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Posts of CBI and Cent Govt 23 to 25 Oct 2018

स्वच्छ भारत के नाम पर देश को उल्लू बनाते रहें, शौचालयों से पूरे देश को पाट दिया जहां अर्ध निर्मित पानी के अभाव में गंदगी और बदबू के बीच प्रशासनिक भ्रष्टाचार बजबजा रहा है बुरी तरह और नोटबन्दी से लेकर राफेल डील कर डाली, संविधानिक संस्थाओं - राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, रिजर्व बैंक, सभी बैंकिंग संस्थान, अजा/अजजा आयोग, लबासना मसूरी, सीवीसी, आई बी, सेना से लेकर सीबीआई तक को साफ कर डाला
सही है गाना
स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया हमने


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देश हित मे मोदी का इस्तीफ़ा आवश्यक
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2019 में भाजपा को जीतना है तो भाजपा मोदी से तुरन्त इस्तीफ़ा लें, शाह को पार्टी पद से हटाये और नए नेता का चयन करें, वरना यह टालमटोल की नीति बहुत महंगी पड़ेगी भाजपा और संघ को - इतनी बदनामी और बेइज्जती दुनिया मे किसी प्रधान मंत्री की नही हुई होगी
गम्भीरता से सोचिए कि सेना से सीबीआई तक में प्रधान मंत्री कार्यालय का स्पष्ट दखल और राफेल से बैंक के कामकाज में भी दखल - कितना बर्दाश्त करेगा कोई, आखिर क्यों रात एक बजे पुलिस को ले जाकर सीबीआई का दफ्तर खंगालना पड़ा और सील करना पड़ा , एक अयोग्य अफसर को चार्ज देना पड़ा
अब लग रहा है कि सीबीआई के आपसी झगड़ों में एक दो दिन में किसी अफसर की जान जा सकती है या हत्या की भी आशंका मुझे लग रही है क्या कहते है Intuition
अखिल भारतीय स्तर पर चयनित होकर आये इन मूर्ख अफसरों को यह नही समझता कि सत्ताएं तो आती जाती रहती है पर नौकरी स्थाई है और नेताओं की बखत कुछ नही है और रिश्वत का इतने बड़े पद पर जाने का क्या अर्थ है, क्या अपने नियोक्ता या आका को पोस्टिंग में देना मूल शर्त है
आजकल में देखियेगा और क्या क्या होता है क्योंकि रात एक बजे सरकार ने दफ्तर सील करवाकर सबूत ले जाने की या मिटाने की कोशिश की है
कितने शर्म की बात है कि दो व्यक्ति, सिर्फ दो व्यक्तियों ने देश की सारी संविधानिक संस्थाओं को चौपट कर दिया और एक महान देश के परखच्चें उड़ गए
पूरा विपक्ष भी निकम्मा और अकर्मण्य है अन्यथा ये दो लोग इतने आगे नही बढ़ते, दूसरा भाजपा और संघ के भीतर के लोगों की क्या मज़बूरी है जो इतना सब होने के बाद भी पूरी पार्टी, मार्गदर्शक मंडल, संघ के बौद्धिक और अंतर अनुशासिक संगठन और सरकार के दोनों सदनों में सहयोग कर रहें दल क्यों चुप है
राफेल से लेकर कई बड़ी हत्याओं की जांच में शामिल सी बी आई की निष्पक्षता पर कैसे और क्यों भरोसा करें
अब महामहिम राष्ट्रपति की कोई भूमिका है या नही - पूछ रहा हूँ
यह आपातकाल से बुरी स्थिति है
