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Showing posts from October, 2020

Drisht kavi, Shahjada Ali and Posts of 22, 23 Oct 2020

  ic Azam Quadri और अकबर - क्या फ़िल्म बनाई है भाई #शहजादाअली अभिनय, फ्लो, निर्देशन, कहानी और डायलॉग - लगभग बीस सालों बाद बाल मनोविज्ञान और जीवन से जूझते परिवार, संघर्ष और बचपन की गतिविधियों को लेकर इतनी संवेदनशील और मन को छू लेने वाली कोई फ़िल्म देखी जिसके अंत में मन से सभी बच्चों के लिए दुआएँ निकलने लगती है - फ़िल्म के अंत मे दो आंसू अली के लिए निकल ही पड़ते है जब वह अपनी अम्मी और दोस्तो के संग रंग खेलता है यह फ़िल्म बाल मनोविज्ञान के साथ बड़े शहरों में आजीविका, काम काज, मकान की दिक्कतें, मुहल्लों के मजमें, कर्ज़, बच्चों के खेल, स्कूल, मदरसे, आपसी रिश्ते, बालमन की उहापोह, बाज़ार और मज़दूरी, शोषण और काम के सम्बंध, छोटे और एकल परिवार की दिक्कतें और मानवीय मूल्य तथा भावनाओं को बखूबी पेश करती है अली के रोल में बच्चे का अभिनय किसी बड़े कलाकार को मात दे दें और उसकी अम्मी का साड़ियों पर कसीदाकारी करते हुए उसे कहानी सुनाने का जो तरीका है वो अदभुत है - मुझे पुराने भोपाल की याद आई जहाँ मुस्लिम घरों में औरतें दिन भर कसीदे का काम करते हुए बच्चों को सम्हालती है या लखनऊ के चौक, अमीनाबाद में चिकन का काम

Posts from 15 to 20 Oct 2020, lge jiya pe thes, drisht kavi, khari khari key learnings of 54

" ये आपने क्या अपडेट किया गलत सलत अँग्रेजी में, मास्टरी छोड़ ही दी आख़िर जहाँ कभी गए भी नही " - मैंने पूछा "Started New Job at Self Poems as Marketing Officer - South Asia" "अँग्रेजी ही चलती है, समझ आ रहा है ना बस, कम्युनिकेशन का यही मतलब होता है और अब मेरी कविताओं की कोई मार्केटिंग नही करता तो क्या करूँ फिर, और मास्टरी क्यों छोड़ूंगा, हर माह साठ सत्तर हजार बोनस मिल रहा है 65 की उम्र तक " - लाइवा कवि के उदगार थे #दृष्ट_कवि *** कल एक तथाकथित अखबार से फोन आया कि "क्या आप हमारे जिला प्रतिनिधि बनेंगे" मैंने कहा - "जी बिल्कुल, तनख्वाह क्या होगी और गाड़ी, पेट्रोल, नेट सुविधा और लैपटॉप - मोबाइल का खर्च , दफ्तर आदि का क्या" जवाब मिला - "ये क्या बकवास कर रहें है, आपको हमें कम से कम एक लाख माह देना होगा - 5 विधानसभा, 3 सांसद, छह सात सौ पंचायतें, नगर निगम, इतना बड़ा औद्योगिक क्षेत्र, टेकड़ी जैसा धार्मिक स्थान - एक लाख तो न्यूनतम है - तीज त्योहारों पर यह पाँच लाख तक जायेगा" "जी, न्यूज का फोकस क्या रहेगा" - मेरा सवाल था "उसकी चिन्

My Gospel, Khari Khari and Drisht kavi Posts from 6 to 12 Oct 2020

  जेएनयू पर अब शक होता है 8400 करोड़ का महाबली विमान खरीदने वाली मोदी सरकार की हालत देखिए आने वाले त्योहारों में सरकारी कर्मचारियों को खर्च के लिए सरकार 10 हज़ार रुपए का एडवांस कर्ज़ देगी, फिर ₹ 1000 की 10 किस्तों में वसूलेगी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को एलटीसी कैश वाउचर मिलेगा, लेकिन इससे वही सामान खरीदना होगा, जिस पर 12% से ज़्यादा GST हो इसे प्रोत्साहन पैकेज बताया जा रहा है, वित्त मंत्री का दावा है कि इससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी ये वित्त मंत्री है या किसी सड़क छाप रेहड़ी वाले की पीआरओ जो घटियापन पर उतर आई है इस देवी जगदम्बा को कोई समझाओ रे कोई कि देश में 2% से भी कम लोगों को LTC मिलता होगा और यह भी कितने लोग केंद्र सरकार या PSU में काम करते है भक्तों - मिर्ची दें या सूजी का हलवा या अगरबत्ती लोगे इतनी घटिया वित्त मंत्री और कंगाल सरकार देखी कही #खरी_खरी *** "इतनी गालियां क्यों दे रहे है सुबह से और हल्ला मचा रहें है - हुआ क्या है " मैंने पूछा - आखिर सारी रात जागकर कर क्या रहे थे लाइवा कविराज "कुछ नही , कल रात भर में 2059 कवियों को मित्र सूची से हटाया, ससुरे आतंक म

Posts from 3 to 5 Oct 2020 Khari khari and Drisht kavi

  पहले मुझे कविता नही समझती थी, फिर मैंने ऑरकुट और कालांतर में फेसबुक, ट्वीटर, लिंकडिन और टेलीग्राम पर धड़ल्ले से कविताएँ लिखना शुरू किया - अब मैं "सबसे नई कविता के उन्मान" विषय पर किताब लिख रियाँ हूँ और आलोचना भी जमकर करता हूँ, देश भर में हर कोई पत्रिका निकाल रहा है - सबमें भेजता हूँ कविता और आलोचना - साला डेढ़ दो साल में तो कोई ना कोई छाप ही देता है - उन ससुरों को भी तो विज्ञापनों के बीच कुछ ना कुछ "कॉमिक रिलीफ़" देना ही पड़ता है #दृष्ट_कवि *** अंबेडकर यदि धर्म परिवर्तन के बजाय धर्म त्याग कर सिर्फ मनुष्य ही रहते और संविधान में भी धार्मिक स्वतंत्रता का ज़िक्र नही करते तो आज धर्म के नाम पर जो आततायी दुकान चला रहे है और समाज में जातिवाद का दंश है वो शायद कम होता हो क्या रहा है - ◆ आदिवासी ईसाई बन गए तो क्या ईसाइयत के रीत रिवाज़ अपनाकर शोषित नही हुए ◆ दलित बुद्ध धर्म अपनाकर वही पूजा पाठ जैसे रिवाजों में नही उलझे ◆ जो लोग मुस्लिम बनें वे भी पाँच वक्त की नमाज़ में खप गए ◆ पारसी, सिख, जैन , बहाई या कुछ और भी बनें तो हायरार्की का शिकार और भेदभाव तो सहना ही पड़ा नई जगह भी और आज हम