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Khari Khari and other Posts of 28 and 29 March 2025

"कामेडियन और शायर दोनों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए कोर्ट से राहत" *** कुणाल कामरा को मद्रास हाई कोर्ट और इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से 'लाइव लॉ' की खबर है कि मद्रास हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित टिप्पणी के मामले में मुंबई में दर्ज एफआईआर को लेकर कुणाल कामरा को 7 अप्रैल तक अंतरिम अग्रिम जमानत दी है. कामरा को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत बॉन्ड भरने के लिए कहा गया है. हालांकि एफआईआर मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, लेकिन कामरा तमिलनाडु के निवासी होने के कारण वहीं के उच्च न्यायालय पहुंचे. उनके वकील वी. सुरेश ने तत्काल राहत की मांग की, यह तर्क देते हुए कि उनके नए स्टैंड-अप वीडियो 'नया भारत' के प्रसारण के बाद कामरा को कई बार जान से मारने की धमकियां मिली हैं. न्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने कहा कि वह प्राथमिक रूप से संतुष्ट हैं कि कामरा महाराष्ट्र में अदालतों से सुरक्षा की गुहार लगाने में असमर्थ हैं. इसलिए अदालत ने अंतरिम अग्रिम जमानत देने की सहमति जताई. अदालत ने खार पुलिस स्टेशन (मामले में दूसरे प्रतिवादी) क...
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Khari Khari - Post of 27 March 2025

किशोरों के लिए एक मप्र भोपाल से एक पत्रिका निकलती है, तमाम तरह की रचनात्मकता और नएपन की बात करती है यह पत्रिका, पर चापलूस और फर्जी लेखकों के जमावड़े से ज़्यादा कुछ नही है उसमें, देश के नामी गिरामी छटे हुए इलीट गैंग के लोग इन कृत्यों में शामिल होकर अपनी कही ना छप सकने वाली रचनाएँ नवाचार के नाम पर परोसकर मानदेय की दौड़ में शामिल रहते है हद तो यह है कि एक सम्पादक एक ही अंक में चार - पाँच रचनाओं के सम्पादन, कल्पना, अनुवाद और मौलिकता में अपना नाम छापकर ज्ञानी होने का दावा करता है, इसमे अक्सर बहुधा एक ही लेखक या चापलूस कवि की 4,5 रचनाएँ छप जाती है - यदि आप वाजपेयी खानदान या किसी पत्रकार की औलाद हो, या जी हुजूरी में माहिर, हीहीही करके पपोल सकते हैं तो दो पंक्तियों के लिये हजारों रुपये आपकी राह तक रहें हैं यह एक निज हाउस से छपती है और किसी छुटभैये अडानी अम्बानी टाईप माफ़िया सेठ के अंडर है सब कुछ तो - कोई क्या ही कहेगा, बस अपुन अब ना पढ़ेगा ना पत्रिका लेगा, इस प्रकाशन के बाकी प्रकाशनों से भी आज से मुक्ति ले ली, पुराने अंक किसी जगह दान कर रहा हूँ #खरी_खरी *** लम्बी रेस का घोड़ा बनने में ही फ़ायदा है, ब...

Man Ko Chiththi, Khari Khari and Drisht Kavi - Posts from 2 to 27 March 2025

निर्मोही बने बिना चैन नही पड़ेगा, विरक्ति और त्याग ही तटस्थता लायेगा जीवन में और इसके लिये ज़रूरी है चिंताओं को छोड़ जीना शुरू करना, कल के अनिष्ट की चिंता , या आने वाले पलों की उद्दंडता भरी आशा ही असल में दुख का कारण है - अरे जो सबका होगा वो अपना भी होगा, कौन मनुष्यता और सभ्यता के विकास क्रम में हम पहले इंसान है बस एक ही जीवन है, इसे जी लो जी भर कर सारी वर्जनाएँ और प्रतिबद्धताएँ छोड़कर *** जॉर्ज बर्नाड शॉ का नाटक "केन्डीडा" याद आता है - जब उस युवा कवि यूजी मार्कबेंच और उसके पति रेवरेंड जेम्स मेवर मौरेल के बीच केन्डीडा को लेकर अगली सुबह ऑक्शन यानी नीलामी होने वाली है, जो इस जंग में जीतेगा - केन्डीडा उसके संग ताउम्र रहेगी, केन्डीडा उस युवा कवि यूजी को एक सुबह बगीचे से घर ले आई थी पर सुबह होने पर केन्डीडा को पता चलता है कि युवा कवि यूजी घर छोड़कर भोर में ही चला गया, वह जानता था कि वह जीत जायेगा और केन्डीडा का पति जेम्स इस कमज़ोर लड़ाई में हार जायेगा - लिहाज़ा युवा कवि यूजी, जो केन्डीडा को बेतहाशा प्यार करने लगा था, घर छोड़ने का फ़ैसला लेता है, यह अलग बात है कि सही क्या था और गलत क्या - पर...