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Showing posts from August, 2022

Khari Khari, Drisht Kavi and Kuchh Rang Pyar Ke - Posts from 22 to 29 August 2022

कल भारतीय क्रिकेट टीम ने बढ़िया खेल खेला और जीत दर्ज की, हार्दिक बधाई रात बारह बजे जिस तरह से पटाखे फोड़े गए और हल्ला हुआ वह सिर्फ निंदनीय ही नही बल्कि बीमार मानसिक दशा का द्योतक है, एक खेल ही है ना क्रिकेट भी और प्रतिद्वंदी पाकिस्तानी हो तो क्या आप पूरा देश सिर पर उठा लेंगे और ऐसा तमाशा करेंगे खेल की भावना कहाँ गई, और पटाखे फोड़कर आप लोग अपना धन बर्बाद कर रहे और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर प्रदूषण को भी बढ़ा रहें है और एक बात यह बताइए कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर इस बर्बादी से क्या फर्क पड़ा पर आपके घर, पड़ोसी और मरीजों की स्थिति खराब हो गई इसकी कल्पना की किसी ने मतलब प्रचंड राष्ट्रवाद की आड़ में आप ना खेल समझ पा रहे, ना खेल भावना, ना अपने हित साध पा रहें - खुशी मनाई जाए पर किस क़ीमत पर - यह सोचा कभी और छुपाने वाले बेशर्मी से मुद्दे छुपा रहें है और देश का ध्यान हर एक माह में कही और भटका रहें है - कमाल है हम भारत के 140 करोड़ लोगों का मुद्दा या नरेटिव एक या दो कारपोरेट के गुलाम तय कर रहें है काश ऐसा सामूहिक प्रदर्शन महंगाई, बेरोजगारी, निजीकरण, रोज होते दंगों - गिरफ्तारियों और अपने अधिकारों को लेक

बादल घुमड़ते है, गर्जना में याद आते हो - चन्द्रकान्त देवताले, Post of 21 August 2022

  || बादल घुमड़ते है, गर्जना में याद आते हो || उज्जैन जाओ तो चन्द्रकान्त देवताले जी की याद आती है, अभी बीच में उस कचोरी वाले की दुकान तरफ से निकला - जहां वे ले जाते थे हाथ से खींचकर, कमल ताई के जाने के बाद एकदम अकेले हो गए थे और कोई जाता मिलने तो बच्चों से खुश हो जाते, हम लोगों ने उनके साथ इतना महत्वपूर्ण समय बीताया और जीतेन्द्र श्रीवास्तव से लेकर मदन कश्यप जी आदि जैसे कई मित्रों और वरिष्ठ साथियों को लेकर उनके घर गए है, उनके पीछे हिंदी के वरिष्ठजन कहते थे उज्जैन के कि "सूर्योदय हो गया और लकड़बग्गा हंस रहा है" पिछले दिनों उसी घर की तरफ से निकला तो मन भर आया - थोड़ी देर बाहर खड़ा होकर निहारता रहा, उनके पाले ढेर कुत्ते बैठे थे बाहर - उदास और ऊँघते अनमने से, लोहे का दरवाज़ा सूना पड़ा था, पौधों की हरियाली पीले जर्द पत्तों में बदल रही थी और उस पतरे के शेड तले किताबों का अंबार नजर नही आ रहा था, मेरे पास उनका दिया जामुन और कई पौधे है जो अब बड़े हो रहें है उस दिन मुझे लगा कि वे अभी बाहर आएंगे और कहेंगे कि "संदीप, अंदर नही आये तो पाप लगेगा, आओ बैठो देखो यह तुकाराम का अभंग हिंदी में ठीक

