Skip to main content

6 Oct 2018 Post

शिवराज सिंह जी ने आज सिवनी में मेडिकल कॉलेज का भूमि पूजन किया
छिंदवाड़ा में भी खुल रहा है
जबलपुर में है ही
एकदम अपने पड़ोस के नागपुर में भी है ही

हमारे देवास के बींजाना, सिंगावदा में भी नही है - खोल दो , 10 - 15 छोरा छोरी तो दोनों गांव में मिल ही जायेंगें
मतलब हद यह कि 150 किमी के रेडियस में 4 मेडिकल कॉलेज - साला हायर सेकेंडरी स्कूल या नॉर्मल डिग्री कॉलेज नही है प्रदेश के कई हिस्सों में और ये गजब की बत्ती दे रहें है जनता को
सरकार - किसको बना रहे हो, जो है उनकी मान्यता तो रिन्यू नही हो रही, सरकारी मेडिकल कॉलेज सागर से लेकर ग्वालियर, इंदौर, रीवा, भोपाल के हाल भयावह है यह वहां की फेकल्टी से पूछो
निजी कॉलेज पर बस चल नही रहा - इंदौर , उज्जैन, देवास से लेकर भोपाल के पीपुल्स तक वालों पर - वे गुंडागर्दी कर बच्चों का शोषण कर रहे हैं, बच्चियां आत्महत्या कर रही हैं मनमानी फीस को लेकर
कर्जे में डूबा प्रदेश, और 15 साल के शिलान्यास बचे 4 दिन में निपटाओगे क्या हुजूर ए आला,
बजट देखा या हिसाब देखा प्रदेश का -अभी अक्टूबर है और ओव्हर ड्राफ्ट में भी डूब गए हो, मोदी और आपकी आर्थिक समझ एक जैसी है क्या - कहावत सुनी है "घर में नही दाने और अम्मा चली भुनाने"
क्यों आने वाले किसी जुगाड़ू को बैठने के पहले हार्ट अटैक की व्यवस्था करके जा रहे हो
और ये बताओ कि निजी मेडिकल कॉलेज से निकलकर आपके लाभार्थी उर्फ व्यापमं पुत्र किसकी सेवा कर रहें हैं - डॉक्टरों का तो टोटा पड़ा है , जो है वो नरक में काम कर रहें हैं और अब ऊपर से स्वास्थ्य बीमा की बाबूगिरी भी
गुरु - जनता को बरगलाओ मत , दो चार दिन में आचार संहिता लगने वाली है , अपनी धर्म पत्नी और बच्चों के साथ उस झील के किनारे बसे बंगले में तसल्ली से रहकर यादें संजो लो कि अब अच्छे दिन आने वाले हैं, भारत भवन में जाकर संगीत सुनो, नाटक देखो, आदिवासी कला निहारो, चित्र समझो , कविता सुनो, नृत्य देखो -भोत बड़े बड़े बल्लम वहां आते है - आप सबके मन को शांति मिलेगी - क्योकि अब यही खनिज, मेडिकल और नियुक्तियों के पांसे अब उल्टे पड़ेंगे - असली शकुनि मामा जो तुम्हारे ही घर - बार के है , चौसर खोलकर चाल चल दिये है और अब प्यादों के भरोसे कुछ होना नही है
पहले अपनी बुदनी और उससे पहले जेत गांव और ग्राम पंचायत बचाओ बाकी जो होना है होता रहेगा और अब एक रूपया खर्च करने के पहले सोच लेना

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही