Skip to main content

Posts of 23 to 27 May 2020

लॉक डाउन फेल
आर्थिक मोर्चे पर फेल
मजदूरों के कारण बदनामी
पाकिस्तान में भी कोरोना
तो मित्रों पेश है
देशभक्ति जगाने की नई दवा
भारत चीन पर सीमा विवाद, रोज देश का समय बर्बाद कर रहें हैं, सेना के तीनों अंगों का भी और मीडिया को तो चिन्दी चाहिये ही - आ गए व्हाट्सएप पर कचरा कूड़ा लेकर और अब नया दुश्मन मुसलमान नही - चीनी है और मैसेज की खेप अबकी बार इतनी अश्लील और घटिया है कि आप कल्पना नहीं कर सकते
घटिया लोग है अपनी अकर्मण्यता छुपाने को नया शिगूफा लायेंगे और इस बीच महाराष्ट्र में सरकार गिरा कर अपने उल्लूओं को थोप देंगे
कभी देखा सुना है ऐसा देश - माफ़ करिये आपको इससे भी बदतर शासक मिलना चाहिये, हम और आप इसी लायक है ढक पर मरने को ही अभिशप्त रहें बस
लॉक डाउन नही सोची समझी साजिश और बड़े खेल है हम सबके साथ
***
मुम्बई से देवास एक मित्र ट्रेन से आ रहा है , मैंने उसे सन्देश दिया कि हैदराबाद में खाना लेकर आऊंगा दिन का, रात का खाना मेरा एक भाई - जो गौहाटी में रहता है दे जाएगा और अगले दिन का नाश्ता लखनऊ में मुकेश भार्गव जी दे जाएंगे फिर लंच और मिठाई आलोक झा एर्नाकुलम में दे देंगे
टेंशन नही करने का, दो दिन का जुगाड़ हो गया है बाकी 7 दिन का भी करवा दूँगा, अमृतसर, अहमदाबाद, वारंगल, पांडिचेरी, पोर्टब्लेयर, कालाहांडी, भोपाल, शिमला, नैनीताल और कन्याकुमारी में बहुत दोस्त है अपुन के
बोलो मित्रों मेरे एक दोस्त को एक टाईम का खाना दे दोगे ना आधा लीटर पानी के साथ , प्लीज़ यार आपके भरोसे हूँ मैं
***
हर सातवां सन्देश आजकल यह आ रहा है कि किसी को मास्क, पीपीई किट चाहिये हो तो बताईये, अपने पास बढ़िया माल है पर्याप्त स्टॉक है और जो भी होगा सेटिंग देख लेंगे, आपका भी 5 -7 % जो होगा ले लेना, बस माल खपवा दो दादा / सर / भैया जी
◆◆◆
ये लोग बाजार में 100 में N 95 मास्क दे रहे हैं 1000 में पूरा किट - अब बताईये कैसे मुमकिन है
भोपाल, इंदौर से लेकर हर जगह पर नकली और छोटी मोटी फैक्ट्रियों में बने घटिया प्लास्टिक से बनाये गए ये किट सप्लाय भी हो रहें हैं, लोग कमा भी रहें है ये प्लास्टिक जो बैन है, जिसका जीएसएम भी मानकों के अनुरूप नही है - वह धड़ल्ले से इस्तेमाल करके लोग माल खपा रहें हैं
इसलिए आंकड़े बढ़ने का यह Reason भले ना हो पर एक Factor तो है ही - कोई नियामक तंत्र है गुणवत्ता जाँचने के लिए लिखित में तो सब है पर ...
***
दरवाज़े पर खटखटाहट बढ़ते जा रही है , सांकल टूट सकती है कभी भी
***
Seeing the failure of Govt at a large scale in this pandemic - national and state levels , there is an urgent need to pass the bill for Right to Recall.
As a nation we can not tolerate such irresponsible , hopeless, incompetent and inhuman leaders at all levels.
Country is facing / under severe problems , half of the population is crying & screaming but shameless leaders including opposition are calm and inactive.
Sad but true
***
दिल्ली और मुंबई से बिहार, यूपी, झारखंड, छग और मप्र के मजदूरों को बड़ी शातिरी और चालाकी से वापिस कर दिया हुक्मरानों ने , बाला साहब का स्वप्न पूरा हुआ - अब होगा विकास मुम्बई और दिल्ली का
***
देखिये जी सीधी सी बात है -
◆ अपने अनाज भंडारण खोल के सबको पर्याप्त राशन दे दो - कोई कार्ड नही, कोई सूची नही सब इस देश के या धरती के नागरिक है बस
◆ कैश ट्रांसफर करिये सबके खातों में , आपकी ब्यूरोक्रेसी भ्रष्टाचार करेगी ना - करने दो 5 - 7 % से कुछ खास फर्क नही पड़ेगा - खाने दो वो यूँ भी हमे आदत है इन्हें खिलाने की पर तुम नगदी रुपया दो फालतू की नौटँकी नही - समझे
