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Showing posts from June, 2014

एक स्त्री का दूसरा मर्द

रूपया बहुत कुछ हो ना हो , पर एक स्त्री के जीवन का दूसरा मर्द होता है... बहुत गंभीर बात जब उसने कही, तो मैंने देखा रो रही थी वो , बावजूद इसके कि हाल ही में उसने पैतालीस लाख का फ़्लैट खरीदा था। उसकी मासिक आय करीब दो लाख थी और इस बड़े से पॉश फ्लैट में वो अकेली रहती थी क्योकि सेपरेशन के बाद वो नितांत अकेली रह गयी थी। भाई भी कभी कभी कह देते कि अपने घर जाओ, पर यह घर उसने खुद अपने लिए बनाया है और "अब मै  अपने घर में बहुत सुरक्षित महसूस करती हूँ - अपने आप को चाहे मै यहाँ एकदम अकेली हूँ" उस सडियल सी शादी शुदा जिन्दगी से एक बच्चा भी निकल आता तो आज मै शायद खुश रह लेती , पर अब तो नियति का खेल है और मै इसकी कठपुतली। तुम भी तो अकेले हो, उसने पूछा तो मैंने कहा हाँ, तो ? तुम्हारा घर क्यों नहीं , बना लेते एकाध कमरा ही सही, लोन ले लो, पर एकल स्त्री या पुरुष का अपना खुद का घर होना बेहद जरुरी है, चाहे अखबार बिछा कर सोना पड़े और पानी पीकर पेट भर लो, पर अपना होना चाहिए सब कुछ। सन्न रह गया था मै उसकी बात सुनकर!!! मेरी हिम्मत नहीं थी कि उसके कंधों पर हाथ रखकर उसे कह दूं कि मै हूँ ना रो मत, या ये कह

"tu me manques"

I n French we don't say I miss you, they say "tu me manques"  Means you are missing from me, and I love this you are missing from me. You are a part of me , you are essential to my being, you are like a limb, or an organ or blood. I can not function without you. Thanks  Apoorva Dubey  for this best quote and I mean it too. Thanks

सही है साईबाबा भगवान् नहीं है

सही है साईबाबा भगवान् नहीं है और आप भी तो नहीं है शंकराचार्य  असली दिक्कत आपको यह है कि वहाँ शिरडी में अभी किसी ने 350 किलो सोने का रथ चढ़ाया और हर साल वहाँ की आय 5000 करोड़ के ऊपर जाती है।  आप लोगों ने घटिया राजनीती करके और अपने मठों में काले कारनामे करके जो रूपया उड़ाया है उससे तो अब श्रद्धा ही ख़त्म हो गयी अपनी दुकानदारी बंद होते देख कैसे आप बिलबिला गए है। आपमे तो रामदेव वाला "हूनर" भी नहीं है क ि धर्म की आड़ में दवा बेच दें या काले पीले धन की दलाली करें सही साईबाबा भगवान् नहीं है पर आप एक बार उनके जैसा फकीरी जीवन जीकर तो दिखाओ कसम से हम सारे देश के लोग आपका भी मंदिर बना देंगे और आप ही क्यों ये जलन तो दूसरे मुल्ला और तमाम पिताओं और माताओं (Fathers/ Mothers/Brothers of Churches) को भी होती है जो मस्जिदों, चर्च में बैठकर अपने अपने राम गुनते रहते है। सही है अब आप लोग चूक गए हो गुरु तो बुढापे में धन और सोने की चिंता सता रही है। धन्य हो हिन्दू धर्म के सबसे बड़े गुरुवर !!! आईये थोड़ा और गहराई में जाए, जैसे सत्य साईं बाबा से लेकर इंदौर के नाना महाराज तरानेकर, गोंदवलेकर महाराज तक इंस

शौचालय सिर्फ शौचालय नहीं है.

भारत    में आजकल साठ प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है, तेजी से होते शहरीकरण ने काफी तादाद में लोगों को शहरों की  ओर पलायन करने को मजबूर कर दिया है. इसलिए यह आंकड़ा साठ प्रतिशत हो गया है. गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और बिजली के साथ शौचालय की समस्या अब नई समस्याओं में शुमार हो गयी है, कारण स्पष्ट है कि अब तेजी से सिमटते जा रहे गाँवों में खुली जगह बची नहीं है. हालांकि यह बहस भी नई है कि बलात्कार और छेड़छाड़ का मूल कारण शौचालयों का ना होना है परन्तु शौचालयों का ना होना और जागृति ना होना इस  मुद्दे को इस तरह से राजनैतिक रूप देकर संकुचित कर देना शौचालयों की आवश्यकता को गौण कर देगा.  घरों   में शौचालय होना वास्तव में एक स्वच्छता का प्रतीक ही नहीं वरन मानवीय आदतों में गरिमा के साथ शुमार एक महती आवश्यकता भी है. हाल ही में सरकार ने समग्र स्वच्छता अभियान में शौचालय निर्माण हेतु दी जाने वाली राशि में भरी बढ़ौत्री की है, इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार क़ानून के साथ जोड़ते हुए अनुदान की राशि साढ़े नौ हजार कर दी है जिसमे हितग्राही को मात्र पांच  सौ रूपये नगद या मानव श्रम के रूप में देने होते ह