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Khari Khari, Man Ko Chiththi and Drisht Kavi - Posts from 6 to 12 May 2025

बहुत दूर से किसी ने बहुत सुंदर तोहफा भेजा था, कोई उस शहर से यहां आ रहा था तो उसे किसी ने रोककर पूछा था कि "गर वहां जा रहे हो तो यह छोटा सा पैकेट उन्हें दे देना और मै ले आया" मैंने उनके सामने तो नहीं खोला, पर बाद में जब वह कश्मीर के पास अपने घर बांदीपुर लौट गया तो एक दिन दफ़्तर से आने पर हिम्मत करके पैकेट खोला - जब खोलकर देखा तो थोड़े से यानी लगभग दो मुट्ठी चिलगोज़े बहुत नफ़ासत से बांधकर रखे थे और साथ में एक पेपर नेपकिन पर लिखा था - "उस लेखक के लिए जिसने "सतना को भूले नहीं तुम" जैसी अप्रतिम कहानी लिखी है" भीग गया था मैं उस दिन पढ़कर, देर तक बिन्नी को याद करता था, सतना फिर याद आया, आज भी एक दिन ऐसा नहीं जाता कि सतना का पन्नीलाल चौक याद ना आता हो ; बहरहाल, बहुत दिनों तक कुछ नहीं किया, ना चिलगोज़े खाए - ना छुए, किसी स्वर्णाभूषण की तरह से सहेजकर रखे रहा एक अलमारी में, और एक दिन फिर कोई और दोस्त यानी फ्रांस से एक युवा शोधार्थी मेरे पास दो माह के लिए आया था 'फ्रांसुआ जैकार्ते ', तो उसके साथ रेत घाट गया शाम को और फिर वहीं बैठकर देर तक हम दोनों धीरे - धीरे खात...
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Man Ko Chiththi - Post of 3 May 2025

अधूरे ख्वाबों की गली में डेढ़ इंच का चाँद ____________ लगभग एक माह से रातों का आना खत्म हो गया है जीवन में, लिखना लगभग बन्द और पढ़ना तो शायद अब कभी हो ही ना अब जीवन में - और जीवन, जीवन तो था ही नहीं इतनी लंबी यात्रा के किसी भी हिस्से में, सब व्यर्थ चला गया, जो भी जिसके लिए कभी कुछ किया तो अपयश के सिवा कुछ मिला ही नहीं और यही रीत है, सही तो कहते थे लोग घूमना, कही आना - जाना, मिलना - जुलना और गपियाना भी जानबूझकर बन्द कर दिया है, फोन का उपयोग भी बहुत कम कर दिया है, अति आवश्यक ही हुआ तो उठाता हूँ या किसी को लगाता हूँ, वरना अब कुछ कहने - सुनने लायक बचा नहीं है, शाम को यदि पैर साथ देते है तो दो - तीन किलोमीटर चला जाता हूँ, वरना तो कमरे से बाहर निकलने का मन नहीं करता, अपने हुनर, कौशल और दक्षताओं की जघन्य हत्या कर एक tebula rasa यानी कोरी स्लेट बनने की चेष्टा कर रहा हूँ, मुझे लगता है नया शुरू करने के पहले रिक्त हों जाना चाहिए, उस पार का नहीं पता, ये सब बोझ माथे पर धरकर गया तो सह नहीं पाऊंगा और फिर Unlearn करने का अपना मजा है, अपने तीर कमान से जाते हुए देखना भी एक स्वर्गिक सुख है , हो गया अपना...

Man Ko Chiththi - Posts from 29 April to 3 May 2025

जीवन में हर क्षण निर्णय है , दुविधा है , संकट है , चौराहें है , रास्ते है , रिस्क है , तनाव है , मुश्किलें है , चयन है , विचार है और इन सबके अंत में एक जीवन है - जहाँ से फिर ये ही सब शुरू होते है , हर सांस का संघर्ष और भीतर आने-जाने के साथ इन्हीं संकटों के साथ धड़कन का मद्धम संगीत है , जो हमें मीठी तान की ओर ले जाता है , सुहाने स्वप्नों की ओर अग्रसर करता है और इन्हीं सबके बीच से निकलकर अपने लिए श्रेष्ठ चुनना ही विवेक है - इसलिए जब हम "विवेकाधीन फ़ैसलों" की बात करते है तो न्याय की बात करते है और यही न्याय हमारा प्रारब्ध तय करता है बस थोड़ी सी हिम्मत और थोड़ी सी बगावत अपने आपसे , जिसे अंग्रेजी में Mutiny कहते है , की जरूरत होती है ________ हमको उजाले अच्छे लगते हैं , भोर का सूरज भाता है , पूर्णमासी का चाँद आंखों को सुख देता है , शांत बहती नदी भली लगती है , हरा भरा पहाड़ नज़रों में भा जाता है , सर्पिली सड़क - जिस पर दोनों ओर घने पेड़ हो अच्छी लगती है , जंगल में सुर्ख लाल पलाश देर तक सपनों में भी बना रहता है , बरगद के तने पर चढ़ती उल्लास से भरी गिलहरी की मस्ती हमारे बचपन का स्व...

Khari Khari, Drisht Kavi, Man Ko Chiththi, and other Posts from 9 to 28 April 2025

काश कबीर थोड़े से व्यवसाई हो जाते और कम से कम अपने कॉपी राइट्स को लेकर ही सचेत होते आज के कबीर बेचकों से बस थोड़े कम *** हर बीमारी का इलाज दवाई नहीं, हर दर्द का इलाज नहीं होता, हर प्रश्न का कोई उत्तर नहीं होता, हर उत्तर संपूर्ण नहीं है, हर अंधेरे के बाद उजाले की लड़ नहीं होती, हर घुप्प अंधेरी सुरंग के बाहर रोशनी का रास्ता नहीं होता, हर बंद गली के आगे सुराग नहीं होता, हर सत्य मुकम्मल नहीं होता, हर झूठ भी झूठ नहीं होता, हर नैतिकता में सीख नहीं होती, हर मूल्य का कोई फेस वैल्यू नहीं होता, हर बार गिरने पर खड़ा नहीं हुआ जा सकता, और हर सत्यवादी और ईमानदार आदमी के भीतर असंख्य बेईमानी के कीड़े कुलबुलाते है - जो उसे मुखौटे और आवरण के भीतर जीने को मजबूर करते हैं दुर्भाग्य से हम इन्हीं नैराश्य, दारुण परिस्थितियों, द्वंदों, विपदाओं और आसन्न संकटों से घिरे है कि हमारे आसपास मनुष्य नहीं - बल्कि मुखौटे, आवरण, यंत्र चलित मशीनें है जो किसी प्रोग्राम्ड रोबोट की भांति हमारे संग साथ जीती - जागती है, और मनुष्य होने का स्वांग करती है बचकर रहना ही अपने होने और अपनी गरिमा बचाए रखने की रणनीति हम सीख लें इस जीवन...