वैसे भी सुलभ है कही ना कही दिख ही जायेंगे चमकते और निंदा पुराण में व्यस्त कुछ हस्तियों और चमकदार सितारों को दो तीन साल पहले बाहर किया था तो सुकून मिला था - अपुन वैस े भी विशुद्ध लठैत है - प्रेम मुहब्बत के चक्कर मे है नही, ना ही किसी से रोटी बेटी का सम्बंध निभाना है ना किसी से फायदा लिया और ना लेना है मजदूरी करता हूँ और अपना खाता हूं, किसी से दो कौड़ी का चरित्र प्रमाणपत्र लेना नही या भला बुरा होने का थेगला लगवाना है और जिससे भिड़ना होता है - सीधी बात करता हूँ , अभिदा, लक्षणा, व्यंजना में बात अपने बस में नही, आलोक बाबू सीखा देते तो हिंदी के चार ठों पीजीटी या कवियों को ही निपटा देता, अभी एक ही निपटा है बाबा महाँकाल की कृपा से - कच्चे कान का भी नही कि यहाँ - वहाँ की बकलोली स

Posts of 26 to 30 May 2020

घोड़े पर बैठे कलेक्टर की याद - अलविदा जोगी ◆◆◆ जगह जगह दुर्गा की मूर्तियां स्थापित है, प्रशासन चेतावनी देता है कि इनका विसर्जन कर दें परन्तु दुर्गा समिति के लोग नही मानते, रात को अचानक पुलिस की गाड़ियां आती है और सारी मूर्तियां उठा ले जाती है और क्षिप्रा नदी में विसर्जित कर आती है यह शायद 1984 - 85 की बात है बाबरी मस्जिद ध्वंस के लिए माहौल बन रहा था धर्मांधता चरम पर थी, दोनो ओर से फासीवादी ताकते एक हो रही रही थी, देवास में लोग धमकी देते है कि जुलूस निकालने की इजाजत दी जाए या जितनी जगह मूर्तियां स्थापित उतने ही स्थाई मंदिर बन जाएंगे देवास में एसडीएम सुश्री मधु कपूर थी जो बाद में मधु हांडा बनी और नरोन्हा अकादमी के महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुई , वे अजीत जोगी के नेतृत्व में फ़ौज लेकर आती है रातम रात मूर्तियां उठवा ली जाती है और मूर्तियों को ससम्मान विसर्जित भी कर दिया जाता है क्षिप्रा नदी में - सुबह सब ताकते रह जाते है उस रात मधु कपूर को और इंदौर कलेक्टर को घोड़ो पर रात भर शहर में घूमते हुए देखा था, थोड़े दिनों में ही अखबार में पढ़ा था कि वे राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किये गए थे

अपने से लड़ाई Fight Against Blood Sugar

अपने से लड़ाई - 1 ◆◆◆ ये अनुष्ठान सब कर सकते है जीवन मे मुझे मीठा खाना बहुत पसंद है और खाना बनाना भी अच्छे से आता है यूँ कहूँ कि चटोरा हूँ , शुगर की बीमारी नही पर शुगर नियंत्रण में नही रहती - जेनेटिक वजह और लापरवाही भरी जीवन शैली से शुगर हो गई है दस पंद्रह साल हो गए है, मीठा छोड़ा था शुरू में, पर अब सब खाता हूं शुगर को खत्म नही किया सकता खासकरके यदि टाईप 1 हो तो पर आप नियंत्रण से सामान्य जीवन जी सकते है, मैं ही गम्भीर मरीज हूँ और इसके साथ बीपी, थायरॉइड बोनस में आता ही है यहाँ मैं कैसे 700 भूखे पेट वाली शुगर का मरीज होकर इतना घूमता फिरता हूँ, मेरा Hb1AC भी 9 से 14 के बीच रहता है अक्सर और तथाकथित काम मे व्यस्त रहता हूँ - की चर्चा करूँगा शायद किसी को कोई मदद मिले लड़ने में खाने से शुरू करूँगा बता दूं कि सब खाने लगा हूँ अब तनाव मुक्त होकर नमकीन, मीठा, फल, तेल - घी मतलब एकदम सब कोई परहेज नही करता कुछ टिप्स बताऊंगा जो मैं करता हूँ - आप डाक्टर से पूछकर करें अपुन को बाद में कोसने का नई पहली किश्त ● चाय जब भी पियो उसमें दालचीनी का पाउडर छोटा आधा चम्मच जरूर हो ● हर बघार में

