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Showing posts from April, 2019

पसीने से भरा मई 30 April 2019

पसीने से भरा मई – उम्मीद के सफ़र के लिए सुनो पुकार संदीप नाईक सूरज लगता है सातवें घोड़े पर सवार होकर भुनसार में ही निकल   पड़ता है अपने रथ पर सवार होकर वो गर्मी से त्रस्त और पस्त लोगों को सुबह -   सुबह ही आंखें मलने पर मजबूर कर देता है , लोगों की नींद जैसे तैसे अभी अभी लगी ही थी कि किसी जमींदार की ठसक में अकड़े सूरज बाबू खबर लेने पहुंच जाते है , हाथ में तीखा ताप है और चहूँ ओर तपिश अपनी रश्मि किरणों के कौड़े लगाते वे सबको अपने प्रकाश से चुंधियाते हुए उठा देते है लोग हैरान है कि क्या हुआ , अभी तो रातभर के संघर्ष के बाद हवा के ठंडे झोंको को तरसते हुए आंख लगी ही थी कि नींद उचट गई , अलसाते हुए आंखें मलकर उठ बैठते है और याद आता है कि पानी नही है , बगैर कुल्ला और ब्रश किये निकल पड़ते है हाथों में बाल्टी , ड्रम , हंडे , गगरे और वो सब उठाकर जो पानी समेट सकेगा - नल सूखे पड़े है , कभी टपकते है तो भीड़ लग जाती है , बोरिंग की जगह पर सुबह तीन बजे से लाईन लगी है - ऊंघते अनमने लोग सायकिल के कैरियर पर सिर टिकाए खड़े अपनी बारी की बाट जोह रहे हैं , दो ड्रम पानी इस समय रोज़गार , रोटी और बीमारी से ब

Posts of 28, 29 April 2019

"You want the answers" ? "I want the truth....." "You can't handle the truth...." ◆◆◆ Jack Nicholson in "A Few Good Men" *** ममता के 40 विधायक सम्पर्क में इधर मप्र में भी शिवराज खाली बैठे है अर्थात चुनाव के बाद विधायकों की खरीदी बिक्री होगी लोकतंत्र के सत्ता पुजारियों को सहन नही हो रहा, विपक्ष में बैठना गंवारा नही है आज जो धमकी मोदी ने सरेआम ममता को दी वह देखिए जो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ या देवी पूजकों को -कितना भयावह दृश्य है एक आदमी मंच से सरकार खरीदने की घटिया धमकी देता है केचुआ और राष्ट्रपति का क्या रोल है ऊपर से डरपोक इतना कि चोरी नही की तो राफेल केस में कल क्यों नही प्रस्तुत हो रहें कोर्ट में क्यों बोलो हद है मतलब *** असली भारत वंशी देशभक्त हो तो लो असली ठोस सेना का जवान सामने है एक फर्जी, दंभी, नकली, गैर जिम्मेदार,बदला लेने वाले व्यक्ति के सामने इस जवान ने इतना ही बोला था ना कि दाल में पानी है, जिस देश मे भ्रष्ट सेना सबसे ज्यादा बजट चट कर जाती है और अफसर से लेकर प्रधानमंत्री तक इस बंटवारे में शामिल

