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Showing posts from October, 2023

Khari Khari and Amit Shah will be next PM - Posts of 27 and 28 Oct 2023

  हमें मालूम है अपनी बीमारी का कारण - ब्रेख़्त ••••• नारायण मूर्ति सही कह रहे कि हमें हर हफ़्ते सत्तर घण्टे काम करना चाहिये, अठारह घण्टे काम रोज करने वालों ने देश को क्या दे दिया सिवाय झूठ, फरेब, दंगो और भ्रष्टाचार के मुझे लगता है रतन टाटा, अजीम प्रेम, लक्ष्मीपति मित्तल, गोदरेज, अडाणी, अम्बानी, माल्या और तमाम उन मोदियो जैसे उद्योगपतियों को माफ कर दो जो 65 - 75 पार है, या 55 - 60 की वय संधि में है, अधिकांश इनमें से दोनो मियाँ बीबी को कोई काम नही अब, जिम्मेदारी नही, अकूत दौलत है और यश कीर्ति झोले में है, सरकार दासी है इनकी, बेटे बेटियाँ सेट है, दामाद प्रधान है या राष्ट्र प्रमुख है, कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के कीड़े से ये अपने लिये रेशम बुन रहें है और उन शहतूत के पौधों को प्रश्रय दे रहें है जो इनके कोकून को रेशम में बदल देंगे और इसके लिये इन सबके पास एक फ़ौज है जो मौज में है दो रोटी कमाने में 60 घण्टे हर हफ़्ते और रोटी के साथ कल की चिंता में जीवन स्वाहा हो गया, एक दिन में आदमी खुद और अपने घर - परिवार या मित्रों से हंस बोल लेता है - वह भी इन कार्पोरेट्स से देखा नही जा रहा, देर रात काम से ल

Dr Santosh Arsh on Vihag Vaibhav's Poem - Post of 26 Oct 2023

  आधुनिक हिंदी कविता और युवा कवियों के रोष और जोश के बरक्स अनुज Santosh Arsh ने विहाग वैभव की सद्य प्रकाशित पुस्तक पर और पुस्तक के बहाने आधुनिक कविता के परिदृश्य पर एक ज़ोरदार टिप्पणी लिखी है, इसे कई - कई संदर्भों और प्रसंगों में पढ़ा और समझा जाना चाहिये भेदभाव और जातिगत व्यवस्था में जकड़े समाज में हजारों सालों से कईयों ने उपेक्षा सही और अपना जीवन बर्बाद भी किया है पर "रास्ता किधर है" - भी खोजकर उत्तर ढूँढे है और यही एक सकारात्मक उत्तर भी है उस अवसाद, तनाव और थोपी गई कुंठाओं का और कविता का काम भी यही है कि प्रतिबद्धता से रास्ते खोजना - सिर्फ़ कोसने भर से इतिहास में उपस्थितियाँ दर्ज होती तो फिर हम उसी बजबजाते समाज में आज भी जी रहे होते और कबीलाई होकर कई तरह के घृणित कार्यों में लिप्त रहते पेरियार से लेकर जोतीबा, सावित्री बाई, अंबेडकर और तमाम वो लोग जिन्होंने अन्याय, भेदभाव को सहकर आगे का मार्ग प्रशस्त किया और अपने गुस्से को बदलाव का प्रतीक बनाया, इस बात को बार - बार रेखांकित करने की ज़रूरत है बहरहाल, अनुज संतोष की यह महत्वपूर्ण टिप्पणी हम सबको पढ़ना चाहिये जो हिंदी कविता के बुर्जु

“आत्मबोध से आत्मसात तक करने की बारी” Review of Sachin Jain's books on the Indian Constitution Post of 26 Oct 2023

