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Posts of Gandhi Jayanti, Hathras and UPSC Officers 2 to 3 Oct 2020

 2nd Oct 2020

गांधी 150 का आज अंत
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2 अक्टूबर अब देश में पाखंड और मजबूरी है, गांधी की प्रासंगिकता तो शाश्वत है पर जयंती मनाना कितना बड़ा झूठ है यह सब जानते है अब
सत्य, अहिंसा, अपरिमेय या बाकी और सिद्धांत भी अब महज औपचारिकता नही क्या और उपर से सत्ताओं के खेल, आज़ाद भारत का सिर्फ़ 74 वर्षों में देशी लोगों के हाथों में बिक कर गुलाम और दो लोगों के हाथों पराधीन हो जाना, सत्ता का सांप्रदायिक हो जाना, स्वच्छता के नाम पर खरबों रुपयों के घोटाले, प्रतिशोध और हिंसा का तांडव हर गली मुहल्ले में - आखिर क्या शेष रह गया है गांधी के नाम पर
शास्त्री का नाम ही मत लो - जय जवान और जय किसान ही आज सत्ता के निशाने पर है दुनाली में एक जवान और एक किसान - ट्रिगर हाथ में लिए सत्ता के भेड़ियों ने तन से धोती छीन ली और दाल के पानी में से दाल गायब कर दी; सेना और खेती दोनों राजनीति के मल्लयुद्ध में परास्त और हताश है और किसी के पास कोई जवाब नही
बहरहाल, ना शैव बचें ना वैष्णव और अपनो परायों को पीर देने में इनका कोई सानी नही, मोहमाया का बंधन जरूर शेष है - और सिर्फ सत्ता ही नही गांधीवादी भी इसी सबमें रच बस गए है - सारे गांधी के मठ और आश्रम विवादों के घेरे में है - खादी अब विलास है और बुनियादी तालीम दम तोड़ चुकी है - गांधीवाद पर बात करना अब कितना अश्लील लगता है यह बात वही समझ सकते है जो संविधान को गांधी, अंबेडकर के बरक्स जाति और समाज की संरचना को बूझकर इसमें सेंध लगाने की बात करते है , लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की बात करते है, समता मूलक समाज का दिवास्वप्न देखते है या कुछ नही तो इस देश में सिर्फ़ बेहद सामान्य सी जिंदगी गुजारने की तमन्ना रखते है
फिर भी हम उत्सव प्रिय भगिनी - बंधुओं के देश के वासी है - आज छुट्टी है, आईये कोई बढ़िया सा नाश्ता खाये, मस्त लंच हो, पूरा दिन प्लान करें और शाम को एक बोतल खोलकर एन्जॉय करें, कल - परसो दो दिन छुट्टी ही है
" Thankfully Gandhi jayanti fell on Friday and surprisingly two more days to enjoy"
"wow may Gandhi live long as a Holiday"
"superb dude, amazing, come on Chill yar !
"Oh , stop nonsense talking about freedom movements, patriotism and all shit, we are least bothered about all that garbage, we don't have concern about it, this is my life and ' am gonna enjoy it "
" Hey buddy, do we get some chilled beer and italian pasta at Rajghat ? ".
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मुख्यमंत्री, उप्र
डीएम
एसपी
और
सम्बंधित पुलिस स्टाफ को निलंबित नही, बर्खास्त करिये , बहुत हो गया अपराधों का बोलबाला और तानाशाही इन लोगों की
जितने दोषी वे 4 बलात्कारी है उससे ज्यादा दोषी ये सब लोग है
राष्ट्रपति महोदय कब तक चुप रहेंगे और सुप्रीम कोर्ट में बैठे सीजेआई साहब कुछ नज़ीर स्थापित कीजिये ताकि भविष्य में कोई मंत्री, जन प्रतिनिधि, ब्यूरोक्रेट या पुलिस का जवान ऐसी हिम्मत कभी नही कर पाएं
जब एक IAS को बर्खास्त किया जाएगा तो सारा तंत्र हिलेगा और इनके एसोसिएशन सामने आएंगे और जनता को इन गिरगिटों का असली चेहरा समझ आयेगा
आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम , मास्टर, पटवारी से लेकर डॉक्टर्स, इंजीनियर तो सॉफ्ट टारगेट्स है - इस डीएम और एसपी को घर भेजो और 302/307 के अंतर्गत मामला दर्ज कर जेल में भेजो तभी इनको अक्ल आयेगी
आज अगर आप चुप रहें तो भविष्य तो दूर वर्तमान आपको दुत्कारेगा
थोड़ी शर्म और अपने पद की गरिमा का ख्याल हो तो कुछ करिये, इस देश के प्रधान मंत्री को तो चुनावी भाषण देने और विशुद्ध झूठ बोलने के कुछ आता नही है
***
ये कैसा राज है भाई, ये कैसा राज है भाई