Posts of Last Week April Dewas Election 2019

कल देवास के सांसद चुनाव को लेकर एक पोस्ट लिखी थी एक भक्त का अभी फोन आया बोला " आप सरकार के खिलाफ लिखते हो, माना कि आप हिंदी भाषा के बहुत बड़े गणितज्ञ हो, पर ऐसा मत लिखा करो " मैं हैरान हो गया , क्या गजब की समझ है भक्तों की मित्रों , देवासियों - भोपाल चौराहे से बीएनपी जाने वाली सड़क पर एक बार चलकर देख लो , 26 साल से सड़क नही बनी, इसी रोड पर नगर निगम के सभापति का घर देख लो किसका विकास हुआ , महापौर जी का स्कूल, गार्डन, बंधन बैंक की बिल्डिंग का विकास देख लो और शहर की सड़कें देख लो, पूरा शहर खोद कर ठेकेदार भाग गया सबने कमीशन डकार लिया - अधिकारी तो निकल लिए , नेता यही रह गए खालिस नेता पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक तुम्हारा था 10- 15 साल से , क्या विकास किया जरा बता दो शहर का - बात करते है विकास की भाषा के गणितज्ञ कहते हो - जरा अपनी भाषाई समझ ही देख लो ज्ञान के अड्डों से निकले चूजों - इसी समझ से जगसिरमौर बनाओगे भारत को , हिन्दुराष्ट्र भी अबे क, ख, ग, घ तो सीख लो *** देवास शहर में 1970 से बैंक नोट मुद्रणालय की शुरुवात के साथ जो औद्योगिकीकरण हुआ था आज

Posts of 17 April 2019

मप्र के जगत मामा मामी - बापड़े कन्या भोज जिमाने में ही रह गए, करवा चौथ और आंवला नवमी अब कैसे मनेगी *** मर्दानगी और मजबूती की हद यह है कि परम्परा और ताकत को एक नौकरी पेशा छोटे से चैनल के पत्रकार  Ravish Kumar  से बात करने की हिम्मत पांच साल से नही हो रही खुले आम बहस करने को जो तैयार नही वो मजबूती की बात कर रहा है, हड़बड़ाहट, हताशा और हारने की प्रत्याशा में दिल दिमाग़ और जुबान पर काबू खो बैठे है मजबूत हो तो लाओ 36 दामादों को जो टैक्स पेयर्स का रुपया लेकर भाग गए, मजबूत हो तो हटा क्यों नही दी 370 और 35 - ए, कश्मीरी पंडितों को बसा देते, राम मंदिर बना देतें, मजबूत हो तो काहे इनकम टैक्स,  चुनाव आयोग, सीबीआई की गोद मे बार बार छुप जाते हो मजबूत हो तो तुम्हारे भक्त क्यों चढ़ आते है हर पोस्ट पर बदतमीजी करने और शावकों की तरह देववाणी बरसाने लगते है, क्यों सारे के सारे बदतमीजी की हद पार करके सठिया गए है दुनिया की सबसे बड़ी भक्त मंडली और मजबूती से भरे विश्व नायक को कन्हैया से जीतने में पसीना आ रहा है, अपनी ही माय बोली गुजराती के दो युवाओं को समझा नही पाएं जो देश भर में मजबूती को ठोंककर कह रह

कबीर का कुमार हो जाना ही संगीत है 8 April 2019

कबीर का कुमार हो जाना ही संगीत है _________________________ जब होवेगी उमर पूरी ....और हम सबको एक दिन उड़ जाना है अकेले संत और निर्मोही हंस की तरह सब कुछ और विराट माया महाठगिनी को छोड़कर ◆◆◆ स्व शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकली यानी पंडित कुमार गन्धर्व जी का आज जन्मदिन है उन्हें प्रणाम, 8 अप्रैल 1924 को जन्में कुमार जी एक विलक्षण व्यक्तित्व थे, आज उनकी स्मृतियों को बहुत सघनता से महसूस करते हुए कोमलता से आरोह अवरोह में खड़ा भीग रहा हूँ ◆◆◆ उनकी स्मृति अक्षुण्ण है , देवास में चलते फिरते, सब्जी लेते, आम आदमी से मिलते, अपने घर के बड़े से झूले पर बैठे सुपारी काटते, मल्हार स्मृति मन्दिर के मंच पर लम्बा आलाप लेते बाबा की यादें अंदर तक सुरक्षित है ◆◆◆ राहुल बारपुते, विष्णु चिंचालकर और बाबा डीके के संग ठठ्ठा लगाकर हंसते और अचानक गम्भीर बात कहते बाबा याद आ जाते है जब देर रात सुनता हूँ - "ठगवा कौन नगरिया लूटन हो, ठगवा कौन नगरिया ...." ◆◆◆ भारत भवन बन रहा है - कुमार जी, राहुल जी, बाबा और गुरुजी के संग है अशोक जी जो इसे दुनिया भर में अलग पहचान देना चाहते है एक अम्बेसेडर ( ज