  “आत्मबोध से आत्मसात तक करने की बारी” संदीप नाईक जब हम किसी विषय के बारे में अनभिज्ञ होते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब हम उसके बारे में जानना शुरू करते हैं, तो फिर हर पहलू को टटोलने और जानने और समझने की आवश्यकता और ललक पैदा होती है. भारतीय संविधान एक ऐसा ही विशाल और वृहद ग्रंथ है जिसे हमने 26 जनवरी 1950 को आत्मार्पित किया था. यह संविधान मूल रूप से आजाद भारत में रहने वाले लोगों के सपनों, सच और कर्मों का लेखा-जोखा है, हमारे लिए यह सारे धर्म ग्रंथो से ऊपर है क्योंकि जिसके द्वारा हम शासित होते हैं वह हमारे लिए सर्वोच्च पवित्र ग्रंथ होना चाहिए. इस संविधान को बनाने में प्रत्यक्ष रूप से लगभग ढाई सौ लोगों ने सहयोग दिया और हजारों लोगों ने इसके बारे में अपनी राय, सुझाव और अपनी भावनाएं व्यक्त की. 2 वर्ष आजादी के बाद के महत्वपूर्ण थे - जिसमें संविधान सभा की अनेक बैठकें हुई, लगातार लंबी-लंबी बैठकों में संविधान के हर शब्द और मूल्य पर बातचीत हुई और उसे अंतिम रूप दिया गया. दुर्भाग्य से अंत में अंतिम स्वरूप देने वाले मात्र बाबा साहब भीमराव अंबेडकर थे और 26 नवंबर 1949 को यह पूर्ण हुआ और 26 ज

"To A Friend's House the Road is Never Long" Jaynat Munshi's visit on 18 Oct 2023

  "To A Friend's House the Road is Never Long" 2010 -11 का समय था और हम अपने कैरियर के मध्य में थे, अचानक हम लोगों को एक मौका मिला और "टाटा सामाजिक संस्थान, मुंबई" में पढ़ाई करने के लिए हम लोग चले गए, टाटा सामाजिक संस्थान समाज विज्ञान के क्षेत्र के लिए एक स्वर्ग है और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर व्यक्ति को लगता है कि अगर यहां पर नहीं पढ़ा तो क्या खाक जीवन जिया और यहां से पढ़ने वाले को लगता है कि उसको जो आता है या उसकी जो समझ है - उसके आगे पूरी दुनिया मूर्ख है इसी तरह के कुछ पूर्वाग्रह और जोश को लेकर हम इस संस्थान में घुसे शायद 40 लोगों का बैच था, जो देश के अलग-अलग हिस्सों से आए थे हम लोग थोड़े दिन चेंबुर कैम्पस में रहे, उसके बाद तुलजापुर, जिला सोलापुर - मराठवाड़ा चले गए जो सूखे और गरीबी के लिये जाना जाता है और यहां पर हमने समाज विज्ञान का ककहरा पुनः सीखा यूँ तो हम दशकों से समाज विज्ञान का काम कर रहे थे, समाज में जीवन्त लोगों के साथ काम कर रहे थे, समुदाय के साथ काम कर रहे थे - परंतु वहां पर जाकर डॉक्टर परशुरामन (जो निदेशक थे ), प्रदीप प्रभु से लेकर शिराज, डॉ रा

Khari Khari - Post of 18 Oct 2023 Dewas Election

देवास में लम्बे समय बाद कांग्रेस विधायक के जीतने की संभावना बन रही है, भाजपा के सामंती उम्मीदवार ने पहले 30 वर्ष और बाद में उनकी पत्नी ने दस वर्ष से कुछ नही किया, शहर की गुलाम जनता ने सामन्तवादियों और महल से उम्मीदें रखी पर जिस विधायक का 40 वर्षों में शहर में एक दफ्तर नही खुला, महल में लोग समस्या लेकर गए तो विधायक बात करने नीचे नही उतरी वो क्या जाने दुख दर्द जनता के अच्छी बात यह है कि भाजपा के पदाधिकारी गण, संघ खुद अबकी बार महल को जमीन दिखाएंगे और हरवाएँगे, बेचारे कब तक कमर झुकाकर सलाम बजाते रहें, बूढ़े हो गए भाजपा के नेता पर वंशवाद नही छोड़ पाया इनका पीछा, इसलिये जब ये विधायक हारेगी तभी नई कोंपलें फूटेंगी और नया नेतृत्व उभरेगा, शहर के 18 वार्ड और भाजपा समर्थित पार्षद पूरे मूड में है कि महलों - तख्तों और ताजों की दुनिया को ठोकर मारकर नई पौध उगाई जाये सवाल कांग्रेस या भाजपा का नही, सवाल सामंतवाद की गुलामी का है, 1947 में सभी पदों का लोप हो गया था पर इस शहर के गुलाम अभी भी "महाराज, महारानी करते नही अघाते है और भुगत रहे है और अब बाजी पलटेगी , सत्यनाश करने वाले और पुत्र मोह में जकड़े लोग

