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A talk with Kalapini Komkali on A Snowy Evening - 20 Jan 2025


कितना कुछ था जानने को, कितना कुछ था समझने को और लगभग डेढ़ घण्टे तक हम लम्बी बातें करते रहें - कोई औपचारिक साक्षात्कार नही था पर जो बातें हुईं वे सारी की सारी निश्चित ही महत्वपूर्ण है और हम सबको समझना चाहिये
विदुषी और ख्यात गायक, संगीत कला अकादमी के पुरूस्कार से सम्मानित सुश्री Kalapini Komkali जी के साथ एक लंबे समय बाद तसल्ली से बात हुई, उनकी शिक्षा,संगीत, सफ़र, संगीत की महफ़िलें, समकालीन परिदृश्य, स्व कुमार जी और स्व वसुंधरा जी का अभिभावक और गुरू के रूप में योगदान, मालवा की मिट्टी, हिंदी - मराठी - कन्नड़ भाषा और साहित्य संस्कृति के साथ किताबों का संसार - पूरी बातचीत में जिस तरह से वे भावुक हुई,बहुत उदार भाव से बड़े और ख्यात संगीतकारों को याद किया, संगीत साहित्य के रिश्तों को परिभाषित किया,अमेरिका से लेकर क्रेमलिन, मास्को, आस्ट्रेलिया, दुबई या देवास के कार्यक्रमों को डूबकर याद किया और सारी स्मृतियों को भीगकर याद किया - यह बेहद भावुक करने वाला था, मैं लगभग मन्त्र-मुग्ध भाव से सुन रहा था और सोच रहा था ये कौनसी कलापिनी है - निश्चित ही वह तो नही जिन्हें मैं 1975 से जानता हूँ जो नूतन बाल मन्दिर में पढ़ती थी, या मेरे साथ कॉलेज में एक क्लास आगे थी या हमारे गुरू डाक्टर सुभाष सहगल या नरेंद्र दाड़ जी की सुयोग्य शिष्या थी
शरद चंद्र, राहुल सांस्कृत्यायन, धर्मवीर भारती आदि से लेकर हिंदी के मराठी के बड़े साहित्यकारों को बहुत ध्यान से पढ़ा है, महाभारत के सारे खंड जो तीन-तीन सौ पृष्ठ के होते थे - उन्हें मराठी में पढ़ा और उसका उनके जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ा, अमर चित्र कथाओं ने उनके किशोरावस्था पर गहरा असर डाला जिसके माध्यम से उन्होंने भारतीय संस्कृति, इतिहास ,भारत की विविधता और भारत की संस्कृति - परंपरा को समझा सीखा, और वे कहती है कि अमर चित्र कथाओं और अनंत पई की वे जीवन भर आभारी रहेगी और आज भी उनके पास अमर चित्र कथा के सारे प्रकाशित संस्करण जिल्द में सहेज कर रखे हुए हैं ; आज की बातचीत में कलापिनी ने शिद्दत से सबको याद किया - स्वर्गीय राहुल बारपुते, विष्णु चिंचालकर गुरुजी, बाबा डीके, स्वर्गीय पंडित ओंकार नाथ जी, उस्ताद अल्लारखा साहब, किशोरी अमोनकर, पंडित जसराज, पंडित भीमसेन जोशी, शोभा गुर्टू से लेकर अशोक वाजपेई, सुदीप बनर्जी और तमाम लेखक - साहित्यकार और कलाकारों को याद किया और कैसे इन सब की वजह से उनके जीवन पर क्या असर पड़ा है इस पर विस्तृत बातचीत की, सुनील गावस्कर की किताब से क्रिकेट की बारीकी को कैसे समझी - इस पर भी बहुत मजेदार उदाहरण देकर बताया कि क्रिकेट उनकी रुचि का क्षेत्र रहा है, क्रिकेट - साहित्य से गुजरकर हुए संगीत में आई है और अब वह कहती है कि संगीत के क्षेत्र में आने में मुझे बहुत देर हुई यदि थोड़ा जल्दी आ जाती तो शायद बहुत कुछ और सीख पाती और कुछ योगदान दे पाती
जल्दी ही इसे ट्रांस्क्राईब करके शब्दों में उतारता हूँ और कही छपने के लिये भेजता हूँ - साल की बेहतरीन शुरूवात इससे अच्छी नही हो सकती थी - गया तो था कि दो चार सवाल कर लौट आऊँगा पर जब सिलसिला शुरू हुआ तो अविरल भाव से चलता रहा
बहुत शुक्रिया और आभार इस महत्वपूर्ण और ज़रूरी बातचीत के लिये कलापिनी
भानुकुल देवास की यह बातचीत मेरे लिए ऐतिहासिक है - यह कहना अतिश्योक्ति नही है, ठंड के मौसम की यह ठिठुरती शाम थी और भानुकुल के आँगन में बहुत देर तक यह सारे संस्मरण गूँजते रहेंगे
चित्र - Lucky Jaiswal

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