बस बाकी बकलोली करते रहिए कुछ ना फर्क पड़ना है और ना पड़ेगा, और जो दो बिन्दु कह रहा हूँ वो करो - यह नही कर सकते तो निकलिए यहां से , हद है 60 दिन से आफत मचाकर रखी है देश भर में और उपर से आता जाता कुछ नही - उजबको की तरह से काम कर रहें हैं - कांग्रेस को कोस रहें, राहुल को कोस रहें, प्रियंका को कोस रहें - देशभर को जेल में ठूंस रखा है और फिर भी नतीजा यह है कि 6500 रोज पर आंकड़ा पहुँच गया है
अगर अर्थ शास्त्र समझता नही , अर्थ शास्त्रियों या रघु रामन से समझ नही आ रहा तो बुलाओ अपने अरविंद, उर्जित, सुब्रमण्यम या पनगढ़िया को और उन संतरों से ही समझ लो - इस डूबते समय मे वे भी यही कहेंगे जो मैं कह रहा और पूरी दुनिया भी यही कह रही और कर रही है
हाहाकार मचा हुआ और आपको कोई समझ ही नही है
◆ राशन दो हम सबको कोई कार्ड नही कोई अंतर और भेदभाव नही
◆ सबके खातों के नम्बर है ना तुम्हारे पास रुपया ट्रांसफर करो
अब क्या भूखा रखकर लोगों को मारने का पुण्य भी कमाना चाहते हो - कितने फर्जी हो यारां - सुनो गुरु, बहुत हो गया नाटक और ज्ञान पिलाने का काम काज, नही तो अब इस्तीफा दो अयोग्यता का, पूरे देश का कबाड़ा कर दिया 6 वर्षों में, भगवान ऐसे कुपढ़ और अनपढ़ नेता किसी को ना दे - कुटिल, षड्यंत्रकारी और देश बेचूँ कही के
***
हम लोग सोच रहें हैं कि सरकार मजदूरों को घर छोड़ देती बसों और ट्रेन्स से
5 - 6 हवाई अड्डों पर आज से फ्लाइट्स चालू होने थे, 4 दिन पहले से घोषणा थी, सबके पंजीयन थे, सबके मोबाइल नम्बर थे, सबके पते और पहचान प्रमाणपत्र थे और सब पढ़े लिखें थे और मालदार आसामी भी
हवाई सेवाओं से जुड़े सेवा प्रदाता भी कुशल और दक्षता से परिपूर्ण हैं, अनुभवी है और हर तरह से सक्षम है
फिर भी सुबह से 3 - 4 हवाई अड्डों पर कुप्रबंधन, अव्यवस्था और भारी लापरवाही सामने आ रही है
जरा सोचिए कि करोड़ो मजदूरों को बसों से भेजने में क्या हालत हो जाती, सोचिए जरा गम्भीरता से हमारे तंत्र कितने गैर जिम्मेदार, अक्षम, लापरवाह, एडहॉक और निकम्मे है
शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, निर्माण से लेकर वो सभी क्षेत्र जो लोगों के जीवन से जुड़े है उनमें कितनी कोताही बरती गई है गत 73 वर्षों में
राजनीति में तो सब खत्म है ही, पर कार्यपालिका की भी क्या हालत है यह भी अब छुपा नही है - मतलब जिलों के पास प्रवासियों की बेसिक जानकारी भी नही थी बाकी सब तो छोड़ दीजिए - किया क्या है हमने
भीड़ में ही सब चलता है और ऐब ढँक जाते है, हमारे जहां थोड़ी सी मुश्किल आयी कि औकात दिख जाती है सबकी
सच में भगवान ही चला सकता है यह तंत्र - खोल दो बै मंदिर - मस्जिद - गुरुद्वारे और चर्च - कम से कम हमारे बाबुओं को और प्रशासन को ईश्वर अल्लाह मदद करेंगे व्यवस्था " स्मूथ" करने में
***
शायद पहली बार कोई हामिद मेला जा नही पायेगा पर अच्छी बात यह है कि इस तरह दादी के पास ज्यादा और रह पायेगा और सारा दिन घर में ही शोर करता रहेगा, चिल्लाता रहेगा, खेलता रहेगा रंग बिरंगी कपड़े पहनकर इठलाता रहेगा - खिड़की से झाँकेगा और कोई गुजरा सड़क से तो मुस्कुराकर कहेगा
"ईद मुबारक"
आप सब दुआ करें कि दादी और हामिद की खुशियाँ बनी रहें, दुनिया में मेले फिर सज जाएंगे - बस दादी, हामिद और बिजली के लट्टूओं की तरह से सुंदर कतार में सजदे में झुकने वाले सर बचे रहें, सुरक्षित रहें और आबाद रहें, खुशियों से दामन भरा रहें सबका
सबको मीठी ईद की मुबारकबाद
***

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही