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Showing posts from August, 2020

पंडित जसराज जी को नमन 17 Aug 2020

।। सुमिरन कर ले मेरे मना ।। ------------------------------------ काम क्रोध मद लोभ बिना छड़ दे अब संत जना कहे नानक शाह सुन भगवाना या जग में नही कोई अपना कबीर और नानक की वाणी को पंडित जी ने अपने भजनों के माध्यम से जगत में पहुँचाया कविता कृष्णमूर्ति और उनके पति डॉक्टर एल सुब्रमणियम को मंच पर आमंत्रित कर यह अदभुत बंदिश जो राग भैरवी में निबद्ध है , प्रस्तुत की ●●● अब कहाँ से सुनेंगे ये अमृत वाणी पंडित जी को नमन *** कुमार जी, भीमसेन जी और अब जसराज जी ◆◆◆ यूँ तो दिल्ली, इंदौर आदि जगहों पर क़ई बार सुना उन्हें पर वे उस दिन देवास में थे मल्हार स्मृति मन्दिर में और हॉल भरा हुआ था, मैं एकदम आगे बैठा था, सब तल्लीन होकर सुन रहें थे और मैं बेचैन था कि मेरा पसंदीदा भजन कब गाएंगे कार्यक्रम में ब्रेक हुआ, भारी मन से बाहर आया और अपना मुंह टेकड़ी की ओर किया - मैंने मन ही मन कहा कि क्या देवास या माँ चामुंडा / माँ कालिका की नगरी में आकर भी भजन नही गाएंगे तो क्या मतलब पुनः कार्यक्रम शुरू हुआ, बड़ी विनम्रता से वे मंच पर आये और सबका झुककर अभिवादन किया और बोलें कि &qu

Prashant Bhushan, 15 th August and Posts of 14 to 18 Aug 202 Drisht kavi and Khari Khari

50 से लेकर 60 के लोगों को युवा कहते आयोजको को लज्जा आनी चाहिए असल में - गलती इन 50 से लेकर 85 तक के कवियों की नही ये तो बेचारे है जो शुगर की गोलियाँ और बत्तीसी लेकर कविता की सेवा करने जेब से रुपया लगाकर "पोच" जाते है कही भी पिछले दिनों एक आयोजन में हिंदी के 6 कवि युवा कहे गए जिनमे से एक उसी समय रिटायर्ड हुआ, दूसरा 59 का है तीसरा 52 का है....And so on दो तो मुझे साफ लिखने पर नाराज हो गए और बाकी से मन मुटाव हो गया, इनमें से एक अपने से "बड़े वाले" को इष्ट कहकर कविता की वैतरणी प ार कर गया बाकी तो राम भला करें काव्य और कविता का - दूसरे के बंधुआ है कुछ साला अजीब हालत है हिंदी जगत की - एक 72 के ऊपर है लौंडो टाइप घने बाल वाली फोटो लगाकर नई प्रोफ़ाइल बना ली और बेवकूफ बनाता है दुनिया को ये ससुरा युवा होता क्या है - युवा भी युवा नही रहें - शोध करते करते 35 - 38 के हो गए , गाइड के चरण धोकर पी लिए,नहा लिए फिर भी नौकरी नही बापड़ो को , इनकी चम्पाओं को दलित - आदिवासी या महिला कोटे से नौकरी मिल गई और वो इन्हें गंगाराम कुंवारा रह गया टाइप गाना गाने के लिए छोड़कर किसी और के साथ

बेंगलोर पर नही लिखा & सुदीक्षा की पोस्ट - Posts of 11 to 13 Aug 2020

बहुत मित्र पूछ रहे है कि बेंगलोर पर नही लिखा या अलानी फलानी घटना पर नही लिखा फेसबुक पर जब ऑरकुट से आया था तो इसे बेहतर पाया था और ज़्यादा उपयोगी पाया था - खूब दोस्त और रिश्तेदारों को, सहकर्मियों और छात्रों गुरुओं को जोड़ा था और आज दस साल बाद सबको हटा रहा हूँ क्या 138 करोड़ लोगों के देश में अब फेसबुक और ट्वीटर हमारे सुख दुख, सामाजिक विकास और दंगे फ़साद या लॉ एंड ऑर्डर एवं कानून व्यवस्था नियंत्रित करेगा, बहुत खुले मन से मनमोहन सिंह से लेकर नरेंद्र मोदी तक की समालोचना की नीतिगत पर कभी बिलो द बेल्ट या भड़काऊ पोस्ट नही की ना किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी में आकर लिखा - यह मेरा मानना है इसके लिए बहुत हद तक वो जिम्मेदार है जो देश विदेश में बैठकर यहाँ के लोगों को भड़काते है और दंगे फ़साद करवाते है - ये लोग संघी, भाजपाई, कांग्रेसी, सपाई , बसपाई , वामपंथी हो - मीडिया वाले हो या ह्यूमन राइट के नाम पर देश विदेश में लाखों करोड़ों की तनख्वाह लेकर रायता बांटने वाले गुंडे हो जो उच्च शिक्षित है और हर बात पर प्रतिक्रिया देते है, लोगों की पोस्ट्स पर जाकर धमकाते है और अपने संबंधों का फायदा उठाकर भारत के समाज