Posts of 23 to 27 May 2020

लॉक डाउन फेल आर्थिक मोर्चे पर फेल मजदूरों के कारण बदनामी पाकिस्तान में भी कोरोना तो मित्रों पेश है देशभक्ति जगाने की नई दवा भारत चीन पर सीमा विवाद, रोज देश का समय बर्बाद कर रहें हैं, सेना के तीनों अंगों का भी और मीडिया को तो चिन्दी चाहिये ही - आ गए व्हाट्सएप पर कचरा कूड़ा लेकर और अब नया दुश्मन मुसलमान नही - चीनी है और मैसेज की खेप अबकी बार इतनी अश्लील और घटिया है कि आप कल्पना नहीं कर सकते घटिया लोग है अपनी अकर्मण्यता छुपाने को नया शिगूफा लायेंगे और इस बीच महाराष्ट्र में सरकार गिरा कर अपने उल्लूओं को थोप देंगे कभी देखा सुना है ऐसा देश - माफ़ करिये आपको इससे भी बदतर शासक मिलना चाहिये, हम और आप इसी लायक है ढक पर मरने को ही अभिशप्त रहें बस लॉक डाउन नही सोची समझी साजिश और बड़े खेल है हम सबके साथ # खरी_खरी *** मुम्बई से देवास एक मित्र ट्रेन से आ रहा है , मैंने उसे सन्देश दिया कि हैदराबाद में खाना लेकर आऊंगा दिन का, रात का खाना मेरा एक भाई - जो गौहाटी में रहता है दे जाएगा और अगले दिन का नाश्ता लखनऊ में मुकेश भार्गव जी दे जाएंगे फिर लंच और मिठाई आलोक झा एर्नाकुलम में दे

Idd and Posts of 24 and 25 May 2020

शायद पहली बार कोई हामिद मेला जा नही पायेगा पर अच्छी बात यह है कि इस तरह दादी के पास ज्यादा और रह पायेगा और सारा दिन घर में ही शोर करता रहेगा, चिल्लाता रहेगा, खेलता रहेगा रंग बिरंगी कपड़े पहनकर इठलाता रहेगा - खिड़की से झाँकेगा और कोई गुजरा सड़क से तो मुस्कुराकर कहेगा "ईद मुबारक" आप सब दुआ करें कि दादी और हामिद की खुशियाँ बनी रहें, दुनिया में मेले फिर सज जाएंगे - बस दादी, हामिद और बिजली के लट्टूओं की तरह से सुंदर कतार में सजदे में झुकने वाले सर बचे रहें, सुरक्षित रहें और आबाद रहें , खुशियों से दामन भरा रहें सबका सबको मीठी ईद की मुबारकबाद *** कोरोना काल में गरीबी है - बहुत इसलिए नए रेट्स की घोषणा कर रहा हूँ - साला बीस लाख करोड़ में मेरे कूँ एक चवन्नी या अठन्नी भी नही मिली 60 दिन हो गए आज , तो मित्रों ध्यान रहें ये नए रेट्स प्रति इंट्री - भारतीय रुपयों में ( डॉलर में नही) ● पेज मात्र लाइक करने के 500/- ● पेज की पोस्ट पढ़ने और कमेंट के 1000/- ● कविता पढ़ने के 2000/- ● कविता पर कमेंट और शेयर के 3000/- ● यूट्यूब देखने के 2000/- ● यूटयूब सब्सक्राइब करने के 5000/

Posts of 19 to 24 May 2020

नैनं छिंदन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ◆◆◆ देवास में एक मित्र है, उसकी बहन के पति का केस है जो खरगोन में किडनी फेल होने से भयानक तकलीफ में थे, बड़ी मुश्किल और बहुत प्रयास करने के बाद उन्हें इंदौर लाने की अनुमति मिली थी विशेषज्ञ को दिखाने की क्योकि वहां डायलिसिस सुविधा और विशेषज्ञ नही थे, खरगोन प्रशासन पहले उन्हें खंडवा या देवास जाने का ई पास देने पर अड़ा था, देवास में पता किया तो डायलिसिस हो तो रहा था पर अनियमित सा था और उन्हें ले भी आते तो ऑपरेशन कर जुगलर और फिसचुला बनाने  वाले सर्जन उपलब्ध होते या नही - यह पक्का नही था - हम लोग इंदौर में अनुमति मिलने का इंतज़ार करते रहें बड़ी मुश्किल से अनुमति मिली , इंदौर आये उनका इलाज आरम्भ हुआ, सर्जन से जुगलर लगाकर डायलिसिस शुरू किया और कोशिश कर रहे थे कि वे बच जाएं, पर स्थिति बिगड़ती गई और आखिर कल उनका मेदांता अस्पताल, इंदौर में उनका निधन हो गया, यहाँ तक लाते - लाते इतनी देर हो गई थी कि कहा नही जा सकता - मेदांता में डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की - जुगलर लगाकर डायलिसिस शुरू भी किया पर उन्हें बचाया नही जा सका आज उन्हें खरगोन जाने की अनुमति दी

