दुर्भाग्य यह कि ये वो ही अर्चना वर्मा है जिन्हें राजेन्द्र यादव ने छापा और मंच दिया हंस का
60 के बाद अक्ल का कोई भरोसा नही, व्यक्तिगत कोई दुश्मनी नही पर इससे इनके चेले चपाटे और मूर्खताएं करते है , इनके जैसे लोग विवि के हिंदी विभागों में जोंक की तरह से चिपके बैठे रहते है, इनके फोन से पीएचडी फाइनल होती है और नियुक्तियां भी
ये एक नमूना है 60 के बाद का जहां उम्र का असर दक्षिण पंथी होने का, पाप पुण्य और मोक्ष की ओर अग्रसर होने का सुसंगठित प्रयास होता है, आश्चर्य यह है कि अर्चना जी को 1986 से हंस से लेकर जगह जगह पढ़ता रहा पर अब अफसोस होता है कि कितना समय जाया किया , जब किले ध्वस्त होते है तो इनकी अभेद समझ सामने आती होती है तो तकलीफ़ होती है
अब लगता है कि हंस में इनकी समकालीन रही स्व डॉक्टर प्रभा खेतान की समझ कितनी साफ और विलक्षण थी , तभी वो सिमोन द बाउवा का The Second Sex [ स्त्री उपेक्षिता ] का कालजयी अनुवाद कर पाई और ये एक आलोचक बनकर रह गई सिर्फ और आज विशुद्ध ....
सम्मान अपनी जगह पर मतभेद अपनी जगह, हो सकता है मन में किसी अकादमी का पद पाने से लेकर ज्ञानपीठ पाने की हसरत बाकी राह गई हो जो मिरांडा हाउस में रहकर पूरी ना हुई हो
ख़ैर, कहा ना कौन कब मतिभ्रष्ट हो जाएगा कहा नही जा सकता और ये तो एक है अभी कई लोग इस तरह की टिप्पणियां लिखकर यहां पोस्ट कर रहें है, वे ये भूल रही है कि सोनिया गांधी भी एक स्त्री है, माँ है और आपसे ज़्यादा देश भक्त है आप लोग जो हिंदी विभागों में घटिया राजनीति करके लाख कमा रहे है और देश भर के विवि में घूमकर पारिश्रमिक बटोर रहीं है ना उन्हें यह समझ नही कि निर्मला , मोदी और जेटली ने किस निम्न स्तर से भाषा का अमर्यादित प्रयोग ऑन रिकॉर्ड किया, सुमित्रा महाजन जैसी महिला ने पक्षपात किया और जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को संसद में अपमानित किया मानवीय गरिमा के प्रतिकूल होकर
अर्चना जी, जो बिम्ब आपने आखिर में इस्तेमाल किया है वही मैं भी कर रहा हूँ कि सारी उम्र आप जो महिला लेखन, आलोचना और गद्य लेखन करती रही ना वह भी रामायण की भांति ही था और जब समाहार के रूप में आपको पूछा गया तो आपका जवाब है कि सीता ने राम को राखी इसलिए बांधी कि कैकेयी दशरथ की माँ थी
अभी आपको, आपके भक्तों को यह पढ़कर देखिएगा कैसी मिर्ची लगेगी और वे विष वमन करेंगे , मुआफ़ कीजिये आपमें और उमा भारती या बारहवीं पास स्मृति ईरानी में कोई फर्क नही - रत्ती भर भी नही, बल्कि वो कम से कम खुलकर लूटेरों की टोली में शामिल है और आप छुप छुपाकर समझ खोखला कर रही हैं , आप लिस्ट से मुझे सबसे पहले ब्लॉक करेंगी यह तय है पर हिंदी की और विदुषिया अपनी कमजोर दृष्टि से घृणित टिप्पणियां कर रही है जो देश भर में पीएचडी के पोथे जांचने के बहाने पर्यटन कर मौज उड़ाती रहती है
*****
◆◆ जाहिर सूचना ◆◆
लोकार्पण के लिए प्रगति मैदान के हर कोने में चुके हुए , बूढ़े, थके - हारे , बीमार, आपके रुपयों से सुट्टा मारते और दस सालों से पुरस्कार बटोरते कवि, कहानीकार , रिटायर्ड सरकारी अफसर, महिलाएं और सेलेब्रिटीज़ उपलब्ध है
