Skip to main content

Salman Khan and Amit Shah's Statement on 6 April 2018



सिर्फ याद दिला रहा हूँ कि सूरत में जब बाढ़ आई थी तो अमित शाह विधायक थे और श्रीयुत नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे
इतिहास गवाह है कि किस कदर हैजा मलेरिया और तमाम बीमारियां ऐसी फैली थी कि देश के गर्वीली गुजराती जनता बेतहाशा स्तर पर परेशान हुई थी, हजारों लोग मारे गए थे और एक महिला कलेक्टर ( नाम भूल रहा हूँ उस भद्र महिला का) ने डेढ़ साल तक कीचड़ में उतरकर सूरत की सूरत और सीरत ठीक की थी।
सही कहा अमित शाह ने कि मोदी की बाढ़ आई है। नोटबन्दी से लेकर जी एस टी और देश के जवानों से लेकर विद्यार्थी, नौनिहाल , बुजुर्ग, महिलाएं, छोटे व्यापारी और सारी जनता त्रस्त और परेशान है। मोदी की नीतियों के कारण ही जानवर ही नही देश के किसान पेड़ों पर चढ़कर आत्महत्या कर रहे है मप्र से लेकर तमिलनाडु तक
मैं अमित शाह की तारीफ करूँगा कि बन्दा ईमानदार है जो खुलेआम कहता है कि 15 लाख जुमला था, गंगा साफ नही कर सकती सरकार, पाक से साथ सम्बन्ध कूटनीति से ही हल होंगे, 370 पर हम कुछ नही बोलेंगे, कश्मीरी पंडितों की बात नही करेंगे अभी, राम मंदिर अदालत से ही हल होगा, आरक्षण नही हटाएंगे भले दलितों की हत्या होती रहें, किसान तनाव और प्यार में असफल होकर आत्महत्या करते है या शिक्षा स्वास्थ्य के लिए बजट नही है और सबसे ताज़ा बयान कि मोदी की बाढ़ आई है।
ईश्वर करें ऐसी भाषा सबको नसीब हो और ऐसी ही भाषा मे हिन्दू राष्ट्र का संविधान रचा जाये। क्यों ना बोले भला व्यापमं से लेकर कंडोम बीनकर गिनने वाले लोगों की सबसे बड़ी पार्टी है जो ई वी एम मशीन से लेकर साधु संतों के साथ डील कर लें, फ्रिज से गाय का मांस ढूंढ लें इनसे बेहतर दक्ष और कौशल से परिपूर्ण कौन होगा दुनिया मे। 600 करोड़ लोगों से बसा भारत देश और यहाँ के जन प्रतिनिधियों को जानवर बोले तो क्या कहा जा सकता है। उन्हें मालूम है कि सूअर को भी शुकर देव कहते है संस्कृति में जाहिर है वे संस्कृति के उपासक भी है और नियंता भी।

जोधपुर जेल में आशाराम के साथ सलमान के क्या क्या संवाद हो रहै है इनकी काल्पनिक चर्चा वाट्स एप पर अश्लिलतम और सरलतम संप्रेषणीय भाष मे सन्देशों के रूप में ठेली जा रही है जिसे सब उत्सुकता से पढ़ समझ रहे है।
कितने घृणित रूप में हम एक समाज के स्वरूप में उभरे है और यह नस्लवाद और पंथवाद का गहरा और शर्मनाक रूप भी है। एक समुदाय दूसरे समुदाय के अपराधी के बारे में इस तरह की टिप्पणी करते समय भूल जाता है कि जिसे संत समझकर आप बरसों पूजते रहें वही चार सालों से जेल में है और बाद में एक पूरी बिरादरी इन संतों की उघाड़े रूप में सामने आई है।
सलमान ने शादी क्यों नही की और अब क्या आगे और जेल में क्या आदि जैसे मुद्दों पर जो सन्देश भेजे वे इतने शर्मनाक है कि पढ़ने में भी दिक्कत हो रही है। यह किसी की निजी जिंदगी में अनावश्यक दखल है, सलमान एक पब्लिक फिगर है उसने अपराध किया है, सजा मिली है वह भुगतेगा। आपको यह अधिकार किसने और कब दिया कि आप उसके निजी जीवन मे झांके उसकी विचारधारा या ओरिएंटेशन पर सार्वजनिक रूप से पूर्वाग्रह से परिपूर्ण घटिया टिप्पणियां करें, आप होते कौन है ? एक कलाकार जब अपराध के दायरे में हो और सजायाफ्ता हो तो क्या आपको यह सब करने की, आशाराम के साथ काल्पनिक और कुत्सित वार्ताओं के चुटकुले बनाने का हक मिल जाता है ? मुआफ़ कीजिये आप मे अक्ल तो है ही नही बल्कि आप खुद गोबर में पल बढ़कर पोषित हो रहे है।
अपराध अपराध है - वो फ़िल्म में हो, धर्म मे, आध्यात्म में या राजनीति में हो -अपराधी अपराधी ही है। यहाँ एक अपराधी को अभी सजा मिली है उसे सामान्य अपराधी की तरह से ट्रीट कर भुगतने दीजिये ना, क्यों इस तरह से सन्देश फैलाकर पुराने और नये अर्थात दोनो अपराधियों को समाज मे ब्रांड बनाकर प्रस्तुत कर रहे है ? देश के किशोरों और युवाओं के दिमाग मे क्यो जहर भर रहे हो, यह सस्ता और घटिया व्यंग्य कब और कहां जाकर असर दिखायेगा कभी सोचा आपने ?
दिमाग का इलाज करवाइए जनाब यदि आप मेसेज डिलिट करने के बजाय चटखारे लेकर आप इसे आगे घर परिवार, समूहों और मित्रों में प्रसारित कर रहे है तो। कृपया मुझे ना भेजें मुझे दोनो से ना हमदर्दी है ना कन्सर्न ।
मुझे अफसोस है कि मैं इस घटिया समाज का हिस्सा हूँ जहां एक अच्छे माध्यम का उपयोग इस तरह के सन्देश फैलाने के लिए किया जाता हो।

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...