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Showing posts from February, 2020

बंकर में बकलोली and Resign All Responsible 26 and 27 Feb 2020

बंकर में बकलोली ◆◆◆ किसी ने पूछा कि इस विचित्र समय में साहित्य समय का दर्पण है जैसी बात सीखाने वाले हिंदी के लेखक चुप क्यों है सीधा जवाब है - नौकरी, परिवार, पद, प्रतिष्ठा, पुरस्कार और प्रमोशन की होड़ में तलवे चाटना मजबूरी नही - मजबूती है और ये सब इसे अच्छे से जानते बुझते हुए निभा रहे है बाकी भाषाओं में तो संघर्ष ,गहरा प्रतिरोध है पर हिंदी का लेखक,कवि, कहानीकार , आलोचक और उपन्यासकार सबसे ज्यादा मक्कार और स्वार्थी है सिवाय अपने बंकरों में बकलोली के अलावा कुछ नही कर सकता, कबीर यात्रा के समापन पर दिल्ली विवि के एक प्रोफेसर सरोज गिरी ने पूरी जनता के समक्ष और देवी अहिल्या विवि की कुलपति रेणु जैन के सामने कंफेस किया कि हम नही बोल सकते, ना युवाओं से बात कर सकतें और ना लिख सकते हैं - हम डरते है क्योंकि नौकरी गई या कुछ हो गया तो हमारा क्या होगा दिक्कत यह है कि हमने कॉलेज, विवि या स्कूल मास्टरों को, हिंदी विभागों के लोगों को साहित्यकार मान लिया है जो नौकरी में बने रहने और प्रमोशन के लिए लिखते, पढ़ते और शोध करते है, हवाई यात्राएँ करते है, इन्हें ही माइल स्टोन मान लिया है, कुछ घटिया स

Posts from 13 to 26 Feb 2020 including sametate hue yade

देवास में सीवरेज की लाइन खोदते समय मिट्टी धंसने से एक मजदूर की मौत हुई कमाल यह है कि विधायक और स्थानीय भाजपा के नेता आयुक्त को दोषी मानते है मतलब महापौर और तत्कालीन भाजपा की कार्य परिषद ने ठेका दिया, आयुक्त तब थी भी नही - फिर सब लोगों ने जमकर कमीशन खाया, पूरा शहर बर्बाद करके रख दिया, ठेकेदार भाग गया, सीटी इंजीनियर से लेकर तत्कालीन कमिश्नर अपना हिस्सा लेकर चंपत हो गए और शहर आज भी रो रहा है, आज तक सेनिटेशन नही सुधरा ना बड़ा ट्रीटमेंट प्लांट बना अभी भी शहर में रोज दुर्घटनाएं हो रही है और ये लोग अपनी निजी और पुरानी ज्यादती दुश्मनी के कारण आयुक्त पर ग़लत इल्जाम लगा रहें है - एक महिला होकर महिला के खिलाफ वह बेसिर पैर के इल्जाम, कभी महापौर से भी आप पूछ लेती महोदया कि पांच साल तक करोड़ो रूपया जो बर्बाद हुआ और शहर को जाते जाते कब्रिस्तान बनाकर गए उन्होंने क्या किया और नगर निगम छोड़िए, आपके दूसरे कार्यकाल में क्या उपलब्धियां है जरा बता दीजिये ठोस - शहरी और ग्रामीण देवास की, देवास की किस्मत ही खराब है और लोग भी मूर्ख है जो सामंतवाद और राजशाही के चरणों मे पड़कर अपना शहर और वर्तमान भविष्य बर्

