सिर्फ याद दिला रहा हूँ कि सूरत में जब बाढ़ आई थी तो अमित शाह विधायक थे और श्रीयुत नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे
इतिहास गवाह है कि किस कदर हैजा मलेरिया और तमाम बीमारियां ऐसी फैली थी कि देश के गर्वीली गुजराती जनता बेतहाशा स्तर पर परेशान हुई थी, हजारों लोग मारे गए थे और एक महिला कलेक्टर ( नाम भूल रहा हूँ उस भद्र महिला का) ने डेढ़ साल तक कीचड़ में उतरकर सूरत की सूरत और सीरत ठीक की थी।
सही कहा अमित शाह ने कि मोदी की बाढ़ आई है। नोटबन्दी से लेकर जी एस टी और देश के जवानों से लेकर विद्यार्थी, नौनिहाल , बुजुर्ग, महिलाएं, छोटे व्यापारी और सारी जनता त्रस्त और परेशान है। मोदी की नीतियों के कारण ही जानवर ही नही देश के किसान पेड़ों पर चढ़कर आत्महत्या कर रहे है मप्र से लेकर तमिलनाडु तक
मैं अमित शाह की तारीफ करूँगा कि बन्दा ईमानदार है जो खुलेआम कहता है कि 15 लाख जुमला था, गंगा साफ नही कर सकती सरकार, पाक से साथ सम्बन्ध कूटनीति से ही हल होंगे, 370 पर हम कुछ नही बोलेंगे, कश्मीरी पंडितों की बात नही करेंगे अभी, राम मंदिर अदालत से ही हल होगा, आरक्षण नही हटाएंगे भले दलितों की हत्या होती रहें, किसान तनाव और प्यार में असफल होकर आत्महत्या करते है या शिक्षा स्वास्थ्य के लिए बजट नही है और सबसे ताज़ा बयान कि मोदी की बाढ़ आई है।
ईश्वर करें ऐसी भाषा सबको नसीब हो और ऐसी ही भाषा मे हिन्दू राष्ट्र का संविधान रचा जाये। क्यों ना बोले भला व्यापमं से लेकर कंडोम बीनकर गिनने वाले लोगों की सबसे बड़ी पार्टी है जो ई वी एम मशीन से लेकर साधु संतों के साथ डील कर लें, फ्रिज से गाय का मांस ढूंढ लें इनसे बेहतर दक्ष और कौशल से परिपूर्ण कौन होगा दुनिया मे। 600 करोड़ लोगों से बसा भारत देश और यहाँ के जन प्रतिनिधियों को जानवर बोले तो क्या कहा जा सकता है। उन्हें मालूम है कि सूअर को भी शुकर देव कहते है संस्कृति में जाहिर है वे संस्कृति के उपासक भी है और नियंता भी।
जोधपुर जेल में आशाराम के साथ सलमान के क्या क्या संवाद हो रहै है इनकी काल्पनिक चर्चा वाट्स एप पर अश्लिलतम और सरलतम संप्रेषणीय भाष मे सन्देशों के रूप में ठेली जा रही है जिसे सब उत्सुकता से पढ़ समझ रहे है।
कितने घृणित रूप में हम एक समाज के स्वरूप में उभरे है और यह नस्लवाद और पंथवाद का गहरा और शर्मनाक रूप भी है। एक समुदाय दूसरे समुदाय के अपराधी के बारे में इस तरह की टिप्पणी करते समय भूल जाता है कि जिसे संत समझकर आप बरसों पूजते रहें वही चार सालों से जेल में है और बाद में एक पूरी बिरादरी इन संतों की उघाड़े रूप में सामने आई है।
सलमान ने शादी क्यों नही की और अब क्या आगे और जेल में क्या आदि जैसे मुद्दों पर जो सन्देश भेजे वे इतने शर्मनाक है कि पढ़ने में भी दिक्कत हो रही है। यह किसी की निजी जिंदगी में अनावश्यक दखल है, सलमान एक पब्लिक फिगर है उसने अपराध किया है, सजा मिली है वह भुगतेगा। आपको यह अधिकार किसने और कब दिया कि आप उसके निजी जीवन मे झांके उसकी विचारधारा या ओरिएंटेशन पर सार्वजनिक रूप से पूर्वाग्रह से परिपूर्ण घटिया टिप्पणियां करें, आप होते कौन है ? एक कलाकार जब अपराध के दायरे में हो और सजायाफ्ता हो तो क्या आपको यह सब करने की, आशाराम के साथ काल्पनिक और कुत्सित वार्ताओं के चुटकुले बनाने का हक मिल जाता है ? मुआफ़ कीजिये आप मे अक्ल तो है ही नही बल्कि आप खुद गोबर में पल बढ़कर पोषित हो रहे है।
अपराध अपराध है - वो फ़िल्म में हो, धर्म मे, आध्यात्म में या राजनीति में हो -अपराधी अपराधी ही है। यहाँ एक अपराधी को अभी सजा मिली है उसे सामान्य अपराधी की तरह से ट्रीट कर भुगतने दीजिये ना, क्यों इस तरह से सन्देश फैलाकर पुराने और नये अर्थात दोनो अपराधियों को समाज मे ब्रांड बनाकर प्रस्तुत कर रहे है ? देश के किशोरों और युवाओं के दिमाग मे क्यो जहर भर रहे हो, यह सस्ता और घटिया व्यंग्य कब और कहां जाकर असर दिखायेगा कभी सोचा आपने ?
दिमाग का इलाज करवाइए जनाब यदि आप मेसेज डिलिट करने के बजाय चटखारे लेकर आप इसे आगे घर परिवार, समूहों और मित्रों में प्रसारित कर रहे है तो। कृपया मुझे ना भेजें मुझे दोनो से ना हमदर्दी है ना कन्सर्न ।
मुझे अफसोस है कि मैं इस घटिया समाज का हिस्सा हूँ जहां एक अच्छे माध्यम का उपयोग इस तरह के सन्देश फैलाने के लिए किया जाता हो।
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