Posts of 18 to 20 May 2020 Drisht kavi and Khari Khari

एक बूढ़ा बामन और दूसरा बूढ़ा गंजा - दोनो सोशल मीडिया पे फेल थे और साहित्य जगत में चुके हुए कवि सिद्ध हो चुके थे, अब या तो ये नगदी पुरस्कार की राह देखते या कार से ला - ले जाने वाला कवि गोष्ठी का आयोजन तलाशते - बस दोनो को हाथ फेरने को कोई तो चाहिये था साथ ही जो इनके सड़े गले फ़ासीवादी विचारों को मंच पर बोल सकें या जाति, वर्ग संघर्ष के ख़िलाफ़ उगल सकें एक अश्लील रात को अद्दी पीकर दोनो ने फोन मिलाएं और ताल तलैया किनारे नाव में सवारी करते तय किया कि नए उभरते एक युवा कवि को पुचकारने का  ठेका लिया जाये - युवा भी झांसे में आ गया और फिर कहानियों के किस्से चालू हुए जगत में इधर दोनो कान भरते और उधर वो माउथ पीस बना आग उगलता - साहित्य की गलीज दुनिया ही ऐसी थी - यही हाल मीडिया का था कुल मिलाकर कुदृष्टि रखने वाले दांत टूटे बूढ़े और गंजे होते जा रहे कवियों को, वरिष्ठ पत्रकारों को सूचना तकनीकी, सोशल मीडिया में दक्ष, भाषा के कौशल से पूर्ण, जान पे खेलने वाले खिलाड़ी लौंडे चाहिये थे - जो सदियों से उपेक्षित थे और नाम, यश जल्दी कमाकर बेताज बादशाह बनने का ख्वाब देखते थे, ये युवा तुर्क कठपुतली बनकर इनके मैदा

कितने_किस्से_कितनी_कहानियाँ Corona 19 May 2020

सुबह 735 हो रहे है इतनी सुबह उठकर खरीदी बिक्री की आदत नहीं पर अब लगभग 50 दिन हो चलें है आज भी तरबूज, खरबूज और आम की आवाज आई तो नीचे उतरा और ठेले वाले को रोककर भाव किया और दो किलो आम, तरबूज और खरबूज लिया उनसे सहज ही पूछा कि तरबूज कहाँ से ला रहे हो - तो हड़बड़ा गया " बाबूजी मेरा नाम राजू है और ये सब माल फल मंडी का है देखिये दस्ताने पहने है, हाथ भी धो लेता हूँ साबुन से, सेनिटाईज़ भी करता हूँ, आप बेफिक्र रहिये " समझ नही आया, मैंने धीरे से पूछा कि मुझे हिन्दू मुस्लिम में रुचि नही है - सिर्फ यह जानना था कि तरबूज नर्मदा नदी नेमावर का है या बड़वाह का है .... वो थोड़ा नॉर्मल हुआ - बोला , " बाबूजी आपको जानता हूँ - 4 साल पहले आपके घर मे पुताई की है मैं वही हूँ - कही आप पहचान ना लें और बस डर गया था " और यह कहकर वो चुपके से निकल गया याद आया सब कुछ मुझे, फिर लगा कि सब्जी, भाजी या फल - फूल तो कोई घर नही बनाता, कोई कारखाने नही है फिर हमने कैसा माहौल बना दिया है, हर सब्जी वाले को मोहल्लों और कॉलोनियों में शंका की निगाह से देखा जा रहा है सुबह 6 बजे से वे ठेले पर सामान लाद

Posts from 13 to 18 May including We the Middle Class and other Drishta kavi

सुप्रीम कोर्ट को बता दो कि आज सुबह 24 मजदूर मर गए सड़क पर 53 वे दिन तक 600 मज़दूर मर गए है - किससे ज्यादा मरे लोग - कोरोना से या अव्यवस्था और कुप्रबंधन से सरकार के - कोई समझाओ जज साहब को सरकार के साथ न्यायपालिका भी बेख़बर है , अदालतों में बैठे लोग अंधे हो गए क्या - दिख नही रहा इन्हें , कल उन न्यायाधीशों को शर्म नही आई कि वे मासूम बन रहे है, संविधान का अर्थ नही मालूम, हम सबके मौलिक अधिकारों का खुले आम उल्लंघन हो रहा, एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए अनुमति राज्य किस कानून  के आधार पर तय कर रहें हैं, जज साहब आप लोग हो किस दुनिया मे भाजपा के मोदी शाह और शिवराज को मप्र में सरकार खरीदने की हवस ना होती और नमस्ते ट्रम्प करने का शौक नही होता ना इस आदमी को तो कम से कम इतनी बर्बादी नही होती - 30 जनवरी को पहला केस आया था क्या किया, कोई दृष्टि नही - विजन नही - अपढ़ और कुपढ़ों से क्या उम्मीद कर सकते है इन सारी मौतों की जवाबदेही कोरोना नही बल्कि इस सरकार की है और इस बात को याद रखा जाना चाहिये कि कैसे दो लोग पिछले 6 सालों से देश को हर मोर्चे पर बर्बाद कर रहें हैं पर इन बेशर्मों को होश है