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तोते ने तोते से कहा कि तोतों की जात पारदर्शी होती है और अब यह फरमान तोतों के सरदार ने तोतादालत के पूर्व के निर्णयों के मद्देनजर रखकर तोतातन्त्र में कही
और दूर गगन की छाँह में तोते उड़कर बैठ गए और चार साल में फ़ल देने वाले अमरूद के पेड़ के अमरूद कुतरने लगें
सुना है तोतों के कुतरे फ़ल बहुत मीठे होते हैं - जाहिर है हर कोई इन्हें चखना चाहेगा ही
जय हो
इति तोता पुराण संक्षिप्ताध्याय समाप्त
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सोशल मीडिया के पत्रकार, समाजसेवी, चिंतक, बौद्धिक और भयानक संवेदनशील युवा ज़्यादा है - जो ना यूपीएससी निकाल पाएं ना अपने जिले के पटवारी की परीक्षा - खजूरी बाज़ार, इंदौर से दरियागंज, दिल्ली और सिविल लाइन्स, प्रयागराज की फोर्थ फिफ्थ हैंड पढ़ी किताबों से पाया एवं रटा हुआ थोथा अर्थात घटिया ज्ञान यहां वमन कर कुंठित हो रहें है - ये इंजीनियर से लेकर समाजसेवी और आलतू फालतू विषयों एवं भाषाओं के पी एच डी भी है
इनका विश्लेषण और निष्कर्ष पढ़ गली का कुत्ता ना मरे और मुहल्ले के सूअर मल खाना नाछोड़े, बरसों से बाप - माँ को बेवकूफ बनाकर अपनी माशूकाओं के घर की गैस रिफिल भरते ये पढ़े लिखें अंडा बेचने लायक भी नहीं रहें और यहां बुद्ध से लेकर बार्सिलोना तक का ज्ञान पेल देंगे भांग का अन्टा फंसाकर
बाकी बचें बुड्ढे ठुड्ढे तो बेचारे करें क्या - बहू बेटों ने जियो की फोकट सिम दिलाकर आठ दस हजार का फोन दिला दिया है, सेवानिवृत्ति के बाद ज्ञानी बनें ये जागरूक पहरुए जोत जलाए रहतें हैं और सुबह मोहल्ले का चक्कर लगाकर विश्व भ्रमण दिखाएंगें
कुछ घोर ईमानदार सरकारी और अ-सरकारी जनता दफ्तर में बैठकर बघार तड़का पेलती रहती है विद्वता का जो आता ना जाता भारत माता टाइप लिखते है, इनमे मास्टर, डॉक्टर, वकील, बाबू, नर्स से लेकर एनजीओ कर्मी और दो कौड़ी के पत्रकार भी है जो है तो खबर लिखने वाले पर अलां फलां मीडिया या वेब का सम्पादक बताकर अपनी और अपने शोषक की औकात यहां भौंडे ढंग से दर्शा देते है
कुछ बापडे वीडियो से लेकर मनचलों के किस्से तक शेयर कर नेहरू मोदी बनते रहते हैं और कुछ फोटो, साड़ी, सूट, दारू के नए ब्रांड से लेकर सविता भाभी पुराण में व्यस्त है, इनकी कुंठा पूछिये ही मत
एक चौथाई राजनीति के दांव पेंच से लेकर भिंडी बाजार के जुए सट्टे में व्यस्त है, कुछ साधु ढोंगियों के प्रवचन और उनकी कारगुजारियों के कारनामों को यहाँ चैंपकर खुश है कि बस सतयुग पोस्ट लिखते ही टपक पड़ेगा
हम जैसे निन्दा पुराण और खरी खरी लिखकर प्यार मुहब्बत खरीदते रहते है इस आभासी संसार मे यारी कम दुश्मनी ज़्यादा पाल रखी हैं , अघोरी लोग है अपुन तो - हमन है इश्क मस्ताना ; हमन को होशियारी से क्या
यही गीता, कुरान , बाइबिल और गुरुबाणी का सार है और सोशल मीडिया का असली सत्व - ले लो फ्री में - मोक्ष मिलेगा
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चलो शुरू हो जाओ देशप्रेमियों, मैं तो हो गया - लो देखो ....
