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Showing posts from June, 2019

Posts of 23 to 26 June 2019

दक्षिण अफ्रीका के कारोबारी गुप्ता बंधुओं की जोशी मठ ( उत्तराखंड ) जैसे सुरम्य जगह पर पवित्र वातावरण में हुई शादी में 200 करोड़ खर्च हुए और जो कचरा, प्लास्टिक छोड़ गए उसका क्या अग्रज  Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna  जी ने बहुत पहले से लिखना शुरू किया था , हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया पर धनपशुओं ने एडवांस में ही कोर्ट को 3 करोड़ और शादी के बाद चमोली नगर पालिका को 54 करोड़ दिए कचरा निपटान के लिए दे दिए बाद में कमाल का देश है रुपये दो और कचरा फैलाकर जाओ , अर्थात अफ्रीका जैसे देश सचे त है पर हमारे यहां सब चलता है - संसद, विधानसभा, हाई कोर्ट, संविधान, नेता सबको जेब का रुपया बांटकर आप कुछ भी कर सकते है इससे याद आया कि मीडिया ने अम्बानी के यहां हुई शादियों के कचरा निपटान की कोई जानकारी ही नही दी थी, ये बताईये वहाँ भी तो कचरा हुआ ही होगा माननीय मोदी जी स्वच्छ भारत का इरादा इस कार्यकाल में है ना और उन संडासों का जीर्णोद्धार कर दो - पानी ही पहुंचा दो कम से कम ताकि उनका इस्तेमाल हो सकें और ऐसे उद्योगपतियों पर कड़ा प्रतिबन्ध लगाएं जो इस तरह की हरकतें कर रहें है फिर भी कहता हूँ कि वो भला

यम के दूत बड़े मरदूद - Post of 20 June 2019

यम के दूत बड़े मरदूद  ◆◆◆ बड़े लेखक, कवि, आलोचक और महान है आप, साढ़े चार माह में एक किताब पैदा कर देते है आप या सुअरिया की तरह एक साल में दस बारह हम है फेसबुकिया टाईप लेखक और घटिया मानुस जात ना कोई बुलाता है ना कही जाते है, ना हिंदी की ठस और जड़ अखाड़ेबाजी आती है - ना लल्लो चप्पो करना, ना विवि में पढ़ाते है ना महाविद्यालय में समोसा खाते हुए प्राचार्य को गाली देकर महिलाओं के किस्से सुनते है स्टाफ रूम में , हिंदी की चिन्दी अपना इलाका ईच नई है जो उठाये फिरे किसी भांड या चारण की तरह ना किसी क्लासिक लेखक को उद्धत करने की औकात है और ना बकवास किस्म की ओढ़ी हुई नज़ाकत का ढकोसला है जो अंदर है वही बाहर है हम, ना किसी प्रशासनिक अधिकारी को मख्खन लगाते है ना सम्पादक के जूते चाटते है ना जवाहर भवन जाने की चाह है ना संस्कृति के भवनों और एशगाहों में अड्डेबाजी कर कुंडली मारे बैठे बाबू किस्म के जहरीले फनों से इश्क है ना बड़े कार्यक्रमों के पहले युवाओं को पपोलना आता है ना बुजुर्गों की मरम्मत करना इस सबके बाद तुम घटिया लोग हमें फेसबुकिया लेखक कहकर उपहास उड़ाओ तो हमें फिर भी प्यार है तुमसे अ

father's Day 16 June 2019

तुम गए ही नही पिता ◆◆◆ अब चिट्ठियां आती नही तुम्हारे नाम - बिजली, फोन, मकान के टैक्स से लेकर राशन कार्ड तक में बदल गए है नाम कोई डाक, पत्रिका, निमंत्रण तुम्हारे नाम के आते नही हमारे बड़े होने के ये नुकसान थे और एक सिरे से तुम्हारा नाम हर जगह गायब था कितनी आसानी से नाम मिटा दिया जाता है हर दस्तावेज़ से और नाम के आगे स्वर्गीय लगाकर भूला दिया जाता है कि अब तो स्वर्ग में हो वसन्त बाबू और बच्चें तुम्हारे ऐश कर रहें हैं बच्चों से पूछता नही कोई कि बच्चें कितना ख़ाली पाते हैं अपने आपको कि हर दस्तावेज़ से नाम मिटाकर अपना जुड़वाने में कितनी तकलीफ़ हुई थी और अब जब बरसों से सब कुछ बिसरा दिया गया है तो नाम भी लेने पर काँप जाती है घर की नींव जिसमे तुम्हारे पसीने और खून की खुशबू पसरी है घर में मिल जाती है कोई पुरानी याद तो घर के दरवाज़े और छतें सिसकियों से भर उठती है रात के उचाट सन्नाटों में *** बेफ़िक्र ◆◆◆ ज़िंदा हो धड़कते हो रास्तों में आगे हो छाँह हो उजाला हो अपने समूचे पश्चाताप में याद करते हुए पोछ लेता हूँ दो आंसू जहां पाता हूँ आज देखता हूँ दो बाँहें सम्हाल रही है हौले से क्य