Meeting with Sanjay Kirloskar and Memories of Radio 13 Feb 2020

व्यक्ति जितना बड़ा होगा उतना ही सहज, विनम्र और शालीन होगा - संजय किर्लोस्कर लक्ष्मणराव किर्लोस्कर जी की जीवनी का हिंदी अनुवाद और सम्पादन किया था, गत 6 जनवरी को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस किताब का लोकार्पण दिल्ली में किया था - यह कार्यक्रम 10 जनवरी को पूर्व निर्धारित था, पर किसी कारणवश पीएमओ ने इसे पहले करने का अनुरोध किया और मैं जा नही पाया - अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों की वजह से आज किर्लोस्कर समूह के प्रमुख श्री संजय किर्लोस्कर, अपनी पत्नी प्रतिमा, बेटे आलोक और पुत्री रमा किर्लोस्कर के साथ मिलने का मौका मिला, संजय जी ने मुझे आमन्त्रित किया था, उनके संग पुस्तक के साथ - साथ अन्य विषयों पर लम्बी बात की, संजय जी बहुत ही सहज व्यक्तित्व है और लगा ही नही कि एक बड़े उद्योग घराने के मालिक से बात कर रहा हूँ उन्होंने CSR पर बात की और उनकी पत्नी ने भी किशोरियों, महिलाओं के साथ आजीविका के क्षेत्र में काम करने में रुचि दर्शाई , साथ ही शिक्षा में क्या किया जा सकता है इस पर बात की संजय जी ने अनुवादित पुस्तक को पढ़ते हुए मोदी जी की तस्वीर भेंट की साथ ही अपने स

Posts of II Week Feb 2020

Posts of Feb II week  Subah Sawere 12 Feb 2020 याज्ञवल्क्य लंबे समय जिंदा नही रहते ◆◆◆ नही लिखना चाहता था, परीक्षा के बीच अपना ध्यान नही भटकाना चाहता था, पर कठुआ से लेकर जेएनयू, जामिया और अब गार्गी कॉलेज में जो हुआ उससे विचलित हूँ जिस कानून की पढ़ाई कर भारतीय न्याय व्यवस्था को सीखने समझने की कोशिश कर रहा हूँ वही यदि बेबस, लाचार और वृहन्नला हो जाये तो लानत है ऐसी पढ़ाई और तर्कशीलता पर, अफसोस यह है कि सब चुप है - दो लोगों की लगाई आग में 138 करोड़ लोग, मातृशक्ति भस्म हो रही है - कमाल है और हम सब चुप है राजेन्द्र यादव ने "हंस" के औरत उत्तर कथा विशेषांक के सम्पादकीय में लिखा था कि हर परिवर्तन के झंडे का डंडा स्त्री की योनि में ही गाड़ा जाता है, उस समय वे सिख दंगों, बाबरी मस्जिद, भिवंडी और अन्य दंगों के बरक्स महिलाओं को दंगों में घसीटकर बलात्कार करने और प्रताड़ित करने की बात कर रहे थे आज कठुआ से लेकर जेएनयू, जामिया, शाहीन बाग और गार्गी कॉलेज में हुए सारे अनाचार राज्य प्रायोजित है और ये सब सोची समझी नीति के तहत है एक चुनाव जीतने के लिए संविधानिक पदों पर बैठे लो

Ekant ki Akulahat Feb 2020

1 एक   दीवार   है   जो   गाढ़ी   नीली   रँगी   है   जब   कमरा   बना   था   तो   इस   पिछली   दीवार   को   गाढ़ा   नीला   रंग   लगाया   था ,  ठीक   पिछले   पड़ोसी   की   दीवार   से   लगकर   इसे   कांक्रीट   की   छत   पर   उठाया   था   जो   अब   इस   कमरे   की   जमीन   बन   गई   है तीन   हल्के   नीले   रंगों   के   बीच   गाढ़े   रँगीले   नीले   रंग   पर   एक   छोटा   सा   बल्ब   भी   टांग   रखा   है   वो   भी   गहरा   नीला   है   सिर्फ   उजाले   से   ही   नही   बल्कि   अपने   होने   से   भी   -   बहुत   पहले   ,  शायद   बरसो   कोई   एक   नीला   शर्ट   हुआ   करता   था ,  एक   कॉपी   जिसका   कव्हर   नीला   था   और   थोड़ा   बड़ा   हुआ   तो   स्कूल   का   पेंट   भी   नीला   फिर   कूची   पकड़ी   तो   सफेद   केनवास   पर   दो   पेड़ ,  एक   नदी ,  एक   झोपड़ी   और   नीले   आसमान   में   उगते   सूरज   और   पक्षियों   को   बनाते   हुए   नीले   रंग   की   शीशी   बहुत   भाती   थी ,  वो   कभी   ढुल   भी   जाती   तो   लाल   पत्थर   को   नीला   कर   देती इस   नीले   रंग   को   अपने   भीतर   की   न