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
"पटाखे रात सिर्फ आठ से दस बजे तक" यह स्थाई फ़ैसला है
(क्रिसमस और एक अन्य त्योहार जिसका नाम भूल रहा हूँ, शायद न्यू ईयर, की रात में रात्रि ग्यारह से साढ़े बारह तक की छूट)
गम्भीर कार्यवाही की जाएगी और एसएचओ व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा - गर ज्यादा देर या पहले जलें तो
ये क्या हो गया ☺️☺️☺️
जस्टिस सीकरी वही है जिन्होंने 2017 में दिल्ली में पटाखों पर बैन लगा दिया था
चलो ट्रोल करो
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कई मित्रों को जानता हूँ जो झूठे आरोपों पर विश्वास कर विश्वासपात्र करीबी मित्रों को रास्ते से हटा देते है और ऐसे लोगों को गले लगा लेते है जो गले -गले तक घोषित रूप से पाप में डूबे है और बहुत स्पष्ट रूप से स्त्रियों के दोषी है, बल्कि ये दोषी उनके ही घर - परिवार या वृहत्तर समाज की स्त्रियों को सताते हुए पूरी बेशर्मी से छाती ठोंककर समाज मे ज़िंदा है और बड़ी शान , सम्मान और 'इज्जत' से जिंदा है
अफसोस कि हम ना इन्हें कुछ कह पाते है और ना उन्हें समझा पाते है - खैर
जो घर जाले आपना चलें हमारे साथ - एकला चलो रे - अपुन ने तो यह ठान ही लिया है
जब तक धकेगा तब धकायेंगें वरना वो कहते है ना हमें मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
हम तो निर्णय लेने के लिए खुल्ले और स्वतंत्र ही है जो मर्जी होगा करेंगें और अपना निर्णय भी ले ही लेंगें समय आने पर
दुख नही होता, अफसोस भी नही, कबीर याद आते है - कबीरा इस संसार में भांति भांति के लोग
बहुत मुश्किल है रे बाबा इस समाज को समझना और लोगों, मित्रों के बीच ज़िंदा रहना और क्या कहते है एडजस्ट करना
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जिस देश में सी बी आई भ्रष्ट होकर सड़क पर आ जाये उसका कुछ हो सकता है
पिछले 71 वर्षों में ना सेना ने अनुशासन तोड़ा , किसी जवान ने शिकायत नही की थी खाने की दाल में दाल नही, कफ़न खरीदी से लेकर भर्ती में शिकायतें नही आई, नियुक्ति में शिकायत नही, राफेल जैसा कांड नही, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर भक्तों का दोहरा चरित्र सामने आया
चलो कांग्रेस तो भ्रष्ट थी ही, पर अब सी बी आई में जो कुत्ता बिल्ली की लड़ाई हो रही है वैसा कमीशन का बंटवारा तो हमारे गांव के कोटवार और सरपंच के बीच नही होता, मतलब दो करोड़ की राशि कोई अकेला हड़प लें यह दो आय पी एस अफसरों को बर्दाश्त नही हो रहा - भला बताईये क्या पूरे कुएँ में भांग नही और गुजरात कैडर से आये ये अफसर अपनी पोस्टिंग की पॉटी किसके माथे मलना चाहते है
क्या हो रहा है, राष्ट्रपति को बोलना और उम्मीद करना बेवकूफी होगी मेरी - जो देश प्रमुख है वह राफेल पर नही बोला , जो दलित होकर दलित अत्याचार पर नहीं बोला तो अब इस कमीशनबाजी के खेल में अपने आकाओं को बोल दें - ये मजाल और फिर रबर स्टाम्प हमने ही तो बना और मान रखा हैं ना
आइये चार साल के सामने आ रहें हिसाब किताब और 2019 के मुहाने पर खड़े होकर जाती हुई सरकार की बन्दर बांट के मजे लें , अब यदि आंख के अंधें यहां आकर बचाव करें तो मान लीजिए कि इस सरकार की फेंकी हुई हड्डी को चूसकर बलिष्ठ हो रहें है ये भक्तगण
अभी तो सेना, पुलिस, पैरा फोर्सेस, ईडी , आई बी, रॉ, एन एस जी से लेकर गांव के कोटवारों की लड़ाई इस बहाने से सामने आना बाकी है मित्रों और जिस दिन निज सुरक्षा में लगें जेड सुरक्षा के जवान की गई डील्स की बात खोलेंगे तब देखियेगा कि कुत्ता लड़ाई कितनी नीच (मणिशंकर अय्यर से मुआफी सहित )हो जाएगी
शर्म मगर इनको आती नही हैं
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