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Showing posts from February, 2023

Khari Khari via the World Book Fair, Delhi

हे बेशर्म हो चुके बुद्धूजीवी • प्रचार प्रसार ठीक है • बेचना, बिकवाने का काम भी ठीक • आत्ममुग्धता भी ठीक • दोस्तो से मिलना मिलाना भी ठीक • फोटो खिंचवाने का काम भी ठीक ही है ◆ पर दस बीस साल से लेकर दो - चार साल पुरानी किताबों का एक चौथाई के भाव पर बेचना और जबरन थोपना किस चाणक्य ने कहा है बै ◆ और सब समझदार है, सब पत्र - पत्रिकाएँ पढ़ते है, इंटरनेट के साक्षर है और सब गूगल करके बेहतरीन सामग्री खोजने में सक्षम भी है, अपनी समझ, शौक, रुचि और ज़रूरत भी जानते है हम ◆ इतना बेवकूफ मत समझो कि तुम्हारी ठेली हुई लिंक और दिए हुए पते पर ढूँढते हुए किताब लेने पहुंच जायेंगे पाठक ◆ अब इतने तो कुढ़ मगज नही कि तुम्हारे यार - दोस्तो और रंगीन और रंगहीन बूढ़ी हो चुकी तितलियों की घटिया और बकवास किताबों को तुम रिकमेंड करो और हम ऑर्डर कर दें या खरीद लें - मुआफ़ करिए अगर यह मुग़ालता है तो तुरंत दूर कर लें ◆ परेशान हो गया हूँ एक ही दिन में इनबॉक्स में मिली लिंक, स्टॉल के पते और चिकने - चुपड़े, काले - पीले और टेढ़े-मेढ़े चेहरों को भयानक गोरा बनाकर डेढ़ किलो की फर्जी मुस्कुराहट चैंपकर भेजे हुए फोटोज़ से ◆बन्द करिए यह अश्लील प्र

Khari Khari - Murder of Lady Principal in Indore and Poem by Jopshana Banerjee Advani 24 Feb 23

और अंत में प्रार्थना यही रहें, मेरे मन की बात जोशना की कविता के साथ ______ जब थम जाये मेरी श्वासगति जब थम जाये मेरी श्वासगति गहरे शोक में डूबकर नहीं करना मुझे याद मत भींचना पसीजी मुठ्ठियों को कंठ से निकालना फाया कुन फाया कुन सीटी बजाना कदम्ब के नीचे गिलहरियों और तितलियों को देना सुरक्षित जगह अपनी जीत के बाद ज़ोर से चिल्लाना याद रखना आकाश गूँगा नहीं होगा नहीं सोयेगी कोई नदी मत देना मेरी कविताओं को देश निकाला किसी खाली खिड़की पर ठहरकर पक्षियों को सुनाना एकला चौलो रे मुझे एक बार चूमने का मन हो तो चूम लेना खुद की हथेलियाँ तुम्हारी हथेलियों पर मैंने अपनी उम्मीदें बोई थी मुझे दो बार चूमने का मन हो तो चूम लेना केतकी के पुष्प उन्हें शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता उन्हें देना खूब स्नेह एक नन्हे बच्चे की तरह बिलखने का मन करे तो उसके सामने बिलखना जिससे करते हो सच्चा प्रेम मत याद करना वह समय जब मैंनें तुमसे पूछा हो कि क्या बात कर सकती हूँ तुमसे? मत सोचना ये भी कि कितना कठिन रहा होगा मेरा संघर्ष उस समय उस समय को याद करके छोटे बच्चों और रोगियों को कविताऐं सुनाना छोटे बच्चों और रोगियों के लिए ये निहायती ज़

Drisht KAvi, Kuchh Rang Pyar ke and Sehore Incident , Posts from 18 to 24 Feb 2023

खत्म होती फ़रवरी असफल इश्क़ की कसक, प्रेम के पींगों में बढ़ाई गई कसीदाकारी वाली फटी हुई चिठ्ठियों, बेगम अख़्तर की गज़लों, किसी उद्दाम वेग से बहती नदी में उपहारों को बहा देने की पीड़ा, भोर तक काँपती हवा में छत पर सुट्टा पीने की, शोभा गुर्टू की ठुमरी, राशिद अली और हरिहरन की जुगलबंदी का बहीखाता, शुरू होते पतझड़ और वसंत के बीच की दुविधा, कुलाँचे मारते मन पर जकड़ी हथकड़ियों और स्वप्नों पर दबाव की दास्ताँ है , जो इस उम्मीद पर मार्च का स्वागत करेंगी कि फाग में लौटेगा कोई टेर देने मन लागो यार फ़क़ीरी में #कुछ_रंग_प्यार_के *** "क्या शोक/शौक है तुम्हारा" - मैंने पूछा लाईवा बोला - "कविता और कबड्डी" "अरे ये कैसे हो सकता है, दोनो एक साथ" - मैंने सहज जिज्ञासावश पूछा "क्यों नही हो सकता - दो गाँवो, जिलों, प्रदेशों या देशों के बीच कबड्डी हो सकती है तो कविता भी तो हो सकती है और कवि किसी कबड्डीबाज़ से कम है क्या और रिटायर्ड, खब्ती, बूढ़े और खत्म हो चुके तो ज़्यादा दम भरते है जब कबड्डी के खिलाड़ी, सॉरी कविता के खिलाड़ियो की गैंग में हसीनाएं भी शिरकत करें तो, बोलो तो सबूत दूँ ...."