डॉक्टर इलीना सेन का जाना 9 August 2020

Subah Sawere 11 Aug 2020  डॉक्टर इलीना सेन का जाना हम जैसे मित्रों के लिए बड़ा सदमा है और इस वक्त लिखना बेहद मुश्किल छत्तीसगढ़ के आदिवासियों और खदान श्रमिकों के साथ लंबे समय से काम कर रहीं नारीवादी विचारक और कार्यकर्ता प्रो. इलीना सेन का कल निधन हो गया, सत्तर-अस्सी के दशक में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करते समय ही जहाँ वे एक ओर नारीवादी आंदोलन और संगठनों से जुड़ीं , इसी समय, वर्ष 1978 में दिल्ली में आयोजित एक मीटिंग में प्रसिद्ध नारीवादी पत्रिका ‘मानुषी’ की स्थापना हुई थी वहीं दूसरी ओर, इलीना सेन होशंगाबाद में अपने शोधकार्य के लिए फ़ील्ड-वर्क करते हुए खदान श्रमिकों और आदिवासी महिलाओं के आंदोलनों के निकट संपर्क में आईं;  ये वही दौर था जब शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संगठन और छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, वहाँ श्रमिकों और आदिवासियों के राजनीतिक आंदोलन को वैचारिक धार देने का काम कर रहे थे, छत्तीसगढ़ के श्रमिक आंदोलन में इलीना सेन की भागीदारी और आदिवासियों से उनका लगाव-जुड़ाव जीवनपर्यंत बना रहा शिक्षा और भाषा के प्रश्न पर भी वे काफी सजग थीं। होशंगाबाद म

मत कहो आकाश में Brahmin CM in Hindi States 11 Aug 2020

मत कहो आकाश में Rishi Bharadwaj  सतना मप्र के रहने वाले है, प्रतिभाशाली इंजीनियर है और इन दिनों अमेरिका में रहकर एमएस की पढ़ाई कर अब पीएचडी कर रहें है राजनीति में गहरी रुचि है खासकरके मप्र और आसपास के गाय पट्टी वाले राज्यों की अभी हमारी लम्बी बात हुई तो मुद्दा था कि दलित पिछड़े और आदिवासियों के विकास में राजनीति में बदलाव आए और राज्यों के मुख्य मंत्रियों ने क्या किया ऋषि ने बड़ा रोचक विश्लेषण बताया कि आज जो पूरा सपाई, बहुजन और दलित आंदोलन है वह मायावती, अखिलेश, जोगी, शिवराज और मोदी जैसे नेतृत्व के कारण पिछड़ा है, 1990 के बाद मप्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छग में कोई भी ब्राह्मण मुख्य मंत्री नही रहा तो फिर ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद को विकास में रोड़े अटकाने के लिए , सुविधाएं लेने के लिए क्यों दोषी माना जाता है कैलाश जोशी (मप्र), हरिदेव जोशी (राज), जगन्नाथ मिश्र (बिहार), नारायण दत्त तिवारी (उप्र) के बाद इन राज्यों में कोई ब्राह्मण मुख्य मंत्री नही रहा, (हो सकता है कोई और आया हो तो - ठीक करिये मुझे ) झारखंड और छग का सबको मालूम ही है, दिल्ली में अलबत्ता शीला दीक्षित

Sharwil in Dewas, Drisht kavi, Khari Khari and Ayodhya Poojan posts from 3 to 10 August 2020

#Sharwil जी कल शाम मुम्बई से घर आये दिसम्बर के बाद, जाहिर है अब घर में रौनक रहेंगी आठ दिन मुम्बई के फ्लैट में घबरा गया बच्चा - पांच महीने में बाहर निकलने का कोई सवाल ही नही था और घर में सारे खिलौने खोलकर भी रखें पर वो मज़ा कहाँ जो खुली और मुक्त जगह में होता है - अब यहाँ खूब बड़ा घर हैं , बरामदा है, झूला, सामने मैदान, खूब सारे पेड़, दरवाजों के सामने से निकलते ट्रक - गाडियाँ, गाय - बकरी और चिड़ियाएँ जो आते जाते रहते है और उनकी प्यारी लेब्राडोर चेरी ताई जिसके साथ वीडियो कॉल पर भी रोज आधा घण्टा बात होती है शरविल जी की याद था कि आजोबा ने केक के फोटो भेजे थे तो बस आज सुबह से " आजोबा पेन केक बनाओ " और आपका आदेश सर आँखों पर मेरे सबसे लाड़ले बच्चे लो जी बन गया शरविल जी का केक, पेन केक तो नही पर अभी जल्दी में बनाया है बाकी अब आठ दिन रोज पसंद चलेगी इन्हीं की *** "आराम से बैठिए , यूँ घूमने से समस्या हल नही होगी और फिर तसल्ली से बताईये क्या हुआ है " - मैंने कहा और चाय का कप बढ़ा दिया, सुबह से आये थे और बेचैनी से टहल रहे थे "आप समझ नही रहें, साला हमारा परिचय द