पेटलावद के नीलेश देसाई को वर्ष 2022 का जमनालाल बजाज पुरस्कार - Post of 21 August 2022

  || पेटलावद के नीलेश देसाई को वर्ष 2022 का जमनालाल बजाज पुरस्कार || मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में सन 1987 से भील और भिलाला समुदाय के उत्थान के लिए काम कर रहें नीलेश देसाई को इस वर्ष के प्रतिष्ठित “जमनालाल बजाज” पुरस्कार से सम्न्मानित किया गया है. जमनालाल बजाज प्रतिष्ठान के डाक्टर आर ए माशेलकर और शेखर बजाज ने कहा कि नीलेश को सन 2022 का पुरस्कार देते हुए प्रतिष्ठान गर्व महसूस कर रहा है क्योकि निलेश ने सृजनात्मक कार्य के श्रेणी में असाधारण काम तिन से ज्यदा दशको से किया है और देश के अति पिछड़े इलाके में एक मोडल प्रस्तुत किया है. इस पुरस्कार में दस लाख रुपयों के साथ प्रतीक चिन्ह और प्रमाणपत्र दिया जाता है. झाबुआ कई लोगों कि कर्मभूमी रही है और आज जो अति पिछड़े आदिवासी नए रंग - रूप और स्वरुप में दिखते है उसके लिए कई लोगों का अनथक प्रयास रहा है. आजादी के आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चन्द्र्शेखर आजाद का जन्म भी यही हुआ था , मामा बालेश्वर दयाल जैसे समाज कर्मियों से लेकर साधना खोचे, हेर्विग स्ट्रीब्यूल और पदमश्री जनक पलटा की भी यह जिला कर्मभूमी रहा है. नीलेश देसाई को हार्दिक बधाई इ

Kuchh Rang Pyar Ke - Post of 19 August 2022

  उहापोह एक रात है जो खत्म नही होती 'बहुत दूर तक चलते रहने के फायदे ये है कि दिल - दिमाग़ में जो उथल पुथल या तनाव होते है वे घुलने लगते है' 'पर दूरी कैसे तय हो रही - यह कौन बताएगा, सिर्फ़ कदमों से दूरी तो नही पाटी जाती ना' 'तो फिर कैसे, उधेड़बुन का क्या, लगातार एक जगह ठहरे रहने से जो अवसाद उभर कर एकदम आइसबर्ग सा नजर आ रहा - उसका क्या' 'तो उधेड़बुन, ठहरे रहने और एक जगह के ही कोई पैमाने है क्या, मन तो निश्चल है और बैठे - बैठे ही सुदूर जगत तो छोड़ो, बैकुंठ धाम की यात्रा भी कर आता है - नदी के पानी मे उछलकर, ऊँची चोटियों पर चढ़कर, समुद्र की गर्जना को भी हुँकार दे आता है' 'तो फिर यात्रा या कदमों से दूरी नापने की जरूरत क्या है' 'कि शरीर सधा रहेगा और यहाँ - वहाँ जाने से कुछ रिक्तता कम होगी' 'पर शरीर तो नश्वर है, कबीर कहते है ना मत कर काया का अभिमान तो फिर और रिक्त तो कुछ रहता ही नही, विज्ञान ने यही सीखाया और ....' 'सोचते रहो, देखो कितनी दूर चल आये, मन की थाह का कोई ठिकाना नही और कोई पार नही, बस एक जंगल है, एक ठिया, एक मौन, एक सृष्टी, एक दृष

Khari Khari, Kuchh Rang Pyar Ke Chaitali in Dewas 11 and 14 August 2022 - Posts of 12 to 14 August 2022

|| अम्बानी, अडाणी या झुनझुनवालाओं का अमृत महोत्सव || इस पर कुछ बोला या ट्वीट किया क्या मोदी जी, जाहिर है सरकार किसकी है 2014 से, बल्कि कांग्रेस भी कम नही थी पूंजीवाद को बढ़ावा देने की शुरुवात कांग्रेस ने ही की है, और अब यह साफ होगा पर कुछ लोगों को यह सनातन संस्कृति और धर्म, मूल्य याद नही आयेंगे राकेश झुनझुनवाला के साथ तो फोटो डाल दिया - क्यों, यह कहने की जरूरत नही, पर इस बच्चे का क्या और यह सिर्फ आज की बात नही, यह देश अम्बानी, अडाणी, राकेश झुनझुनवाला का है और ऐसे बच्चों या कमजोर पिछड़े दलितों का नही , इनके नाम पर कार्यवाही तो दूर एक ट्वीट भी नही आएगा - चाहे कितने भी लोग मर जाये इस ओर कुछ कहेंगे क्या दलित नेता या सिर्फ झंडे लगाते रहेंगे, सुंदर कांड पढ़ेंगे, जॉम्बी बने स्कूल - कालेज से बाहर अपने समुदाय के युवाओं के लिए नौकरी या गरिमामयी जीवन की लड़ाई भी लड़ेंगे, दलित आंदोलन भी भ्रष्टाचार, अवसर और बकवास मुद्दों पर लगा है, जो समझदार है वे किताबें लिखकर, घूम फिरकर अकूत कमाया हुआ धन लूटा रहें है , अपने बच्चों को विदेशों में पढ़ा रहें है और फाइव स्टार होटल्स में शादी ब्याह करके दहेज में करोड़ो बाँट