संविधान, लोकतांत्रिक मूल्य और हम – सचिन जैन की चार किताबें - Book Review 17 Feb 2023

संविधान, लोकतांत्रिक मूल्य और हम – सचिन जैन की चार किताबें -संदीप नाईक-   जब धूमिल कहते हैं “क्या आज़ादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है – जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई ख़ास मतलब होता है “ .   26 जनवरी 1950 को जब एक लम्बी बहस और बड़ी सारी मेहनत के बाद संविधान को आत्मार्पित किया गया तो यह कल्पना की गई थी कि आने वाले वर्षों में भारत के हर नागरिक को संविधान की प्रस्तावना और मूल अधिकारों के साथ एक गरिमामयी जीवन जीने के मौके भी हासिल होंगे और सबको विकास के अवसर भी मिलेंगे. समय बीतने के साथ-साथ जहाँ विकास हुआ वहीं लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता. दिक्कत यह है कि आज बमुश्किल देश के एक प्रतिशत लोगों के घर में संविधान की प्रति होगी जबकि धार्मिक किताबों का भंडार हर घर में होगा और जब संविधान घर में नहीं, किसी ने देखा नहीं तो समझ कैसे विकसित होगी , और कैसे हमारा लोकतंत्र बचेगा. इधर सामजिक नागरिक संस्थाओं ने संविधान बचाने की तगड़ी पहल आत्मभ की है जिसमे विभिन्न प्रकार की संस्थाएं संविधान पर बहुत बारीकी और गहराई से काम कर आ रही है. इस क्रम में अनेक प्रकार क

Janak Didi s 75th Birthday

कल हमारी लाड़ली, पदमश्री जनक दीदी का जन्मदिन था, 75 वाँ जन्मदिन , मैं दिन भर फोन लगाता रहा पर बात ना हो पाई, आज सुबह दीदी का मिसकॉल था, फिर मैंने अभी बात की और कहा कि "अब आपको जनक कहने का मन करता है क्योंकि वे अब 16 वर्ष की हो गई है किसी किशोरी सी, जितना काम करती है कोई तरुणी या किशोरी क्या करेगी" बोली - "तू आया नही मिलने, कल घर की पिछली पहाड़ी पर पौधे लगाए रही थी - मित्र थे, गांव के लोग थे और बस यही सेलिब्रेशन था", हम सामाजिक काम करने वालों की वो ताकत है और अँधेरे पलों में लाइट हाउस जनक दी मतलब जोश, उत्साह और सतत कुछ ना कुछ करने का दूसरा नाम है , वे इतना काम कर रही है कि क्या ही कहा जाए, पिछले चार दशकों से तो मैं ही देख रहा हूँ, जनक दी आपका जोश और काम करने की प्रेरणा ही हम सबकी ताकत है और जिस लगन से आप सक्रिय है वह बेहद प्रशंसनीय है, ऐसी ही बनी रहें और खूब सक्रिय रहें जन्मदिन की खूब बधाइयाँ और स्वस्तिकामनाएँ स्नेह और दुआएँ सादर JanakandJimmy McGilligan

Khari Khari, Kuchh Rang Pyar ke , Sandip Ki Rasoi and other posts from 9 to 16 Feb 2023

Book on the Table "अब यह बिछड़ना और अधिक कठिन लगने लगा है, जिस जगह तुम बैठती थी, उस ओर मैं देखता हूं और उसे खाली देखकर अत्यंत उदास हो जाता हूँ" ◆ महात्मा गांधी 27 अप्रैल 1920 _____ अलका सरावगी हिंदी की वरिष्ठ और प्रतिष्ठित लेखिका है "कलि कथा वाया बायपास" मेरी प्रिय कृति है, बेहद संजीदा और परिपक्व भाषा के साथ लिखने वाली अलका जी स्वभाव से भी सहज और सरल है, अपने लेखन में वे जहाँ इतिहास को टटोलती है वही सम सामयिक मुद्दों पर भी पैनी नजर रखती है, उपन्यास उनकी वो विधा है जिसपर वे मजबूत पकड़ रखती है और कड़ी मेहनत से एक बड़ा वितान रचकर अपना उत्कृष्ट देने का पूरा प्रयास करती है "गांधी और सरलादेवी चौधरानी - बारह अध्याय" उनकी नई कृति है, जिसमे वे गांधी और सरलादेवी के बारे में विस्तृत रूप से लिखती है ; जिस सरला देवी चौधरानी की बौद्धिक प्रतिभा और देश की आजादी के यज्ञ में खुद को आहुति बनाने का संकल्प देख गांधी ने अपनी "आध्यात्मिक पत्नी" का दर्जा दिया - उसका नाम इतिहास के पन्नों में कहां दर्ज है, कोलकाता के जोड़ासाँको के टैगोर परिवार की संस्कृति में पली-बढ़ी सर