Posts of June II Week 2019

बिहार जाते डर लागे मोहे  ◆◆◆ रामदेव रविशंकर सद्गुरु अवधेशानन्द जैसे मठाधीशों से लेकर इंदौर देवास के गली मोहल्लों और बड़वाह के घाट पर आश्रम चला रहे या अरबों शिव लिंग बनाकर लिम्का छाछ रेकॉर्ड बनाने वाले बाबा लोग गए नही बिहार सेवा करने मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी से लेकर और धर्म के ठेकेदार गए नही बिहार सेवा करने बैद्यनाथ, हमदर्द से लेकर पतंजलि और वोकार्ट से लेकर डॉक्टर रेड्डीज़ की एम्बुलेंस नही दौड़ीं बिहार दवाईयां बाँटने अजीम प्रेम से लेकर टाटा , बिड़ला, अनुराग दीक्षित , सहगल फाउंडेशन या फोर्ड से लेकर गली मोहल्लों में भीख मांगने वाले गए नही बिहार स्टैनफोर्ड, हावर्ड, ससेक्स से लीड तक की लीद बटोरकर ओशो, कृष्णमूर्ति, विवेकानंद, मार्क्स, हीगल, प्लूटो, सुकरात और अंबेडकर तक दलितों के लिए झंडा फहराने वाले नही गए बिहार विश्विद्यालयों में ज्ञान के अपचन से दस्त के दलदल में फंसे पवित्र प्रोफेसर नही गए, EPW से लेकर विश्व बैंक और दुनिया की पत्रिकाओं में शोध परक कूड़ानुमा आलेख परोसने वाले नही गए बिहार गांधीवादी से लेकर समाजवादी और पूंजीपति से लेकर उपभोक्तावादी नही गए बिहार प्

डबल्यू लिविंगस्टन लारनेड का पत्र 11 June 2019

जो अभिभावक है वे पढ़ें और जो नही है वे जरूर पढ़ें , मुझे रुला दिया सुबह सुबह इस पत्र ने यह पत्र शिक्षक को लिखे अब्राहम लिंकन के पत्र से लाख गुना बेहतर, मानवीय मूल्यों से ओत प्रोत है, अपनी गलतियां सुधारूँगा और रास्ते में जो उजाला आया है इस बहाने कुछ बदलूंगा अपने को ◆◆◆ अपने बेटे को बुरी तरह डांटने के बाद गहरी आत्मग्लानि से भरे हुए डबल्यू लिविंगस्टन लारनेड यह पत्र हर पिता को पढ़ना चाहिए- ◆◆◆ सुनो बेटे ! मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं । तुम गहरी नींद में सो रहे हो । तुम्हारा नन्हा सा हाथ तुम्हारे नाजुक गाल के नीचे दबा है और तुम्हारे पसीना-पसीना ललाट पर घुंघराले बाल बिखरे हुए हैं । मैं तुम्हारे कमरे में चुपके से दाखिल हुआ हूं , अकेला । अभी कुछ मिनट पहले जब मैं लाइब्रेरी में अखबार पढ़ रहा था , तो मुझे बहुत पश्चाताप हुआ । इसीलिए तो आधी रात को मैं तुम्हारे पास खड़ा हूं किसी अपराधी की तरह । जिन बातों के बारे में मैं सोच रहा था , वे ये है बेटे । मैं आज तुम पर बहुत नाराज हुआ । जब तुम स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहे थे , तब मैंने तुम्हें खूब डांटा ... तुमने टोवेल के बजाए पर्दे से हाथ प

