Post of 17 Jan 2019
एक मित्र ने पूछा कि इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में आप किन युवा कवियों को पढ़ रहे है तो तुरंत नाम जो दिमाग़ में आये वो है -
अनुज लुगुन
सुघोष मिश्र
अदनान कफील दरवेश
शैलेन्द्र शुक्ल
विहाग वैभव
कुमार मंगलम
उपासना झा
स्मिता सिन्हा
शैलजा पाठक
अमित आनंद पांडेय
अम्बर पांडेय
अभी बहुत से और नाम है पर जो बिहार से बाहर के है ( मित्र , जो बिहार के पटना से है, का कहना था कि बिहार से तो वो वाकिफ है, हालांकि बिहार से अनुज अंचित, मुकुट, अभिषेक अर्थात मिथिलेश कुमार राय भी मेरे पसंदीदा युवा कवि है )
बाकी और लिखता हूँ, आप भी मित्र की मदद कर सकते है
Sandip Naik द्वारा जारी की गई इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में सक्रिय युवा कवियों की सूची और उस पोस्ट पर आई टिप्पणियों को पढ़कर मन में तीव्र वितृष्णा का भाव पैदा हुआ। मेरा विनम्र निवेदन है कि संदीप दादा आप मेरा नाम हटा लें। मैं किसी होड़ में शामिल नहीं हूँ, न रहा कभी। ये तमग़ा उनके लिए ही बचा कर रखा जाए जो उसके लिए 'गलाकाट प्रतिस्पर्धा' में शामिल हैं। अंत में एक छोटी-सी कविता और ये तस्वीर :
"अपनी पीड़ा की नुमाइश करके
बेहिसाब तारीफ़ें बटोरीं
ऐ मेरी आत्मा
मेरे निकट आ
और मुझपर थूक दे !"
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[दरवेश]
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वित्त मंत्री अरुण जेटली और वरिष्ठ नेता एवं कुशल प्रबंधक अमित शाह के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ , दोनो अपने ही देश के अनुभवी और बड़े जनसमुदाय से जुड़े नेता है और कुशल और दक्ष व्यक्तित्व है, विचारधारा और कार्यपद्धति अलग होने से दुश्मन नही कोई
दुखद है कि वे बीमार है, उनके स्वास्थ्य को लेकर मजाक उड़ाया जाना ठीक नही और लोकतांत्रिक कतई नही, जो भी मित्र यह कर रहें है उन्हें संवेदनशील होना चाहिए किडनी फेल्योर हो या स्वाइन फ्लू , बीमारी में इंसान बहुत कमजोर हो जाता है और निसहाय, इस समय उसे अपने आप से ही लड़ना पड़ता है - किडनी फेल्योर होने का दर्द मैंने अपने भाई को 13 वर्ष तक लड़ते हुए और अंत मे उसे खोकर देखा और भुगता है
वैचारिक मतभेद अपनी जगह है पर हारी बीमारी में हम सब साथ है, हम इस देश के सहोदर है और ऐसे कठिन समय में मनुष्य मात्र होना चाहिए जो समानुभूति से समझ पाए दुख दर्द और बेचैनी
दिल से दुआएँ और प्रार्थनाएँ कि दोनों स्वस्थ हो और पुनः मुख्य धारा में लौटे ताकि देश हित का काम कर पाएं
आमीनHIndi Poets of Secodn Decade
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