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Showing posts from November, 2022

Khari Khari, Kuchh Rang Pyar ke, Drisht Kavi and Posts from 16 to 20 November 2022

आज यह अनमोल तोहफ़ा मिला - "लोकगायन में कबीर" - कबीर के 125 दुर्लभ लोकपदों का संग्रह अर्थ सहित- डॉक्टर सुरेश पटेल ____ कबीर को 1987 से व्यवस्थित ढंग से पढ़ना - समझना और गुनना शुरू किया था, अफसोस यह रहा कि मालवा में रहकर भी वाचिक परम्परा में कबीर से बहुत देरी से जुड़ा और अब तक जो समझा वह बहुत कम समझ पाया हूँ, और लगता है कि कबीर को समझने के लिए एक क्या दस जीवन भी कम है, अपने संगीत गुरू स्व पंडित कुमार गन्धर्व जी के भजनों ने एक नया झरोखा खोला और दिमाग़ के कुछ जाले साफ़ किये, भजनों की शास्त्रीयता से लोक शैली में कबीर को समझना आसान था पर कुछ शब्दों की क्लिष्टता और कुछ ठेठ मालवीपन से दिक्कत हुई पर धीरे - धीरे सब साफ होता रहा और इस सबमें बहुत सारे लोगों का हाथ रहा एक लम्बी यात्रा लगभग 35 वर्षों की रही है - पदमश्री प्रहलाद टिपानिया जी, डॉक्टर Suresh Patel जी, नारायणजी देलम्या जी, कालूराम जी बामनिया, मित्र दयाराम सारोलिया से लेकर प्रोफेसर Purushottam Agrawal जी और विदुषी Linda Hess जी जैसे स्कालर्स से बहुत सीखने को मिला, मालवा की असँख्य भजन मंडलियों ने बहुत बारीकी से मुझे मांजा और पक्क

Bhopal Vishwa Rang, Vikram University and Unwritten Stories, Khari Khari - Posts from 13 to 15 Nov 2022

भोपाल में साहित्य का अन्तरराष्ट्रीय समारोह हो रहा है जिसमे आयोज़क दावा कर रहे है कि 35 देश, 1000 कलाकार, 1 लाख भागीदार, 3 लाख सब्सक्राइबर, 18 मिलियन दर्शक इसमें हिस्सेदारी करेंगे - कमाल का आँकड़ा है पर इसे क्रॉस चेक और वेरिफाई कैसे करेंगे और कौन करेगा प्रामाणिकता इन तथ्यों की, यह दावा है कि यह विश्व का पहला रेकॉर्ड तोड़ कार्यक्रम है - आख़िर अब साहित्य या कबीर के भजनों को रेकॉर्ड बनाने की ज़रूरत क्यों है यह भी मेरा मूल सवाल है अभी इसका आमंत्रण मिला - जिसमे ढेरों जानकारियां सत्रवार है और नाम पढ़कर आश्चर्य इसलिये हुआ कि कई आलू - बैंगन और बेसन इसमें शामिल है हिंदी के और मजेदार यह कि इसमें 90 % वे शामिल है - जो इस तरह के चमकीले भड़कीले आयोजनों और साहित्य में रुपयों की दखल अंदाज़ी का विरोध करते है, पूंजी का विरोध करते है तमाम रिटायर्ड लोग, विवि में हिंदी विभागों के मक्कार प्राध्यापकगण, मास्टर और वे सब आलू - बैंगन जिन्हें पूंजीवाद से नफरत ही नही बल्कि उनकी रोजी रोटी चलती है पूंजी को कोसकर और इसके बिना सुबह पेट साफ़ नही होता, पर वे सब इसमें पूरी बेशर्मी से शरीक हो रहें है - कमाल यह नही, कमाल यह है क

Posts from 9 to 12 November 2022

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन मध्यप्रदेश का सबसे घटिया विश्वविद्यालय है, कबसे लॉ की परीक्षाएँ हो गई है परंतु परिणाम अभी तक घोषित नही किये है जबलपुर से लाकर एक प्राध्यापक को कुलपति बनाकर बैठा दिया था कि कुछ सुधार होगा पर वो भी यहाँ आकर मालवे के टेपों में टेपा ही साबित हुआ मक्कारों की फौज भरी पड़ी है - उच्व शिक्षा का जितना कबाड़ा भारत में हुआ है उतना कही नही और फिर कहते है विश्व स्तर पर हम रैंक में कही नही, देश भर के विवि हरामखोरी और नालायकी के अड्डे बन गए है, घटिया राजनीति और कु-व्यवस्था के शिकार बने सफेद हाथी है ये सब, बेहद लापरवाह और विशुध्द मक्कार इधर मप्र शासन उच्च शिक्षा विभाग ने दो बार प्रवेश की तारीख बढ़ा दी पर विवि के कानों पर जूं नही रेंग रही बेहद शर्मनाक और हास्यास्पद है और मज़ेदार यह कि कोई जवाब देने वाला जिम्मेदार नही पूरे विवि क्या डायलॉग था शोले का - "गब्बर ने ...." *** कार्तिक का घटता चाँद जब डेढ़ इंच के आकार तक पहुँचता है तो धरती, आसमान के साथ मन में भी उथल पुथल होने लगती है, एक अधूरी कहानी है - जो अभी तक मुकम्मल होने की बाट जोह रही है दुआ करें कि वो मक़ाम तक पहुँचे _