◆◆◆
भारतीय प्रशासनिक सेवाओं पर पुनर्विचार करने की सख्त आवश्यकता है - खास करके लबासना, मसूरी में जो प्रशिक्षण होता है और जहां इन्हें सिखाया जाता है कि कितनी बदतमीजी से जनता के साथ पेश आना है, कितनी हरामखोरी करनी है और कितना भ्रष्टाचार करना है - मेरा स्पष्ट मानना है और मैं हर बार कहता हूँ कि लबासना पर जब एक बम नही फोड़ा जायेगा कुछ नही सुधरेगा { in the way they are pampered here is disgusting }
आखिर क्या कारण है कि ये लोग संविधान की शपथ तो लेते हैं लोक सेवक के रूप में, परंतु कुल मिलाकर इनकी प्रतिबद्धता एक दो कौड़ी के मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय पार्षद के प्रति हो जाती है और यह अपनी मनमर्जी करके जनता का शोषण करते हैं
मध्यप्रदेश में टीनू और अरविंद जोशी से लेकर कई अधिकारी ऐसे रहे हैं करोड़ो कमाकर जेल में रहें, मुख्य सचिव बनकर करोड़ों के फार्म हाउस, घर और बड़े बड़े हॉस्टल से लेकर स्कूल खड़े कर लिए और आज भी पेट नही भरा तो एनजीओ की दुकान चला रहें है , इन्होंने शासन में रहकर मुख्यमंत्री को ना मात्र गलत राह दिखाई बल्कि स्वयं ने भी करोड़ों रुपए कमा कर अपना जीवन सुधार लिया , हालांकि हमारे मामा भी कोई कम शरीफ नही थे , मप्र में ही एक पांच साल की नौकरी वाला आय ए एस एक व्यापारी से हर माह धमकाकर पाँच लाख लेता है, डीजी रैंक का अफसर बीबी को वहशी अंदाज़ में पीटता है और मुँहजोरी करता है कि यह मेरा व्यक्तिगत मामला है - भयानक सनकी, हठीले और घोर तानाशाह ये लोग ज़्यादा बदतमीज होते जा रहें है
ताजा उदाहरण हाथरस का है जहां एक डीएम अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा और पूरी भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था और मीडिया पर हावी हो रहा है - उस बदतमीज को यह भी पता नहीं कि सांसद जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है - चाहे वह किसी भी पार्टी या विचारधारा का हो उसे ज्ञात नही कि भारतीय संविधान इस बात की इजाजत देता है कि प्रत्येक भारतीय को इस देश में कहीं भी आने-जाने की और किसी से भी मिलने और बात करने की स्वतंत्रता है - अगर उसे यह भी समझ नहीं है तो उसे डूब कर मर जाना चाहिए और यदि यह वह किसी के कहने पर कठपुतली बनकर कर काम कर रहा है - तो उस असली किरदार को सामने लाना चाहिए जो इस स्तर पर उतर आया है
कुल मिलाकर भारतीय प्रशासनिक सेवाओं - प्रशासनिक, वन, राजस्व और पुलिस जैसी सेवाओं पर पुनर्विचार करना आवश्यक है और यह सोचना बेहद जरूरी है कि क्या अब 138 करोड़ लोगों में हमें सिर्फ 4926 अधिकारी चाहिए जो इन सब को लोकतंत्र में डंडे से हाँक सके, क्या 15 से 20 लाख या 2 से 10 करोड़ की आबादी वाले शहरों में एक कलेक्टर इतना बड़ा भगवान हो जाएगा कि वह सारे लोगों के भाग्य का निर्णय करेगा
सफ़ेद हाथी पालने वाली यह कलेक्टर / कमिश्नरी व्यवस्था विशुद्ध बकवास है, बताईये सम्भाग स्तर पर बैठा कमिश्नर सिर्फ और सिर्फ सफ़ेद हाथी है जो टाईम पास कर रहा है या लूप लाईन में पड़ा है , उसके दफ्तर का बाबू उसकी नही सुनता बाकी तो छोड़ दीजिए, इस व्यवस्था को भंग करके लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाने की बात होनी चाहिए, कलेक्टर इतने गैर जिम्मेदार और अराजक हो गए हैं कि उन्हें 10 -10 चिट्ठियाँ लिखो , जनसुनवाई में जाओ तो भी वे जवाब नहीं देते, मिलने के लिए उनके पास समय नहीं है सारा समय बंगले के बाथरूम या अपने चेम्बर में मक्कारी करते रहते है, नेताओं और चार गुंडे मवालियों के बीच में बैठकर अपनी सेटिंग जुगाड़ करते रहते हैं, ऐसे में या तो इन्हें सड़क पर लाकर ढंग से इनकी "पूजा" की जाए या फिर इनका काम फिर से निर्धारित किया जाए
बड़े - बड़े बंगलों में रहकर जनता के पैसे से अय्याशी करने वाले ये लोग आखिर किस काम के हैं, यह बेहद दुखी करने वाला मामला है और गंभीर मामला है और शर्मनाक भी

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