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Khari Khari, Drisht Kavi, Kuchh Rang Pyar ke and other Posts like Sanju s birthday from 21 to 16 April 2023

 मन अभी भी नही मान रहा कि कोई किसी बड़े हत्यारे को मारकर उसकी हत्या कर देगा और प्रसिद्धि पा लेगा, गौर से देखिये उनके चेहरे और जानिए उनकी पृष्ठभूमि, कैसे कोई मान लें कि वे अतीक और उसके भाई को मारकर बड़ा और फेमस हो जायेगा

मतलब कुछ तो तार्किक बात करो यारां
उनकी उम्र तो देखो
उनको पत्रकार के पास , कैमरे और इतना महंगा हथियार किसने दिया
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ख़ैर छोड़ो, सतपाल मलिक के खुलासे पर किसी का कोई ट्वीट, कोई बयान या कोई एक्शन कही दिखा क्या
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हिंदी स्त्रैण कवियों से भरा हुआ बजबजाता नाला है जहाँ एक से एक घटिया और निकृष्ट कवि है, इन्हें ना लिखना पढ़ना है और ना कुछ करना सिवाय यहाँ वहां की बातों के और दूसरों की चुगली करने, इंदौर के एक कवि की हरकत के बारे में मालूम पड़ा अभी, जी चाहता हूँ उस हरामखोर को भरे बाजार दो तमाचे जड़ दूँ जो जीवन भर स्वयंभू बड़ा बना रहने की आत्म मुग्धता में रहा और ओछी हरकते करता रहा
सुधर जा शुकर देव के महागुरू वरना जिस दिन मिलेगा उस दिन जूते खायेगा मक्कार तूने तो नीचता दिखाने में कसर नही छोड़ी मैं अभी भी सभ्य बना हूँ वरना ....
[ इतनी असंसदीय भाषा के लिए दिल से मुआफी पर इस नीच के लिये कोई और शब्द भी नही है ]
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क्यों ना सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर राष्ट्रपति को तुरंत प्रभाव से उप्र में सरकार भंग करके राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करें और पदेन मुख्यमंत्री, डीजीपी, मुख्य सचिव और एसपी - कलेक्टर, प्रयागराज के ख़िलाफ़ कड़ी सजा का प्रावधान करें - यह एक बड़ी नजीर होगा इतिहास में
सवाल अतीक या विकास दुबे का नही - सवाल न्याय, सँविधान और प्रक्रिया का है, जंगल राज के कानून से देश नही चलता
आसमानी फ़ैसला, आसमानी किताब का जवाब? कितने घृणित हो गए है हम लोग
शर्म मगर उनको आती नही
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कितना बेहतरीन ड्रामा, कितनी बढ़िया पटकथा, कितना ऐतिहासिक और कितनी बढ़िया पुलिस - जो सँविधान, न्याय, कानून को छोड़कर दो टके के नेताओं के सामने झुक गई, हद यह है कि हत्या का लाईव वीडियो - कुछ शेष बचा है
इस देश में अभी भी आप कुछ उम्मीद करेंगे, उत्तर प्रदेश ही नही, केंद्र से लेकर अधिकतर राज्यों में दमन और तानाशाही है सिर्फ़
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बैठे है उन्ही के कूचे में हम आज गुनहगारों की तरह
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बहुत पुरानी पचमढ़ी की यादें, मप्र शासन के लिए कक्षा पहली से आठवीं तक के पाठ्यक्रम को समझकर, नया लिखने और विकसित करने के साथ तत्कालीन मप्र के 45 जिलों में हमने प्रशिक्षण किये थे, पागलों की तरह दौड़ने और लम्बे लम्बे प्रशिक्षण सत्र लेने की आदत पड़ गई थी, ये 1998 के समय के चित्र राज्यपाल भवन के सामने स्थित डाइट के है
क्या मज़े थे, क्या दिन थे और क्या अदभुत रातें - चाँद, गाने और मस्ती के साथ शिक्षा प्रशिक्षण




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जातो नाही, परत येतो ||
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रसूल हमजातोव अपने उपन्यास "मेरा दागिस्तान" में लिखते हैं कि - जब कोई हमारे पहाड़ी गांव के बाहर नौकरी करने जाता था तो गांव की कांकड़ यानी गांव की सीमा तक पैदल जाता था, उसके बाद ही घोड़े पर, पिट्ठू पर या गधे पर बैठकर निकलता था, कांकड़ तक पैदल इसलिए जाता था कि यदि उसे लौटना है तो रास्ते भर सोच ले वह, और अगर मन करे तो लौट आए - वरना तो फिर वह गांव से बाहर जाएगा तो शहर से कभी नहीं लौटेगा, जब भी आएगा - थोड़े समय के लिए मुसाफिर की तरह से आएगा ; हम लोग मराठी में भी 'जाता हूं' कभी नहीं कहते, हमेशा कहते हैं 'लौट कर आता हूं' [जातो नाही, परत येतो]