बचाव ही सुरक्षा है 10 Aug 2020

बचाव ही सुरक्षा है दिमाग़ की शांति के लिए बेहतर है कि यदि किसी के कमेंट या पोस्ट्स या तंज से दिक्कत हो रही हो तो उसे हटा दो और ख़ुश रहो - जबरन बहस करने से कोई मतलब नही है ये कौनसा जीवन बीमा की तरह जीने और मरने के बाद वाला रिश्ता है सुख से रहने भी दो और रहो भी - एक और तरीका है अनफॉलो करने का और फिर भी कुछ नही हो रहा तो ब्लॉक कर दो - कौनसा सा किसी से रोटी बेटी का सम्बंध निभाना है सबसे बढ़िया है प्रतिक्रिया विहीन रहना - दस - ग्यारह साल में फेसबुक की यात्रा में यही सीखा है - आपको मुझसे दिक्कत है तो शराफत से निकल जाएं - अच्छी बात यह है कि फेसबुक आपको बताता नही कि किसने आपको हकाल दिया है - मुझे हटाना बेहतर विकल्प है 700 - 800 रिक्वेस्ट पेंडिंग रखी है, नए लोगों को पढ़ने से आपका भी भला होगा और जाहिर है मेरा भी आपके मेरी सूची में होने और ना होने से - ना मेरा फ़ायदा हुआ है - ना नुकसान और यही आपका भी हो रहा है , कोई किसी पर किसी भी बात के लिए निर्भर नही है - ना आप कोई बहुत बड़े तुर्रे खान है और ना मैं कोई बहुत बड़ी हस्ती - हम सब नौकरी, धँधा और जीने के लिए जतन कर रहें है - आईएएस हो, आईपीएस

Dr Ilina Sen - A tribute to the departed soul 9 August 2020

Dr Ilina Sen - A tribute to the departed soul  Ilina Sen  यानि डॉक्टर इलीना सेन का जाना हम जैसे मित्रों के लिए बड़ा सदमा है और इस वक्त लिखना बेहद मुश्किल 1990 - 91 की बात होगी, छग में मितानिन परियोजना के तहत "नवा अँजोर" की बात चल रही थी, 1990 साक्षरता के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के दौरान नई किताबे, साक्षरता आंदोलन को जन आंदोलन बनाकर काम करना और लोगों की मांग और जरूरतों के अनुसार पाठ्यपुस्तकें बनाने का काम चल रहा था, मप्र तब अविभाजित था पर छग कहना शुरू हो गया था रायपुर में राजेन्द्र और शशि सायल, कॉमरेड उत्प्ला , इलीना सेन आदि काम कर रहें थे, मैं "रूपांतर" में पहली बार गया था और तब रायपुर में उनका दफ्तर बिलाड़ी बाड़े में था और विनायक मिशन अस्पताल तिल्दा के निदेशक थे मुझे सन्देश था कि रायपुर न ठहरकर सीधे तिल्दा ही पहुँचूँ ताकि वही रहकर भाषा की किताबों पर काम कर सकूं, देवास में हमने इसी तर्ज पर किताबें बनाई थी कि लोगों की जरूरतें और भागीदारी रहें पूरी; स्टेशन पर इलीना और विनायक दोनो मौजूद थे, लेने आये थे बस अस्पताल पहुंचे वही उन्हें आवास

Drisht kavi, Khari khari and Sandip ki rasoi - posts of July 24 to 6 Aug 2020

बहुत साल पहले पंकज बिष्ट [वर्तमान में समयांतर के सम्पादक] को पढ़ा था, वे उन दिनों आजकल में सम्पादक थे और युवा कहानी विशेषांक में मेरी एक कहानी " उत्कल एक्सप्रेस " छापी थी - यह 1992- 93 की बात होगी पंकज दा से यह पहली मुलाकात थी और पहाड़ समझने की कोशिश, जोशी जी के बाद पंकज दा के आलेख एवं "उस चिड़िया का नाम" "लेकिन दरवाज़ा" और भी उपन्यास पढ़े और पहाड़ से रिश्ता जुड़ा, फिर गया भी घूमा भी और गैरसैण से लेकर नैनीताल तक के मित्रों से दोस्ती हुई पर इधर पहाड़ ही नही बदला लोग भी बदलें हैं बहरहाल, Lalit Fulara पेशे से पत्रकार है दिल्ली में रहते है और बहुत खूबसूरत गद्य लिखतें हैं, भाई ललित के लिखें का इंतज़ार रहता है खासकरके तब - जब वो पहाड़ दिल्ली लाते है और पीड़ा, दंश, खुशियाँ और पहाड़ की संस्कृति साझा करते है डॉक्टर Pratibha Pandey संसार मे एकमात्र व्यक्तित्व है जो मुझे दाजू कहती है जो एक पहाड़ी शब्द है और इसके मायने भी बड़े बढ़िया है जैसे दादा या बड़ा भाई या बुजुर्ग , वैसे ही इजा बड़ा प्यारा शब्द है - इन शब्दों को हिंदी में अपनाना चाहिये इजा [ यानि माँ शायद ] को लेकर युवा कवि Ani