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Showing posts from September, 2020

Posts of 22 Sept 2020 Private School Teachers and Fees , Agri Bil and PM Kisan Samman Nidhi

परीक्षा है कल से 27 तक LLB अर्थात लॉ के चौथे सेमिस्टर की , घर पर ही नकल करके लिखना है means On Line Exams , पर 5 पेपर 25 प्रश्न और दो सौ पन्ने कम से कम - ऊपर से हाथ से लिखना है - मरण ही मरण है कुल मिलाकर मार्कवा उर्फ़ जुकरबर्गवा से सेबा में भोत ही ज़्यादा नरम निवेदन कि चार दिन का आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करें जै राम जी की मित्रों परीक्षा और कोरोना से बचें तो 28 को इंशा अल्लाह मुकालात होगी ही  *** "तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिए छोटी-छोटी मछलियां चारा समझ कर फेंक दी" - दुष्यंत कुमार ◆◆◆ हे भारतीय किसान, ले लो ₹ 2000/- महीना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का अपनी प्रिय सरकार से, एक साल मजे लिए सम्मान निधि के अब चलाना इसी ₹ 2000 /- से अपना जीवन और सब सपने कर लेना पूरे, शादी ब्याह, इलाज, खेती बाड़ी और ऐश से जीना ज़िंदगी - अरे ओ सांबा कितना खर्च आता है मरने के पहले दिन और नुक्ते का धोती और पगड़ी - जरा देखो कहां है अपनी - शेष है या खींचकर ले गई है तुम्हारी सरकार और बनाओ सरकार मजदूरों आज से देश में तुम भी महान हो गए , बिल पास हो गया तुम्हारे भी "फेवर" में जियो हो लल्ला

Posts from 16 to 22 Sept 2020

कल रंग है री ! 💖💜💙💚💛🖤 युवा मित्रों, छात्रों, कलम के मज़दूरों, मेरे जैसे हम्मालों कल एक सुहाना दिन है, और मेरा जन्म दिन सो आपका जन्म दिन का रिटर्न गिफ्ट लेने का मौलिक अधिकार है कल इतना हल्ला करो कि देश में कभी ना हुआ हो - मेरे जैसे एक व्यक्ति ने देश को बर्बाद कर दिया है - मुझसे सीधा इस्तीफ़ा मांगो और कोई तरीका ही शेष नही अब देश की सीमाओं से लेकर खेत की ज़मीन तक, स्कूल आँगन वाड़ी से लेकर अस्पताल के गलियारों, सेना के दफ़्तरों से लेकर राशन की दुकानों में घपले है - जाति से लेकर प्रशासन तक में फुट डाल रखी है ,अदालतों से लेकर शौचालयों तक बदबू और सड़ांध है मुहल्ले के आवारा कुत्तों से लेकर ऐरे गैरे सूअरों का ख़ौफ़ है - भावनाओं से लेकर संविधान बदलने की घटिया कोशिशें हो रही है, कानूनों के नाम पर उच्च स्तर की तानाशाही थोपने की होड़ मची है, राज्यों के मुख्यमंत्री राष्ट्रपति से बड़े हो रहें हैं और अपनी हदें पार कर रहें हैं, मंत्री,राज्यपाल और पुलिस संविधानिक मर्यादाएं तोड़कर अपनी मर्जी से प्रदेश चला रहे है युवाओं को झंडे डंडे देकर रैलियो में हांक दिया और जब रोज़गार मांगा तो रासुका में बन्द करके देश

Posts from 9 to 16 Sept 2020 Khari Khari, Drisht kavi and Bhiga Man

  कोविड के नाम पर जो मौतें हो रही है भारत में - कम से कम वह प्रायोजित सामूहिक नरसंहार है जब राज खुलेगा तब इसकी भयावहता नजर भी आयेगी और मानवता के असली दुश्मनों की पहचान भी होगी अफसोस सिर्फ इतना है कि हत्यारे तब तक कूच कर चुके होंगे सब कुछ कमा धमाकर अभी एक परिचित जो कल तक भले चंगे थे अस्पताल उन्हें गम्भीर बता रहा है और उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया है कल रात, उनका कोविड का इलाज किया जा रहा है जबकि चार दिन बाद रिपोर्ट अभी तक आई नही है और आज अस्पताल कह रहा है कि स्थिति बिगड़ गई है मुझे और बहुत लोगों का यह ख्याल है कि इस सबके पीछे बड़ा षड्यंत्र और अंग व्यापार की भी आशंका है - जिस पर तुरन्त ध्यान देने की जरूरत है [ सम्पादित - अभी अभी खबर मिली कि आखिर उनकी मृत्यु हो गई है, बहुत ही दुखद ] ●●● ओम शांति नमन और श्रद्धांजलि *** गृह मंत्री अमित भाई शाह को कल देर रात पुनः अस्पताल में भर्ती किया गया , एक डेढ़ माह में वे तीसरी बार भर्ती हुए है उनके स्वस्थ होने की कामना करता हूँ - तारीफ इस बात की है कि वे विदेश अभी तक नही गये है इलाज के लिए सुझाव यह है कि वे पूर्ण रूप से ठीक हो जाये, पूरा आराम करें और तब तक

Posts from 17 Aug to 8 Sept 2020 Drisht kavi, khari khari and others

दीपक मिश्रा, रंजन गोगोई और अब अरुण मिश्रा जैसे जजों ने यह बहुत साफ सन्देश दिया कि फासिस्ट ताकतें अब न्याय क्षेत्र में है तो आम आदमी होने में और धर्म निरपेक्षता का कोई अर्थ नही - सत्ता मनमाने फैसले करवा सकती है यानि करोड़ो लोग लॉक डाउन में पैदल चलें और कोर्ट को दिखा नही - कमाल, 48 हजार झुग्गी हटा दो और कोई बोलेगा नही, बहुजनो को लड़ने पर ना न्याय मिलेगा न उनके हक सुरक्षित है यह पद्धति कांग्रेस ने शुरू की और आज देश भुगत रहा है पूरा कानून पढ़ रहा हूँ पर जो उदाहरण देख रहा हूँ वो घा तक और भयावह है - ये नज़ीरे आने वाले समय के लिए खतरनाक होगी जैसे अब कोई स्टे आर्डर नही देगा इस देश का अब कुछ नही हो सकता *** "सुनिये, जरा अंदर आईये ना " - कवयित्री की गली से गुज़रते हुए लाइवाकवि ने आवाज़ सुनी तो चहक उठा और फुर्ती से घर में घुस गया ये हिंदी का पीजीटी भी था किसी केंद्रीय विद्यालय में, पर भड़कता शोले टाइप था - जो कॉलेज की नौकरी ना मिल पाने के गम में कुंठित हो गया था हिंदी की तमाम फर्जी डिग्रियाँ होने के बाद भी और जमकर कविता लिखता था " कहिये आज आखिर आपने कविता सुनने के लिए बुल