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जन्म से मरण तक साल में एक दिन अपना होता है और उस दिन के शहंशाह होते है, हमारी सारी अराजकताएँ माफ होती है बशर्ते उसे कोई समझने वाला हो
सीखते - सिखाते हुए हम जानते है कि हम कितना कम जानते है और बहुत कुछ सीखना रह जाता है मसलन हारमोनियम, तैरना, कुश्ती लड़ना, टेबल टेनिस, हवाई जहाज चलाना और यह सब इसलिये जेहन में रह जाता है कि हमारे आसपास ऐसे लोग है जो हमसे बेहतर और काबिल है, जिन्हें हम मित्र बना लेते है और मन ही मन कूढ़ते रहते है
हम बड़े सामाजिक ताने बाने के हिस्से है और हमारे बिना इस संजाल का कोई महत्व नही है, इसलिये अपने को इस संसार की धुरी भी कह सकते है, कल जब हम न होंगे तो इस सब प्रगति या पिछड़ेपन का कोई अर्थ नही रहेगा - इसलिये हम या मैं जब तक हूँ यह सब है - इसका आनंद लेना है
5 अप्रैल को आप मित्रों, परिजनों और बाकी सबने यह एहसास फिर पुख्ता किया कि वायवीय ही सही, पर रिश्तों में दम होता है, मित्रता आज भी सबसे बड़ी ताक़त और प्रेरणा है
सन्देश, फोन कॉल्स, और बहुतों से मिलने पर खुशी होती है जाहिर है यह सब हुआ - आपका आभार, और दिल से धन्यवाद एक नाचीज़ का जन्मदिन मनाने और सार्थक करने के लिये
दुआओं में याद रखियेगा - ज्यादा जरूरत है इन दिनों
बहुत प्यार और दुआएँ
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राष्ट्र प्रथम
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मित्रों अपनी उम्र के 56 वर्ष पूरे किए कल, आज से 57 वाँ आरम्भ हुआ है, और अब अक्ल आई कि मेरे कूँ जनसंघ ज्वाइन कर लेना था स्वअटल जी कर टाइम पर ही, ताकि आज मैं भी अरबपति होता, केबिनेट मंत्री बन जाता या राज्यपाल तो हो ही जाता कम से कम अब तक
चलो कोई ना, अब भाजपा ज्वाइन कर रियाँ हूँ अमृत काल में और अब आजीवन भाजपा में रहूँगा
आज मुझे जेपी नड्डा जी ने नये पद दिये है -
◆ राष्ट्रीय संयोजक - भाजपाई वामपंथ मोर्चा
◆ सहसंयोजक - कॉंग्रेस तुष्टिकरण
◆ अंतर राष्ट्रीय संयोजक - अल्पसंख्यक मोर्चा, सपा, बसपा और तृणमूल
◆ राष्ट्रीय अण्णा - दक्षिण की सभी पार्टियों के गठजोड़ हेतु
मैं समस्त भाजपाइयों, संघियों, बजरंगियों, नारंगी संतरों / सेंटरों और मोदी जी, अमित शाह जी, योगी जी और नड्डा जी का आभारी हूँ
जय सिरी राम
😂😛😂
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[ On a serious note, भाजपा को स्थापना दिवस की बधाई, इस उम्मीद के साथ कि देश, नागरिक और सँविधान को सबसे उपर रखेंगे और देश हित में ही काम करेंगे ]
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इंदौर हादसा और 36 लाशें
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तत्कालीन कलेक्टर, निगम कमिश्नर, पार्षद और विधायक और उन सब पर भी रिपोर्ट दर्ज हो जो बावड़ी को गायब करने में शामिल थे, इन सब पर सदोष मानव वध का मुकदमा दर्ज हो और फांसी की सजा मिलें, सिर्फ मन्दिर समिति के अध्यक्ष और सचिव पर कागज़ी कार्यवाही से काम नही चलेगा - जो बरसों से धर्म की अफीम चटा रहें थे लोगों को, ये तो सॉफ्ट टारगेट है
इस शहर के एक नम्बर खिताब पर कालिख लगी है और इसमें सब शामिल है इस कलंक के लिये, धिक्कार भी है इन सब पर , याद आते है परसाई जो कहते थे कि "जीसस ज़िंदा होते तो कहते इनमे से किसी को माफ मत करना, ये सब जानते है कि ये क्या कर रहें है "
और जनता, अभी भी नही समझेगी - मूर्ख ही रहेगी, बाबाओं, मुल्लों और मन्दिर - मस्जिद के नाम पर कब अपनी जान देते रहोगे गंवारों