ग्रहण का दान - Post of 9 November 2022

मेरे यहॉं सफाई कर्मी आती है वो पढ़ी - लिखी है, उसे काम करने में बहुधा शर्म भी आती है, निगम में स्थाई कर्मचारी है, पाँच अंकों में तनख्वाह है पर अभी भी मांगने की प्रवृत्ति गई नही है खून से आज ग्रहण का शीदा लेने आई थी, पहले भी बात हो चुकी थी कि जब नगर निगम से तनख्वाह मिलती है तो ये बचा हुआ खाना क्यों मांगने आती हो, और क्या सच में घर जाकर खाती भी हो तो बोली - "सास ने जागीरदारी दे रखी है इस कॉलोनी की, इसलिये हमारा हक्क है, रुपये भी लेंगे और राशन भी और रात का बचा अन्न भी, दीवाली ईद पर इनाम भी - इसे कैसे छोड़ दें" ---- सिर्फ़ पढ़ा - लिखा होने से इंसान मूर्खता छोड़ देगा यह कल्पना ही बेकार है, रुपया लेना ठीक है कभी - कभी, पर रात का बचा खाना ले जाकर घर के बच्चों और बाकी को खिलाना कहाँ की बुद्धिमता है वो भी आज के समय में, फिर नगर निगम में स्थाई कर्मचारी है, पाँच अंकों में तनख्वाह भी लेते है - पर जो जागीरदारी का भूत है, ठसक है - वह 25 वीं सदी भी जायेगी यकीन नही होता - खत्म नही होगा और यह नई पीढ़ी पर थोपना क्या जायज़ है मैंने कई कर्मचारी देखें है जो शहरों - कस्बों में बढ़िया नौकरी कर रहें , वे अ

Raza Foundation in Mandla - Posts of 8 Nov 2022

रज़ा के बैनर में अपने एमपी के आदिवासी जिले में मण्डला में "युवा" हो रहा है जिसमे 80 % चुके हुए प्रौढ़ और बूढ़े आ रहे है , कुछ "बंधुआ युवा" नही जा रहें - हो सकता हो रिटायर्ड मेन्ट की तारीख नजदीक हो या शुगर बढ़ी हो - पेशाब पानी मे दिक्कत होती ही है लम्बे सफर में, अपुन को अनुभव है ना मराठी, पंजाबी, मलयाली कवियों पर बोलना है इन तथाकथित युवाओं को, परन्तु मजेदार यह कि बोलने वालों में एक भी मूल भाषा के लोग नही है, खेल सिर्फ़ उपकृत करने और कराने का है जैसे मराठी भाषी नही है तो ये क्या बोलेंगे अरुण कोल्हाटकर पर , जो मूल भाषा का गोड़वा है मराठी में अरुण कोल्हाटकर को समझ कर व्यक्त करने का वो किसी पराई भाषा मे कैसे होगा अयप्पा पाणिक्कर मलयाली है पर बोलने वाला कोई मलयाली नही, ले देके एक पंजाबी कवि पर बोलने में ही कोई पंजाबी लड़का है शायद - बाकी तो सब "सौजन्य से सभी ख़ुश रहते है" - वाला फार्मूला है पिछली बार का याद है अलग - अलग कलाकारों पर किसी - किसी को बोलना था, कुछ मदद मैंने की, और बाकी लिंक्स से कॉपी पेस्ट, गूगल देव का सहारा लिया गया था और इस तरह से पूर्णाहुति हुई थी, ख़ैर

Drisht Kavi and other Posts from 3 to 7 November 2022

"यार आधा घण्टा हो गया, तुम्हें फोन किये, तुमने बोला पाँच मिनिट में आ रहा हूँ, चक्कर क्या है - वहाँ शोकसभा है, हम पहुँचेंगे तब तक खत्म ना हो जाये, जल्दी करो " लाईवा को फोन किया "जी, भाई साहब आ ही रहा हूँ, वो कविता की तीसरी डायरी नही मिल रही, दो तो रख ली" बेशर्मी से जवाब दिया लाईवा ने "अबै, गधे वहाँ शोकसभा है कविता पाठ नही " - मैं हैरान था "जी, पता है पर क्या है ना हिंदी के ही क्षेत्र वाले बड़े कवि थे जो मरें, अब कोई अकादमिक आयोजन हो - शोध, प्रशिक्षण, पुरात्तत्व, भाषा - अनुवाद के जटिल मसले या किसी की विदेश यात्रा का रोचक वर्णन प्रस्तुति - काव्य पाठ तो होता ही है ना, भीड़ भी बढ़ जाती है, कुछ लोगों को उपकृत भी कर सकते है और स्वयं उपकृत हो भी सकते है, कवि टाईप चार - आठ लौंडो को बुलाने में क्या हर्जा है, और फिर शोकसभा में भी काव्य गोष्ठी हो जाये तो कोई नया नही होगा और फिर हथियार तो पास होने ही चाहिये ना अपने" - ससुरा घातक लाईवा दरवाज़े के आगे खड़ा था, पुराना घटिया सा एलएमएल वेस्पा लेकर #दृष्ट_कवि *** मप्र के मण्डला में रज़ा के आयोजन को देखें जरा जो 11 - 13 न