जिस अंदाज में महंगाई बढ़ी और नौकरियां कम हुई साथ ही जीएसटी से लेकर नोटबन्दी के दुष्प्रभाव अब स्पष्ट दिख रहे है और इस सबके बाद सरकार का जो घटिया रवैया है लोगों के प्रति - वह बेहद दुखद है आज़ादी के बाद सबसे घटिया और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार वाली सरकार है जनता भाँग और गांजा पीकर मस्त है, अडाणी - अम्बानी जैसे लोगों ने जो सत्यानाश कर दिया है अर्थ व्यवस्था और बैंकिंग का वह भी समझ नही आ रहा, मतलब हद यह है कि लगता है पूरी जनता रोटी नही गोबर खा रही है और मदमस्त हो रही है और बेरोजगारी झेल युवाओं को अफ़ीम चाटना ही है ; इतने पढ़े - लिखें गंवार आकाशगंगा के किसी कोने में नही होंगे दूध हुआ महंगा 3/- प्रति लीटर कोई हुक्मरान को जहर का भाव भी बता दें अब शर्मनाक है और बजट पर थाली पीटो रे कम्बख्तों *** रजत शर्मा ने पूछा था कि सेठ, अगर गए तो क्या होगा, तो सेठ बोला था - मेहनत करो, बैंक वेंक को कुछ नही होगा रजत और रवीश के चक्कर में बापड़ा गौतम गरीब मारा गया और अब दुनिया में मुँह दिखाने लायक नही रहा कसम खुदा की, रजत शर्मा चाय वाले को भी बुला लें एक बार *** || जो भजे हरि को || ••••• सुबह से कुछ खोज रहा था, लगभग द
कोई हमें मृतकों से ज्यादा कभी प्रेम नहीं करता - अम्बर पांडे का नया संग्रह “गरूड और अन्य शोक गीत - Post of 27 Jan 2023
“कोई हमें मृतकों से ज्यादा कभी प्रेम नहीं करता” – [अम्बर पांडे का नया संग्रह “गरूड और अन्य शोक गीत”] संदीप नाईक वेद और ऋचाएं हिंदी कविता के श्रेष्ठ उदाहरण है और फिर बाद में हम देखते है कि अनेक धार्मिक ग्रन्थ काव्य के कारण ही लोकप्रिय हुए है और जनमानस में जुबान पर रहें. इसी कला को तुलसीदास से लेकर कबीर, रसखान, जायसी से लेकर संत परम्परा के नामदेव, तुकाराम, ज्ञानदेव और रुकमाबाई तक ने अपनी बड़ी से बड़ी बात कविता में सहज ढंग से कही है और वह जीवन दर्शन जनमानस को कंठस्थ हो जाता है और यही ताकत कविता की है. मालवा से लेकर सभी जगह लोक में हमारे यहाँ वाचिक परम्परा का महत्व भी है जो पीढी-दर-पीढी एक दूसरे को हस्तांतरित होता रहता है. आज रामचरित मानस, महाभारत से लेकर गीता और कबीर, गोरक्षनाथ और तमाम लोगों की बात या यूँ कहें कि उनका लिखा काव्य जो हम तक आया है वह सिर्फ इस वजह से आ पाया कि यह सब कविता में था और सहज था. इसमें लोगों ने समय-समय पर जनश्रुतियों के हिसाब से अपने समय और काल की बातें, अनुभव और प्रसंग भी जोड्कर इसे समृद्ध किया. प्रिंटिंग प्रेस के आने के बाद छ्पाई ने इस सब वृहद काम को एक बड़े स्वरुप