"कामेडियन और शायर दोनों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए कोर्ट से राहत" *** कुणाल कामरा को मद्रास हाई कोर्ट और इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से 'लाइव लॉ' की खबर है कि मद्रास हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित टिप्पणी के मामले में मुंबई में दर्ज एफआईआर को लेकर कुणाल कामरा को 7 अप्रैल तक अंतरिम अग्रिम जमानत दी है. कामरा को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत बॉन्ड भरने के लिए कहा गया है. हालांकि एफआईआर मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, लेकिन कामरा तमिलनाडु के निवासी होने के कारण वहीं के उच्च न्यायालय पहुंचे. उनके वकील वी. सुरेश ने तत्काल राहत की मांग की, यह तर्क देते हुए कि उनके नए स्टैंड-अप वीडियो 'नया भारत' के प्रसारण के बाद कामरा को कई बार जान से मारने की धमकियां मिली हैं. न्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने कहा कि वह प्राथमिक रूप से संतुष्ट हैं कि कामरा महाराष्ट्र में अदालतों से सुरक्षा की गुहार लगाने में असमर्थ हैं. इसलिए अदालत ने अंतरिम अग्रिम जमानत देने की सहमति जताई. अदालत ने खार पुलिस स्टेशन (मामले में दूसरे प्रतिवादी) क...
किशोरों के लिए एक मप्र भोपाल से एक पत्रिका निकलती है, तमाम तरह की रचनात्मकता और नएपन की बात करती है यह पत्रिका, पर चापलूस और फर्जी लेखकों के जमावड़े से ज़्यादा कुछ नही है उसमें, देश के नामी गिरामी छटे हुए इलीट गैंग के लोग इन कृत्यों में शामिल होकर अपनी कही ना छप सकने वाली रचनाएँ नवाचार के नाम पर परोसकर मानदेय की दौड़ में शामिल रहते है हद तो यह है कि एक सम्पादक एक ही अंक में चार - पाँच रचनाओं के सम्पादन, कल्पना, अनुवाद और मौलिकता में अपना नाम छापकर ज्ञानी होने का दावा करता है, इसमे अक्सर बहुधा एक ही लेखक या चापलूस कवि की 4,5 रचनाएँ छप जाती है - यदि आप वाजपेयी खानदान या किसी पत्रकार की औलाद हो, या जी हुजूरी में माहिर, हीहीही करके पपोल सकते हैं तो दो पंक्तियों के लिये हजारों रुपये आपकी राह तक रहें हैं यह एक निज हाउस से छपती है और किसी छुटभैये अडानी अम्बानी टाईप माफ़िया सेठ के अंडर है सब कुछ तो - कोई क्या ही कहेगा, बस अपुन अब ना पढ़ेगा ना पत्रिका लेगा, इस प्रकाशन के बाकी प्रकाशनों से भी आज से मुक्ति ले ली, पुराने अंक किसी जगह दान कर रहा हूँ #खरी_खरी *** लम्बी रेस का घोड़ा बनने में ही फ़ायदा है, ब...