Posts of June I week 2019 - Aligarh Rape and other burning issues

राज्य और हमारा कानून नपुंसक है - हमें व्यवस्था सम्हालना होगी ●●● मेहरबानी करके बलात्कार, हत्या या किसी भी अपराध में धर्म, जाति या सम्प्रदाय खोजना बन्द कीजिये, यह राज्य और दलगत राजनीति आखिर में हमारा ही नुकसान करेगी, सबके आईटी सेल है और समाज में हिंसा फैलाना इनका धर्म है सत्ता और सरकार के अपने अपने स्वार्थ है और जो सरकारें अपने बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, पोषण, भ्रूण हत्या, सही समय पर विवाह या बलात्कार से रक्षा नही कर सकती वह सरकार निकम्मी और घोर लापरवाह है वह कोई भी हो - फिलिस्तीन, अमेरिका, सीरिया, पाकिस्तान, नेपाल या भारत जैसे संस्कारी और धार्मिक देश की बात हो - सरकारें सिर्फ़ चुनाव जीतने और आर्थिक लाभ लेने के लिए ही लोकतंत्र में बनाई जाती है बाकी के समय ये निकम्मे गैर जिम्मेदार और हद दर्जे तक हरामखोरी में व्यस्त रहते है इसलिए इन पर विश्वास करना छोड़िए और हमारी न्यायपालिका और कार्यपालिका इनकी चाटुकार और गुलाम है इसलिये इन गिरगिटों पर भी भरोसा मत कीजिये जिनकी प्रतिबद्धता संदिग्ध है अलीगढ़ हो, कठुआ या कल उज्जैन में हुई 5 साल की बच्ची की रेप के बाद नृशंस हत्या , उज्

गिरगिट - गिलहरियों के क्षुद्र स्वार्थ - 01 June 2019

गिरगिट - गिलहरियों के क्षुद्र स्वार्थ  ◆◆◆ मेरा कहना और मानना है कि पतनशील समाज में अब साहित्य का कोई अर्थ नही है और साहित्यकारों को भी यह मुगालते दूर कर लेना चाहिए , मेरे जैसे एनजीओ वाले ने तो तय भी कर लिया है कि अब समाज को और खासकरके वंचित, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, असहाय, दिव्यांगी और उपेक्षित लोगों को मदद करने के बजाय असहाय रखना या मदद ना करना (दुत्कारना ज़्यादा बेहतर होता शब्द शायद) ही बेहतर है - क्योंकि जागरूकता का फायदा जब ऐसे मिलें तो - क्या मतलब है इस सबका यह एक बेहद स्वार्थी , मौका परस्त और मक्कार समाज है जो आपके पास अपने अधिकारों और हकों की लड़ाई के लिए आता है - शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कुपोषण , आजीविका, सुशासन से सम्बंधित मुद्दों और इकाईयों से लाभ लेने के लिए आपको दुहता है - आपके धन, स्रोतों और जानकारी का दोहन करता है , परंतु भयानक किस्म का साम्प्रदायिक, दलगत और जातिवादी मूल्यों में धँसकर जाति भेदभाव को खत्म करने के बजाय उसे "एन्जॉय" करता है और इसके तमाम तरह के जायज - नाजायज़ फायदे उठाता है और मज़ेदार यह है कि बन्दूक आपके कांधे पर धरता है शातिरी से एनजीओ

Posts of 30/31 May 2019

एक पूंजीपति कामरेड से मुलाकात हुई जो धार्मिक किस्म के कॉमरेड है, अपनी बीबी को छोड़कर एक दूसरे कॉमरेड की बीबी के साथ चुहल में व्यस्त रहते है और ज्ञान के भंडार [अर्थात -कंट्रोल, कॉपी और पेस्ट] से दुनिया को लाभान्वित करते हैं बेरोजगार दर्शाते है अपने को - ऑडी में बैठकर सिगार पीते हुए, सो अभी राष्ट्रीय सेवक संघ की एक किताब - "टुकड़ा टुकड़ा गैंग और मोदी के अस्तित्व वाद का अनुशासनात्मक अध्ययन" - सम्पादन, अंग्रेजी अनुवाद किया अब वे "दलित चेतना और वामपंथी अनुशीलन" पर भिड़ेंगे जिसका खर ्च अखिल भारतीय बावीसा ब्राह्मण और औदुम्बर ब्राह्मण समाज मिलकर देंगे जून में कॉमरेड अमेरिका जा रहें हैं - "बंगाल में वाम राजनीति के पतन में ट्रम्प की नीतियों का रोल" का अध्ययन करने मेरा देश महान *** अपने से छोटों को आशीर्वाद देता हूँ कि बड़े होकर रामविलास पासवान और रामदास आठवले बनें, अभी से राम की आराधना शुरू करें दोनो ही राम से शुरू होते है एक विलासी है और दूसरे दास प्रवृत्ति के बाकी पासवान या आठवले होने से इनकी जातियों का कुछ भला नही हुआ है और ना होने वाले है बहरहाल