कमाल यह कि देश भर में शिशु मंदिरों के माध्यम से शिक्षा देने वाले संघ और भाजपा को इतनी समझ नही कि कम से कम लोगों को इन अंधविश्वासों से बचायें, ऐसे धूर्त और मक्कार लोगो के भरोसे हिन्दू राष्ट्र बना रहे जो अपने ही पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मदिन पर हिंदुओं को ही मार डाले
हद है मतलब और एक लाश की कीमत मात्र पाँच लाख लगाई मामा ने
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Hard work always pays


बड़े भाई अक्सर पिता के बाद पिता की भूमिका में ही होते है, हम तीन भाई थे, सबसे छोटे भाई ने लम्बी बीमारी के बाद हमारा साथ 2014 में छोड़ दिया था पर हमारे बीच वो हमेंशा है
बड़ा भाई संजय नाईक, आज 28 साल की लम्बी नौकरी के बाद किर्लोस्कर कम्पनी से सेवानिवृत्त हो रहा है, अच्छी बात यह है कि उसकी मेहनत और लगन के कारण कम्पनी ने उसे सलाहकार का पद देकर उसे पुनः रख लिया है, हमारे बड़े बेटे एवं भतीजे लाड़ले Siddharth Naik ने बहुत भावुक कर देने वाली एक जरुरी पोस्ट लिखी है जो हम सबकी साझी पोस्ट है , यह हम सबके लिये महत्वपूर्ण दिन है
दुर्भाग्य यह है कि भाई के बहु, बेटे, पोते और पोतियाँ और मैं मार्च का अंतिम दिन होने से वहाँ भौतिक रूप से नही है, पर दिल - दिमाग़ से वही है ; हम सबकी ताक़त, प्रेरणा और परिवार के बड़े सदस्य के लिये शुभकामनाएँ, लम्बे स्वस्थ जीवन के लिये दुआएँ और खूब स्नेह
एक परिवार के रूप में हम सब एक है और हम सब बड़ी ताक़त है - यह कहना ज़रूरी समझता हूँ मैं
लाड़ले सिद्धार्थ का लिखा पोस्ट
"Congratulations on the new offer Mr. Sanjay Naik"
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This was supposed to be a heartfelt retirement note talking about his struggles and how he will now be happily spending time with us @ home enjoying his retirement life.
But daddy being daddy, you will never know where he will surprise you.
Two months back we were planning his retirement party and today two weeks back he reveals he is in discussion on offer with his favourite employer (Kirloskar Brother's Limited)
I still have dull memories of his real struggle before he got employed at this established Job.
I have memories of him getting up early and doing tough jobs like pushing manual machines for the business he himself started and toil round the clock.
Life was tough on him but he was tougher on life.
Till my graduation and till I was staying with him, I always had an Image of him as a tough man.
And then there was a day , I left dewas and shifted to Mumbai and I saw the other side, just below this tough layer every is delicate, soft and full of warmth.
In his so many years of hard work, I have only seen him praising his company. Through thick and thin the company was with him and he was with the company.
Unlike his cousins and friends, he opted for a private job, on the opportunity cost of a Government job which required him to leave his home and relocate, but trust me he never regretted his decision.
We as a family heartily thank Kirloskar Brothers Limited for this tenure and opportunity.
For middle class families this job was an opportunity to grow financially and tag themselves from middle class to upper middle class, this was an opportunity for kids of the family to get a better future.
Also we want to congratulate Daddy for his new offer as consultant in Kirloskar Brothers now onwards.