Khari Khari, Vijayanand - Sad demise - Posts of 17 Oct 2023

जब तवक्को उठ गई ग़ालिब जन्मदिन पर बधाई दो और लगातर पांच साल तक आप दुआएँ देते रहें - अगला कभी शुक्रिया कहना तो दूर, लाइक भी ना करें आप हमेंशा मेसेज करो और फोन करो, अगला कभी फोन ना उठाएं ना जवाब दे या कॉल बेक करें जीवन भर आप मिलते रहें, पर कभी ढंग से बात की हो या तवज्जो दी हो - याद नही पड़ता आप तारीफ़ करें सामने वाले के गुणों की और अपनी हर बात में ज़िक्र करें और अगले को कोई फ़र्क नही पड़ता - बिंदास गढ्ढे खोदता रहता है, मरेगा ससुर अपनी ही कब्र में गिरकर आपने अपनी छपी किताब की प्रति प्यार से दी, पढ़ें ना पढ़ें , उसकी मर्जी पर अगला स्वीकार भी ना करें यह बात अपना समझकर आपने उसे अपने हर कार्यक्रम में बुलाया पर अगला शादी ब्याह कर लें और नुक्ता-घाटा भी और आपको खबर भी ना करें तो भैया आप मर जाओ या सौवाँ जन्मदिन मनाओ अपने को कोई फर्क नही पड़ रहा, एक नही दो नही - चार ब्याह करो, दस लड़कियों से तलाक लेकर मुआवजा भरो बाप के भ्रष्ट तरीके से कमायें रूपयों से - मेरी दुआ से तुम्हारी हर नई पुरानी या थर्ड हैंड पत्नी भी भाग जाए किसी लौंडे के साथ और तुम्हे फिर कोई पचास साला औरत मिलें अपुन को क्या अब बहुत हो गया, साला ए

October Ki Kasak - Posts of October 2023

  8 अक्टूबर महज तारीख नही है अक्टूबर एक पीड़ा और संत्रास का भी महीना है, आज छोटे भाई का जन्मदिन होता था, डेढ़ साल छोटा था मुझसे, पिता की मृत्यु के समय बहुत छोटा था, शायद उसे जीवन - मृत्यु की समझ तो थी पर भान नही था कि इसके बाद क्या, उसे अपने भाई की तरह नही बेटे की तरह बड़ा किया था, हर जिद उसकी पूरी की और उसने मेरी, मेरे लिये वह ढाल था एक संकट मोचन की तरह हर समस्या का हल और मेरे होने का असली अर्थ दिखने में सुंदर, गोरा, घुँघराले बाल, हष्ट-पुष्ट, ताक़तवर, स्वभाव से मृदुल, सबका सहयोगी और हर मामले में हम तीनों भाइयों में सबसे आगे, जब वह सायकिल चलाता तो देखने वाले काँप जाते थे, माँ, मुझे एवं बड़े भाई को लोग कहते कि "बाबा क्या सायकिल चलाता है उसे कहो कि धीरे चलाया करें', पर वो हवा पर सवार था उसे किसी की नही सुननी थी, एक दिन ना जाने किस दिशा में वह बहुत जल्दी ऐसा चला गया कि फिर लौटा ही नही - हम आज भी उसका इंतजार कर रहे हैं एक फैक्ट्री में काम करता तो आधे घण्टे लंच की छुट्टी होती, पाँच किमी आना-जाना करता लंच में और पंद्रह मिनिट में खाना खाकर लौट जाता था, कभी लेट नही हुआ, पापा की जगह उसे सरक