यह घर बहुत हसीन है - Kuchh Rang Pyar Ke Deeepak Naik Blood Donor Post of 12 Aug 2022

  || यह घर बहुत हसीन है || “विभाकर विहार“ - ये खूबसूरत घर ही नहीं, एक सन्देश है जीवन का सन्देश, जब आदमी मुसीबत में होता है तो इधर - उधर भटकता है और अपनों से भी गुहार लगता है पर कही से कोई मदद नही मिलती तब प्रकट होते है देवदूत समान कुछ बिरले लोग - जो आपकी मदद करते है, वे कब आते है और कब अपना काम ख़त्म करके चले जाते है - मालूम ही नहीं पड़ता, जी हाँ मै बात कर रहा हूँ रक्तदाताओं की अस्पतालों और डाक्टरों से किसी का पाला ना ही पड़े तो बेहतर, पर जीवन में यह संभव नहीं, हम सब कभी ना कभी लाइलाज बीमारी के शिकार होते है, एक्सीडेंट में फंस जाते है - तब आवश्यकता होती है खून की जो कही नहीं मिलता बाजार में, विज्ञान कितनी भी तरक्की कर लें पर मानव खून तो मानव से ही लेना पड़ेगा और यह मिलना आसान नहीं. अनुज दीपक ने ये काम वर्षों पहले शुरू किया था और आज वे इंदौर या मप्र में ही नहीं, देश के एक आईकोन है. हमारा घर जो इंदौर में है 81, सिद्धीपुरम - वह दीपक के रक्तदान और पूरी यात्रा का जीवंत दस्तावेज है. दीपक ने अभी तक 130 से ज्यादा बार रक्तदान किया है, सिर्फ यही नहीं वे जहां साल में घूमने जाते है वहाँ भी लोगों को

Naresh Soni, RIE & SBI, Khari Khari, Kuchh Rang Pyar Ke - Posts of 8 August 2022

|| नरेश सोनी - यह देश तुम्हें तीन दिन में भूल गया || 1998 की बात है जब एकलव्य से इस्तीफ़ा देकर देवास के स्थानीय अँग्रेजी माध्यम के एक कान्वेंट यानी स्कूल में अंग्रेज़ी पढ़ाने के लिए नौकरी ज्वाइन की थी, जाते ही कक्षा अध्यापक बना दिया, किशोर होते हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों के बीच काम करना चुनौतीपूर्ण था, अधिकांश अधिकारियों के या शहर के कारोबारियों के बच्चे - नटखट , शैतान और उद्दंड भी खूब मजा आता, सीबीएसई ने अँग्रेजी का नया पाठ्यक्रम बनाया था, सो खूब प्रयोग, नवाचार करता , बच्चों से अँग्रेजी में लिफ़्लेट्स, पोस्टर, ब्रॉशर बनवाता, नाटक खेलते क्लास में और नया सृजनशील लिखवाने की कोशिश करता, पारंपरिक ग्रामर और पढ़ने - पढ़ाने के तरीकों पर मुझे यकीन नही था, टेपरिकॉर्डर भी ले जाता और बच्चों को स्किट सुनाता 1985 - 87 के बाद प्रत्यक्ष रूप से किशोरों को पढ़ाने का यह मौका गजब का था - 1982 से 1986 तक के कालावधि में पैदा हुए बच्चें कक्षा में थे और खूब जोश उत्साह से भरे और आंखों में सपने लिए, खुले माहौल में उनसे बात करना, सहज उठने वाले प्रश्नों का जवाब देना और शंकाओं का समाधान करना मुझे बहुत भाँता था आज सभ