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Haseena Dilruba , CJI Ramanna's Lecture, Khari Khari and Other Posts of 2 July 2021

 पागलपन की हद से न गुजरे

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"हसीना दिलरुबा" - नेटफ्लिक्स पर जबरदस्त फ़िल्म है
तापसी पन्नू, विक्रांत मैसी, हर्षवर्धन राणे, आदित्य श्रीवास्तव का शानदार अभिनय और विनील मैथ्यू का निर्देशन मतलब सहज संयोग और सब एक से बढ़कर एक है, फिर भी विक्रांत मैसी सबसे ज़्यादा प्रभावित करते है, इधर लगभग 45 फिल्मों और सीरीज़ में उन्होंने काम करके अपनी एक पहचान बनाई है, बेहद साधारण चेहरा परंतु बेजोड़ अभिनय करते है और चरित्र में प्राण डाल देते हैं - भारतीय फिल्मों के रुपहले और वृहद पटल पर वे संभावनाओं का असीमित कैनवास है, उनके अभिनय की परिपक्वता इस फ़िल्म में जान डाल देती है
प्रेम का त्रिकोण, शादी के बाद आधुनिक जीवन में सैक्स सम्बन्धों में खुलापन, मांग और पूर्ति के बीच असंतुष्टी और फिर इससे उपजे विवाहेत्तर सम्बन्ध , जेंडर, बदला, हत्या और अंत में कोर्ट कचहरी, पुलिस की जाँच, ज्वालापुर उत्तराखण्ड की नदी किनारे वाले सुंदर घर की शूटिंग - सब बहुत ही रोमांचित कर देने वाला है
यह फ़िल्म विक्रांत और तापसी के उत्कृष्ट अभिनय, प्यार, बदला, रोमांच, अपराध और षड्यंत्र की मूल अवधारणाओं को समझने के लिए देखी जाना चाहिये सीआईडी के आदित्य श्रीवास्तव की थानेदार के रूप में प्रभावी भूमिका है, एक मध्यम वर्गीय परिवार में बहु से अपेक्षा और फिर बहु का विस्फोटक निकलना कहानी में ट्विस्ट लाता है
यह फ़िल्म यूँ तो पुराने प्रेम त्रिकोण की ही पुनरावृत्ति है एक तरह से पर फिर भी इसका कंटेंट नया है, सैक्स और पति पत्नी के बीच उस तीसरे के कारण जो व्यथा उपजती है वह इसे नया और अनूठा बनाता है
जरूर देखें, बस यह है कि दिल दिमाग़ खुला रखें - पूरी फ़िल्म में दिनेश पंडित नामक लेखक के जासूसी उपन्यासों की चर्चा है , एक जमाने में कर्नल रंजीत, वेद प्रकाश शर्मा और दीगर अंग्रेजी के जासूसी उपन्यासों का क्रेज़ हुआ करता था और हर घटना को उन्ही कहानियों के फ्रेम में देखा करता था
मेरी ओर से **** क्योकि सस्पेंस, थ्रिल और आपराधिक घटनाओं वाली फ़िल्में और सीरीज़ बहुत पसंद है
अंत तो खतरनाक ही है - एकदम मज़ेदार
पागलपन की हद से ना गुजरे
तो वह प्यार कैसा
होश में तो रिश्ते निभाये जाते है .....
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कानून भी अराजकता की ओर ले जाता है
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देश में मुख्य न्यायाधीश के आचार विचार पर सत्ता और राजनीति तथा समाज और अर्थ की स्थिति निर्भर करती है, दुर्भाग्य से 2014 से प्रमुख न्यायाधीशों का व्यवहार, कार्यशैली और निर्णयों ने न्याय की मूल अवधारणा और आत्मा को बहुत नुकसान पहुँचाया है
वर्तमान सीजेआई ने कल एक व्याख्यानमाला में बहुत महत्वपूर्ण बातें कही जो आने वाले समय के लिए पथ प्रदर्शक का काम करेंगी और ना मात्र ये कोरी बातें है परंतु अभी तक के निर्णयों और पारदर्शिता के हिसाब से न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना काफी हद तक अपने व्यवहार में भी इन बातों पर खरे उतरते दिखाई देते है
33 मिनिट के इस वीडियो को प्रो फैज़ान मुस्तफ़ा ने हिंदी में अनुदित करके हम सबके सामने रखा है, फैज़ान साहब विधिवेत्ता है , हैदराबाद के एक विधि विवि के कुलपति है और खरी बात कहते है
जरूर सुनिये - दुनिया और नज़रिया बदल जायेगा
शायद आपको भी लगें कि कानून की पढ़ाई क्यों ज़रुरी है - One must know Law of the Land , प्रशांत भूषण जी के ऐसे ही किसी प्रेरक भाषण को सुनकर और तीन दिन उनके साथ मण्डला के कान्हा अभ्यारण्य में रहकर नौकरी छोड़कर लॉ करने का तय किया था और आज अब अंतिम सेमिस्टर बाकी है बस, सोचने समझने और निर्णय लेने का नज़रिया बदला है और अंदर से हिम्मत आई है बहुत , बहरहाल
https://www.youtube.com/watch?v=S_fIkbFZJm8
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निजी स्वार्थ, निजी सम्पत्ति, निजी लाभ के लिए हड़ताल, अनशन करना और फिर शासन, प्रशासन और न्यायपालिका को कोसना सर्वथा अनुचित है, संविधान की आड़ लेकर हर गलत बात को हाइप करके प्रस्तुत करना निहायत ही कायरतापूर्ण हरकत है और यहाँ भी जाति, धर्म और सम्प्रदाय को यूज करने का कुत्सित प्रयास आपत्तिजनक है
कम से कम लोगों को भ्रमित करके सोशल मीडिया पर घटिया हीरो मत बनिये जबकि औकात जीरो की भी नही है - कब तक फर्जीवाड़ा चलाएंगे
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