शायद पहली बार कोई हामिद मेला जा नही पायेगा पर अच्छी बात यह है कि इस तरह दादी के पास ज्यादा और रह पायेगा और सारा दिन घर में ही शोर करता रहेगा, चिल्लाता रहेगा, खेलता रहेगा रंग बिरंगी कपड़े पहनकर इठलाता रहेगा - खिड़की से झाँकेगा और कोई गुजरा सड़क से तो मुस्कुराकर कहेगा
"ईद मुबारक"
आप सब दुआ करें कि दादी और हामिद की खुशियाँ बनी रहें, दुनिया में मेले फिर सज जाएंगे - बस दादी, हामिद और बिजली के लट्टूओं की तरह से सुंदर कतार में सजदे में झुकने वाले सर बचे रहें, सुरक्षित रहें और आबाद रहें, खुशियों से दामन भरा रहें सबका
सबको मीठी ईद की मुबारकबाद
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कोरोना काल में गरीबी है - बहुत इसलिए नए रेट्स की घोषणा कर रहा हूँ - साला बीस लाख करोड़ में मेरे कूँ एक चवन्नी या अठन्नी भी नही मिली 60 दिन हो गए आज , तो मित्रों ध्यान रहें ये नए रेट्स
प्रति इंट्री - भारतीय रुपयों में ( डॉलर में नही)
● पेज मात्र लाइक करने के 500/-
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● पोस्ट शेयर का 2000/- चोरी करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता में रपट दर्ज की जाकर एक लाख का मुआवज़ा मांगा जाएगा
और अंत में
● लाइव और वेबिनार के 5000/प्रति दस मिनिट
[ 5 पेमेंट्स के बाद हर ट्रांजेक्शन पर 10 % की छूट ]
सब सक्रिय हो, सब विकास करें और परम पूज्य अमित भाई और प्रातः स्मरणीय मोदी जी के राज में सबके घर धन और धान्य से सदैव भरे रहें - आमीन
सबको यथा योग्य प्रणाम, आशीर्वाद और स्वस्तिकामनाएँ
ज्येष्ठ शुक्ल /2
शके 1942
प्रातः वेला 9.50
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ईद मुबारक सबको
यह सिर्फ एक त्योहार ही नही बल्कि जीवट संघर्ष के बाद जीवन में मिठास का उत्सव है, यह त्याग , समर्पण और कड़ी परीक्षा के बाद जीवन को नए तरीके से देखने का और अन्न के हर कण और पानी की हर बूंद का महत्व जानने का त्योहार है
सबके जीवन में मिठास बनी रहें - यह हम सबका त्योहार है आईये इस भीषण समय मे उत्साह और जोश से मनाएं
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नैनं छिंदन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:
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देवास में एक मित्र है, उसकी बहन के पति का केस है जो खरगोन में किडनी फेल होने से भयानक तकलीफ में थे, बड़ी मुश्किल और बहुत प्रयास करने के बाद उन्हें इंदौर लाने की अनुमति मिली थी विशेषज्ञ को दिखाने की क्योकि वहां डायलिसिस सुविधा और विशेषज्ञ नही थे, खरगोन प्रशासन पहले उन्हें खंडवा या देवास जाने का ई पास देने पर अड़ा था, देवास में पता किया तो डायलिसिस हो तो रहा था पर अनियमित सा था और उन्हें ले भी आते तो ऑपरेशन कर जुगलर और फिसचुला बनाने वाले सर्जन उपलब्ध होते या नही - यह पक्का नही था - हम लोग इंदौर में अनुमति मिलने का इंतज़ार करते रहें
बड़ी मुश्किल से अनुमति मिली , इंदौर आये उनका इलाज आरम्भ हुआ, सर्जन से जुगलर लगाकर डायलिसिस शुरू किया और कोशिश कर रहे थे कि वे बच जाएं, पर स्थिति बिगड़ती गई और आखिर कल उनका मेदांता अस्पताल, इंदौर में उनका निधन हो गया, यहाँ तक लाते - लाते इतनी देर हो गई थी कि कहा नही जा सकता - मेदांता में डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की - जुगलर लगाकर डायलिसिस शुरू भी किया पर उन्हें बचाया नही जा सका
आज उन्हें खरगोन जाने की अनुमति दी गई है - परिवार में पत्नी और बेटा अस्थियां लेकर लौट रहे है
सनद रहे यह कोरोना से हुई मृत्यु नही - बल्कि प्रशासनिक कुप्रबंधन, लापरवाही और अराजक कानून व्यवस्था से हुई विशुद्ध हत्या है, भयावह है यह सब, पूरे सरकारी तंत्र का फोकस सिर्फ कोरोना हो गया है, मैंने पहले भी लिखा था कि अन्य बीमारी के मरीजों की उपेक्षा की जा रही है डॉक्टर्स की मजबूरी है कि वे कुछ बोल भी नही सकते और कर भी नही सकते - पूरा स्वास्थ्य विभाग बीमार है गम्भीर रूप से और हम सब असहाय है बेबस है
कोरोना के अलावा दुर्घटनाओं और बाक़ी बीमारियों से मरने वाले इस इतिहास में दर्ज नही है, लगता है लिखने का भी असर अब खत्म हो गया है , बहुत दुखी हूं - सच कहते है मजदूर कि " कोरोना से तो बाद में मरेंगे भूख, लापरवाही और कुप्रबंधन से ज्यादा मरेंगे " और दुर्घटनाओं से लेकर बाकी केस हम देख ही रहें हैं
आईये थाली, झाँझ मंजीरे और घँटे बजाये, बाकी सब चंगा सी
उन्हें नमन और श्रद्धांजलि लिखते भी शर्म आती है मुझे - क्या मैं भी दोषी नही इस पूरी व्यवस्था में
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