Daddy was asked to continue his present employment as a regular employee.
Me, Aniruddha Naik, Amey Sangeet Naik and mom Anuradha Naik kaku Sampada Naik and entire family wanted him not to pursue and get retired and be with us.
Daddy was discussing a consultant offer, as he wanted to keep working after his retirement, but not as a permanent employee.
Luckily again his favourite Kirloskar company, Dewas gave him this opportunity and he will be joining back his employer as the Consultant.
We wish him healthy, wealthy and sporting life - Snehal Tripathi Naik , Shreya Dubey Naik #Sharwil #Shatakshi and #Arnika_Naik
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किसी भी साहित्यिक आयोजन में सबसे ज्यादा बोरिंग, पकाऊ और समय खाने वाले (अ)ज्ञानी संचालक ही होते है - जो सर्वज्ञ होने का बढ़िया खेला करते है, यह मेरा ही नही सबका अनुभव है, आजकल इन ज्ञानियों के कारण साहित्यिक कार्यक्रमों में जाना ही छोड़ दिया है - मतलब वक्ता और विशेषज्ञ से ज्यादा तो ये स्थानीय छिछोरे होते है - जो सत्यानाश कर देते है किसी भी गोष्ठी का
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में लगभग 20 वर्ष पहले एक बार राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य सम्मेलन हुआ, स्वर्गीय प्रभु जोशी संचालन कर रहे थे और वे दो वक्ताओं के बीच में इतना ज्ञान बाँट रहे थे, विदेशी लेखकों के उद्धरण दे रहें थे और खजुराहों से लेकर तमाम जगहों का ज़िक्र कर रहे थे कि आखिर शशांक को - जो उस समय भोपाल दूरदर्शन के डायरेक्टर थे, बीच में आना पड़ा और कहना पड़ा कि "प्रभु, तुम फालतू बात मत करो , हमने सब पढ़ा है और हमने सब लिखा है, सारे विश्व के संदर्भ हमको मालूम है, विदेशी लेखकों का नाम लेकर फालतू लोगों को आतंकित मत करो और समय बर्बाद मत करो और सिर्फ वक्ताओं को बुलाने का काम करो" - लगभग माइक छीन कर यह बात शशांक ने भरे मंच पर प्रभु जोशी को कही थी
किसी संचालक को देखता हूँ तो मन ही उचट जाता है और ससुरा परिचित हो तो लगता है बीच में खड़ा होकर बोल दूँ - बसकर ओ ज्ञानी, ओ भैंजी चुप हो जा, बन्द करो बकवास
🤣😅🤣
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हमारा हिंदी का लेखक आपको सीखायेगा कि "साहित्य समाज का दर्पण है" - पर हरामखोर अपनी प्रतिष्ठा, नौकरी और दो कौड़ी के घटिया मीडिया हाउस की संपादकी करेगा, नई उम्र की या बूढ़ी औरतों को लेकर दुनिया घूमेगा पर सम - सामयिक घटनाओं पर ना टिप्पणी करेगा, ना बोलेगा
जलेस, प्रलेस और जसम से लेकर तमाम लेखक संगठन, विवि के मक्कार और टुकड़े तोड़ू मास्टर कौम शुतुरमुर्ग की भांति रहेंगे, पर मज़ाल कि ये टुच्चे सड़क पर या सोशल मीडिया पर सामने आयेंगे
शरद जोशी का व्यंग्य याद आता है "Who is afraid of Virginia Woolf"
बड़ी गम्भीरता से और ज़िम्मेदारी से मैं हिंदी के तमाम मास्टर, प्रोफ़ेसर और लेखकों को धिक्कार और शर्म बेच खाने वालों की श्रेणी में रखता हूँ और अफसोस प्रकट करता हूँ कि इन सबने सिर्फ़ ज़मीर ही नही बेचा, लज्जा और हया भी बेच दी, होंगे तुम बड़े सेटिंगबाज पर तुम्हारी औलाद जब तुमसे पूछेगी तो आत्महत्या करने लायक भी औकात नही बचेगी , जितना सम्मान या स्नेह था तुमसे आज से वह खत्म हुआ मणिशंकर अय्यर ने सिर्फ़ भाजपा के लिए ही नही कहा था उस वृहद सीमा में तुम सब (आप नही) शामिल हो कम्बख्तों
