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Showing posts from March, 2012

बस दिन भर आती रही, हमें तुम्हारी याद ||

Thanx Prashant Dubey for lovely cup plates .................... कल भोपाल मैं बहुत दिनों बाद किसी मुशायरे और कविसम्मलेन मैं गया | कुछ तहजीबें टूटीं, वहां पर मसलन शोराँ कलाम पढ़ पढ़ कर जाते रहे और मंच खाली होता गया | बहरहाल कुछ बेहतर चीजें भी मिली | जयपुर से तशरीफ़ लाये बनज कुमार बनज ने दोहों का अद्भुत प्रयोग किया है| उनके चंद दोहे आपसे साझा कर रहा हूँ | फूलों के संग रह रहा, मैं माटी का ढेर | मुझमें भी बस जायेगी, खुश्बू देर सवेर || अंधियारे की कापियां, जा ंच रहा उजियार | डाल दिए हैं वक्त के, सूरन ने हथियार || जिसे किनारों मैं नहीं, हो बहने की चाह | वो नदिया ता जिंदगी , रहती है गुमराह || हो न सका इस बार भी, रंगों से संवाद | बस दिन भर आती रही, हमें तुम्हारी याद || कभी मोहब्बत का नहीं, छूटे मुझसे रंग | वर्ना सांसें थामकर, कौन चलेगा संग ||

Reservation Height of Nonsense and CG Govt 's Dirty Game in Democracy

  Total 58 % and than handicapped, women,freedom fighter and others......हो गया बंटाधार सरकार का अब समझ में आया कि सरकारे क्यों नहीं कर पाती कोई काम और क्यों तंत्र इतना सुस्त है ............जय हो...........................कितने आदिवासे इससे लाभ ले पायेंगे यह तो परे है पर सरकारी कामकाज का कितना नुकसान होगा यह अंदाज लगा सकता हूँ मै .........इसका विरोधी नहीं पर कबाड़े को देखते हुए कल्पना सहज है...........मै भी आरक्षण का समर्थक हूँ पर आज जब सिस्टम में बैठा हूँ तो देख रहा हूँ कि एक काम को करने के लिए कितना कष्ट इन्हें उठाना पडता है और समझ के नाम पर कुछ नहीं एक हिन्दी का पत्र लिखने में युग लग जाते है.साथ ही अपनी दयनीयता और पुरे समय अपराध बोध जो इनकी अस्मिता खो देता है इससे बेहतर है कि ये अपना काम करे कुछ नया करे खेती करे या कुछ और करे बजाय इसके कि सरकारी नौकरी करे शिक्षा में जितना चाहे दे दो पर नौकरी में कुछ नहीं होना चाहिए अगर आरक्षण से सच में ही कुछ बदलता तो निजी क्षेत्र क्यों नहीं देते क्या वहा दलित नहीं है या सेना में लागू करवा दो गंगा तो मै मान जाऊ या कुछ सेवाओं में और इन्हें डलवा दो म