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एक होता है LinkedIn - Post of 27 and 28 Sept 2022

एक होता है LinkedIn का एप और साइट जिसे प्रोफेशनल्स वापरते हेंगे
करीब 6500 मित्र जुड़े थे, राम जाने कौन - कौन और जब एप खोलो तो अजीबोगरीब पोस्ट्स दिखती थी,अपन ठहरे देसी आदमी , कम पढ़े लिखें और एकदम बिलन्ट, फालतू की बढ़चढ़ वाली बकर आतीज़ नई और सीखी भी नही
आज सबको निपटाया - ताईवानी हो, ब्राजील, अफ्रीकन, अमेरिकन, लण्डन, जकार्ता, इंडोनेशिया, IIT, IIM, LEAD, LSE, Oxford, Howard या अपने यही गांव के पिछवाड़े वाला बच्चा - ससुरे बहुत गन्द मचा रखी थी
प्रोफ़ाइल पढ़ो तो पता नही क्या - क्या लिख मारा - जे कोर्स, बो सर्टिफिकेट, जे ट्रेनिंग, बो कम्पनी और ढेर सारे विदेशी बैकग्राउंड वाले चमक दमक के फोटू , ऊँची रंग बिरंगी बिल्डिंग, और अपना लिखा कुछ नही - बस एथी, कैथी, जॉर्ज , कुटियन और भुरकुस की लिखी पोस्ट्स, अलाने - फलाने के वीडियो का रायता फैलाकर रखा है
हर तीसरा आदमी वहाँ भी इनबॉक्स में आकर काम मांग रहा है तो भिया और भैंजी कायकूँ इत्ता ज्ञान बाँट रखा वहाँ कि भगवान, अल्लाह और जीसस के बाद तुम्ही ज्ञानी बचे हो, पूरी प्रोफ़ाइल हाथ पाँव जोड़कर अलग - अलग कौशल, हुनर और दक्षताओं में endorse करवा रखी है जमाने भर के लोगों से
कितना दिखावा और पोंगा पंथी है उस एप पर - उफ़्फ़, प्रोफ़ाइल कह रही कि भिया ह्यूस्टन में है, सिएटल में है, माइक्रोसॉफ्ट में टीम लीड हेंगे अपने नाथू भिया और साला नाथू पटरी पार की कालूखेड़ी से जियो की फिरी वाली सिम से फोन करके के रियाँ "दादा काम दिला दो यार, या बताओ कही भी - तीन साल से घर में इज पड़ा हूँ" , जे बोई कालूखेड़ी है जहाँ हमारे शहर के पटरी पार वाले झुग्गी के लोग मोदी के स्वच्छता अभियान की धज्जियाँ उड़ाने दिन में दो बार जाते हेंगे - बिसलरी की बोतल लेकर
साला दस रुपया नही पोया खाने कूँ और डॉलर रुपये की चिंता में यूं बर्बाद दिखा रहे - जैसे इनके बाप का अकाउंट IMF , World Bank में है
पाखंडी है हम सब लोग असल में

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