Posts between II and III week of April 2019

जो लेखक, कवि, कहानीकार, आलोचक और बाकी के बकैती करने वाले अभी चुप है उन्हें 23 मई के बाद औकात दिखाकर ससम्मान दिखाया जाएगा कि अब ज्ञान पेला तो सारी बुद्धिजीविता एक झटके में सड़क पर ला दी जाएगी हिंदी का लेखक निहायत दोगला, फटटू, अवसरवादी और घटिया है और दोयम दर्जे का मक्कार , सालभर क्रांति करेगा और जब बोलना लिखना है तो दड़बे में जाकर बैठ जाएगा - ( मुआफ़ कीजिये ) बीबी के पल्लू में या पाली हुई माशूकाओं के हलक में ये साहित्य की अर्धविकसित , मानसिक रोगों से ग्रस्त संतानें है जिन्हें लक वा मार जाता है और हर समय रीढ़ विहीन रहकर ये सिर्फ आपसी लेनदेन और तमाम तरह की सुविधाएं भकोसने ने व्यस्त रहते हैं कल यहां मुम्बई में टाटा सामाजिक संस्थान में एक कवि मिलें जो बोलें कि " मैं एकाकी महिलाओं के प्रेम पर काम कर कविताएं लिख रहा हूँ" सातारा के मूल रहने वाले ये महाशय एक विचारधारा विशेष के ध्वज लेकर दौड़ रहें है। पूछा कि अपने क्षेत्र में क्या काम कर रहें है विचारधारा को लेकर तो बोले लजाते हुए कि " छह स्त्रियां मिली है जो एकल है और उनके साथ उठ बैठ रहा हूँ - कुछ कविताएं दिवाली वाङ्गमय के लिए

मुम्बई इन दिनों 16 April 2019

पिछले दिनों मुम्बई में था एक लम्बे समय रहा तो कुछ नए कोण से मुम्बई को देखने की कोशिश की है मुम्बई -1  रेंगने से जीवन निराकार होता है ◆◆◆ दुख वहाँ अमरबेल की तरह हर दीवार पर रेंग रहा था, सुख किसी घण्टी की तरह घर में बजता और चंद सेकेंड में बजकर खत्म हो जाता, दुख के आईनों में हर अक्स धुँधला जाता और सुख की धूप जब घर के फर्श पर पड़ती तो अवसाद की परछाईयाँ घनीभूत होकर यूँ निकलती मानो वे पसरकर अब ओर फैल जाएंगी तीन प्राणी एक अर्धविकसित शैशव और आसपास अंगना चौबारे से जीवन के भयानकतम रूप में फैली आशाओं का उद्दाम समुद्र जो हर पल हर सांस और चलते फिरते क्षणों में दुआ माँगता रहता, जिंदगियां हर सांस में भरपूर उम्मीदों को लेकर जीने की हौस हादसों से घबराती और फिर रोज़ रोज उगते सूरज के संग एकाकार होकर शीतल चांदनी का इंतज़ार करती एक अपाहिज व्यथा सी रिक्त होती आस्थाएं समय के दुष्चक्र पर दर्ज हो रही थी और दूसरी ओर विकास की घुड़दौड़ से पिछड़ा मानव तन मन अपनी वाणी को तो दूर स्पर्श, सुवास, देखने - सुनने से वंचित था और इसी लोक में बेचैन और उद्धिग्न होकर लगातार मन ही मन गूंथता बुनता रहा पर वे तार ना ज