मीडिया से कोई उम्मीद नही, वे सब बिक गए थे, 2014 की नीलामी में और मजेदार यह था कि बोली में सबके भाव सबसे कम थे और निम्नतम स्तर पर बिक गए इसलिये वो अब कोई प्लेटफॉर्म नही है - सीता माता की तरह जो थे खुद्दार - वो धरती में समा गए
शर्मनाक
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लोकतंत्र के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, इस कविता के साथ, हम सब सावधान में खड़े रहें और 76 वर्षों तक अपने सामूहिक कृत्यों, अशिक्षा, अपरिपक्वता, धर्म की जय-जय करते हुए मौन रखें, आख़िर आज तानाशाही के विरोध में उठने वाली आखिरी कील भी उखाड़ दी गई है
"हम भारत के लोग" सँविधान के अनुच्छेद 14 से 30 सब परिमार्जित कर रहें है, थोड़ा इंतज़ार करिए, सबका भला करेंगे राम जी, सबसे अच्छी बात यह है कि न्याय पालिका ने दूध का दूध और खून का पानी कर दिया, विदेशी बहू से लेकर बाकी सब आक्षेप, भद्दे मज़ाक, पप्पू जैसे सम्बोधन समझने और सुनने के लिये हमारा कानून अंधा, बहरा और गूंगा है, होना भी चाहिये आख़िर न्याय का राज है कानून का नही और सर्वोच्च न्यायपालिका ही है , सम्मान रखना और करना सीखिये ज़रा न्याय पालिका का
कांग्रेस के खडसे से लेकर सभी गुटबाज नेताओं को सौ-सौ सलाम और खूब पियार, राहुल के डूबने में भाजपा नही - कांग्रेस की घटिया कूटनीति है, राहुल को दो वर्ष जेल जाना चाहिये - ताकि पदयात्रा के बाद बचा और रायपुर अधिवेशन में सामने आया कचरा साफ़ हो
◆ नोट - समझदार लोग ही कमेंट्स करें बाकी कुढ़मगज बहस ना करें और भक्त जन तो बिल्कुल ही गोबर ना करें यहाँ
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लोकतंत्र का अंतिम क्षण है
कह कर आप हँसे
चारों ओर बड़ी लाचारी
कह कर आप हँसे
कितने आप सुरक्षित होंगे
मैं सोचने लगा
सहसा मुझे अकेला पा कर
फिर से आप हँसे।
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रघुवीर सहाय
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अभय छजलानी जी का सिर्फ नईदुनिया को एक अख़बार बनाने में रोल नही रहा, राहुल बारपुते जी के बाद जिस तरह से उन्होंने सम्पादकीय पकड़, प्रबंधन किया था वो प्रेरणादायक था, मप्र और इंदौर के विकास में उनका नाम हमेंशा रहेगा, वे ऊँचे कद के बड़े आदमी थे जो हर छोटे बाशिंदे से जुड़े हुए थे, हालांकि बाद में नईदुनिया जब जागरण के हाथों गया तो उनकी पीड़ा उन्होंने अपने आख़िरी सम्पादकीय में व्यक्त की थी
अभी सूचना मिली कि आज वे भी हमारा संग - साथ छोड़ गए है, बाबू लाभचंद छजलानी वाले नईदुनिया दफ्तर की असँख्य स्मृतियाँ है जहां राहुल जी, कुमार जी, गुरूजी, और बाबा डीके के साथ बैठकर सुनता रहता था और सीखता था, अभय जी बाहर आकर झाँक जाते थे कि कुछ चाहिये तो नही, सौम्य चेहरा और मीठी वाणी
देवास में कुमार जी के घर 12 जनवरी को भी दो तीन बार मुलाकात हुई, बड़ी आत्मीयता से मिलते थे
पुष्पेंद्र जी, ठाकुर जी, और अब अभय जी - उफ़्फ़ , पत्रकारिता का युग ही समाप्त हो गया है लगता है
सादर नमन
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कल जबलपुर के साथी अनिल हरणे के दुखद निधन की खबर मिली, अनिल लम्बे समय से सोशल सेक्टर में हमारे साथी रहें है बेहद जिंदादिल इंसान, लोगों के लिए प्रतिबद्धता से काम करने वाला जमीनी बन्दा बीमार था और कल खेला हो गया उसके साथ, और आज अभी अभय जी की खबर मिली, समझ नही आ रहा हो क्या रहा है
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