हम प्रकाशकों से किताब छपवाने की डील, हर तरह की पत्रिका में कविता, कहानी, शोध आलेख या सदस्यता लेने देने का भी काम करते है
किताबों के व्यवसाय में आने को उत्सुक लेखक , सरकारी कर्मचारी जो काम पर नही जाकर शोक सभाओं में किताबें छापने से लेकर बेचने के धंधे में संलग्न है - उनसे भी मिलवाने का ठेका लेते है , इस पुनीत मक्कारी के काम में मुद्रा लोन दिलवाने का काम लिया जाता है
दूर देश प्रदेश के लेखक, गरीब गुर्गों से रुपया ऐंठकर किताबों के बोरो की रद्दी के ठेके लिए जाते है - इन्हें हम तेंदुलकर की जीवनी से ज़्यादा बिकवाने के स्लोगन , फ्लैक्स से लेकर नई उम्र के अबोध किशोरों से समीक्षा करवाने तक का काम हम सफलता पूर्वक करते है
महिलाओं के लिए विशेष छूट जिनके पति प्रोफेसर, आय ए एस , आय पी एस या कोई राज्य सेवा के मालदार विभाग में हो और किताबें सरकारों के आर्डर से खपाने में माहिर हो
मेले में फोटों खींचकर फेसबुक से लेकर इंस्टा तक वाइरल करने में हमारी विशेषज्ञता है , मुस्कुराहट आपकी - रुपया हमारा
वाट्स एप ग्रुप के साहित्यिक ठेकेदारों को दिल्ली और देश भर की उन महिलाओं से मिलने और चुहल करने के लिए रूम उपलब्ध करवाए जाएंगे जिनके साथ बूढ़े , बड़े, सरकारी, असरकारी और निर्बल लोग साहित्य के नाम पर दिन भर कचरा परोसते है और रात दस के बाद शिलाजीत खाकर शीला की जवानी और बालम आन मिलो टाईप गानों पर अश्लीलतम हरकतें करते है, महिलाओं के साथ निजी प्रसंगों के निजी सन्देश दिखाने या स्क्रीन शॉट लाने वाले को रूम में बाकी सुविधाएं मुफ्त, वाट्स एप समूहों के कुंठित और प्रशासनिक अधिकारी ना बन पाएं बाबाओं, पॉलीटैक्निक पास फर्जी इंजीनियरों, झोला छाप डॉक्टर्स और डेढ़ किलो मेकअप चोपड़कर सास बहू बेटियों और दस से सत्तर साला औरतों की माहवारी से लेकर दुख दर्द भरी घटिया कविता की लेखिकाओं को 50 % रूम शुल्क में छूट भी उपलब्ध है मेला समाप्ति के आठ दिन बाद भी दिल्ली के सर्द और सैक्सी मौसम में यह छूट बरकरार रहेगी
स्कूल के शिक्षकों को 10 % छूट , बीपीएल परिवार के लेखकों को 20% , 35 से कम उम्र की यायावरी महिलाओं को 25% और पिछड़े बीमारू राज्यों के लेखकों को 40% की छूट, रोज नए कपड़ों में सिर्फ विंडो शॉपिंग करने आने वाली हनी बनी और स्वीटी, गॉर्जियस और एकल महिलाओं को आने जाने के लिए कैब की व्यवस्था अपने पसंदीदा लेखक के साथ निशुल्क
मीडिया के नाम पर अपने जमीर को बेचने वाले पोंगा पंथी एंकर, मीडिया पढ़ाने वाले उजबक गंवार युवा जो रोज फेसबुक पर रायता फैलाकर स्वयम्भू मीडिया शिक्षक बनें है, चुपके चुपके सब पढ़ जाने वाले और फिर फेसबुक को घटिया माध्यम बताने वाले चुतियाओं से मिलने मिलाने के ठेके भी हम लेते है
★★★
लिखें, मिलें या सम्पर्क करें
साहित्य बेचूँ शोधक
हॉल क्रमांक 12
मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर
प्रगति मैदान , दिल्ली
नोट - हमारे कोई एजेंट नही है
[ कृपया अपना पानी साथ लाएं, हम झोले में छुपाकर रखते है - पानी और परांठे - भले आपने हमें दारू मुर्गा खिलाया पिलाया हो, गिफ्ट भी दिए हो आपके नगर प्रवास पर, हमारे घर आने की अपेक्षा तो सपने में भी मत करिएगा, ये दिल्ली है और हम बहुत दूर रहते है - आपको आने जाने में दिक्कत होगी ]
Comments